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Jammu Election: कोई पंडितों का दर्द महसूस नहीं करता...यहां सब सियासत कर रहे हैं साहब; उभर आता है पलायन का दर्द

राहुल दुबे, अमर उजाला, जम्मू Published by: शाहरुख खान Updated Sun, 15 Sep 2024 02:36 PM IST
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सार

कश्मीरी पंडितों की कॉलोनी में चुनावी चर्चाएं गायब हैं। पूछने पर विस्थापन का दर्द उभर आता है। उनका  कहना है कि पार्टियां हमें वापस ले जाने की बातें करती हैं, कोई हमसे नहीं पूछता है कि हम जाएंगे कैसे?

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Jammu Election - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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चुनाव हों और कश्मीरी पंडितों की चर्चा न हो, जम्मू-कश्मीर में यह मुमकिन नहीं है। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव 10 साल बाद हो रहे हैं और सभी पार्टियां वर्ष 2014 के विस चुनाव की तरह कश्मीरी पंडितों के लिए चिंतित हैं। सभी दलों के घोषणापत्र-संकल्प-पत्र, गारंटी में पंडित हैं। 
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कश्मीरी पंडित उनके एजेंडे में भी हैं, जिनके राज में उन्हें घाटी से बाहर किया गया था और उनके भी, जो उनके हमदर्द बनते आए हैं। पंडित कहते हैं कि उनके दर्द को कोई महसूस नहीं करना चाहता। सब सियासत करते हैं। जम्मू शहर से करीब 27 किलोमीटर दूर नगरोटा विधानसभा क्षेत्र के जगती में 2010 में कश्मीरी पंडितों की कॉलोनी बसाई गई थी। 
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यहां करीब चार हजार पंडितों के परिवार रहते हैं। लेन नंबर पांच में करीब पांच सौ घरों के बीच बने एक पार्क के पूरे हिस्से में चहारदीवारी के बराबर ऊंची घास है। पार्क बंद है। घरों से रंग उतर चुका है। बारिश के पानी से दीवारें जगह-जगह काली पड़ी हैं। चुनावी माहौल का असर कॉलोनी में कहीं दिखाई नहीं देता। 

कोई घूमता-टहलता भी नहीं दिखता। कुछेक बुजुर्ग बच्चे या फिर कहीं काम से जा रहे लोग नजर आ भी जाएं तो बात नहीं करना चाहते। चुनाव पर तो बिल्कुल नहीं। अपने मित्र अवतार कृष्ण के साथ टहल रहे ओंकार नाथ कौल से जब कश्मीरी पंडितों और चुनाव पर सवाल किया तो उनका दर्द उभर आया। 

कहते हैं कि हमारा हाल इन घरों की दीवारों और पार्क से देख लीजिए। वह नाराजगी में कहते हैं, पार्टियां और उनके नेता हमारे नाम पर राजनीति करते हैं। वर्षों से देश भर में कश्मीरी पंडितों पर चर्चा होती है। कहा जाता है कि पंडितों को वापस ले जाएंगे, घर देंगे, वहीं बसाएंगे। 
 

अरे... कोई हमसे भी तो पूछो कि हम जाएंगे कैसे और कहां जाएंगे? क्या हमारी छीनी गई जमीन, जायदाद, सम्मान वापस दिला सकती हैं सरकारें। सबसे बड़ी बात कि क्या ये सब मिलने के बाद हमें सुरक्षा की गारंटी दे सकती हैं? ये गारंटी देंगी कि जो 30 साल पहले हमारे साथ हुआ, वह दोबारा नहीं होगा?
 

बसा रहे जंगल में, कह रहे कश्मीर में बसाएंगे
अवतार कृष्ण कहते हैं कि 90 के दशक में जब कश्मीर में आतंकवाद शुरू हुआ तो कई कश्मीरी पंडितों को निशाना बनाया गया। उनकी हत्याएं हुईं। जमीनें छीन ली गईं, रातों-रात पूर्वज घर छोड़ने को मजबूर हुए। किसी के बच्चे छूट गए तो किसी के माता-पिता तो किसी का भाई-बहन और पत्नी। कौन, कहां गया पता नहीं चला।
 

इसी कारण से बड़े पैमाने पर कश्मीरी पंडितों का वहां से विस्थापन हुआ। वे जम्मू समेत भारत के अलग-अलग शहरों में रहने लगे। इस दर्द को कौन समझता है। कॉलोनी के पीछे के हिस्से में गेट पर बैठे एमएल बेग कहते हैं कि नेता कश्मीर में बसाने की बात कहते हैं। कहां बसा रहे हैं? जंगल में कॉलोनी बनाकर। कल को फिर कोई ऐसी घटना हुई तो हम फिर कैसे निकलेंगे वहां से। शहर में, हाईवे किनारे कॉलोनियां क्यों नहीं बसा रहे।

हम कहीं नहीं जाना चाहते..बस विकास ही करा दें
जगती कॉलोनी में ही रह रहे जेके बट कहते हैं कि हमें अमन-चैन के साथ विकास चाहिए बस। कहीं कुछ मत बसाओ, किसी को कहीं न ले जाओ। रोजगार पैदा करो और युवाओं को काम दो। इन्हीं के पास खड़े एक बुजुर्ग कहते हैं कि आपको नहीं पता घाटी में कश्मीरी पंडितों के साथ जो क्रूरता हुई वह कितनी भयानक थी। 

 

इन लोगों के लिए यूपी के मुख्यमंत्री योगी जैसा नेता चाहिए। योगी का बुल्डोजर ही इन जैसों को ठीक कर सकता है। नाम पूछने पर कहते हैं कि नाम न जानिए, नाम में क्या रखा है। हमें फेमस नहीं होना। कॉलोनी की दूसरी लेन में घर के बाहर बैठे प्रकाश कहते हैं कि सब उजड़ ही चुका है। अब नई पीढ़ी नौकरी कर रही है। हम उसी में खुश हैं।

 

अब कॉलोनी में कश्मीर वापसी की चर्चा तक नहीं होती
शारदा टिक्कू कहती हैं कि जब यहां आए थे तो वापसी की उम्मीद थी। सन 2000 तक चुनावों के दौरान कॉलोनी के लोग बैठक बुलाते थे और वोटिंग करने के लिए सब कुछ तय करते थे। धीरे-धीरे समझ आ गया कि हालात बदल नहीं रहे हैं और वापसी संभव नहीं है। नई पीढ़ी भी आगे बढ़ गई है तो अब उधर नहीं देखते हैं। इसलिए अब चुनाव हों या न हों कॉलोनी के लोगों को बहुत फर्क नहीं पड़ता।

 

चार प्रमुख पार्टियों और दलों के एजेंडे में कश्मीरी पंडित
भाजपा : कश्मीरी पंडितों की सुरक्षित वापसी, जम्मू संभाग के विस्थापित लोगों को उचित लाभ, सुरक्षा और संरक्षण
कांग्रेस : मनमोहन सिंह सरकार के दौरान कश्मीरी पंडितों के लिए शुरू हुआ पुनर्वास कार्यक्रम को फिर से लागू किया जाएगा
पीडीपी : कश्मीरी पंडितों से जुड़े मानवीय संकट का समाधान करेंगे
नेकां : कश्मीरी पंडितों की सम्मानजनक वापसी, पुनर्वास का आह्वान

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