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Jammu: LG सिन्हा के पांच साल आज पूरे, कहा- आतंकवाद पर नियंत्रण, पीड़ितों को न्याय दिलाने में मिली कामयाबी

रोली खन्ना, अमर उजाला, जम्मू Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Thu, 07 Aug 2025 05:58 AM IST
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सार

सात अगस्त 2020 से 2025 तक का वक्त जम्मू-कश्मीर के लिए बड़े बदलावों का साल साबित हुआ है। सिन्हा जब यहां आए थे, उससे ठीक एक वर्ष पहले अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया था। उनके कार्यकाल के ये पांच वर्ष जम्मू-कश्मीर में बदलावों के लिहाज से निर्णायक साबित हुए। 

Jammu: LG Sinha completes five years today
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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उपराज्यपाल मनोज सिन्हा अपने पांच साल का कार्यकाल आज पूरा कर रहे हैं। सात अगस्त 2020 से 2025 तक का वक्त जम्मू-कश्मीर के लिए बड़े बदलावों का साल साबित हुआ है। सिन्हा जब यहां आए थे, उससे ठीक एक वर्ष पहले अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया था। उनके कार्यकाल के ये पांच वर्ष जम्मू-कश्मीर में बदलावों के लिहाज से निर्णायक साबित हुए। 

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पत्थरबाजी, घाटी में बंद, आतंकवाद और अलगाववाद ने घाटी को अशांत कर रखा था। दहशत के माहौल में शाम ढलते ही सन्नाटा छा जाता था। लाल चौक का सन्नाटा आतंकी खौफ की कहानी कहता था। लाल चौक पर शाम को रंग-बिरंगी लाइटों के बीच सेल्फी लेते लोग, अलगाववादी संगठनों में अपनी छवि बदलने की बेचैनी बदलाव का जीता-जागता उदाहरण हैं।
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दरअसल ये माना गया कि कश्मीर एक राजनीतिक समस्या है और इसका समाधान सिर्फ बंदूक से नहीं हो सकता है। मनोज सिन्हा की नियुक्ति इसी समाधान की दिशा में केंद्र का एक कदम थी। पांच वर्षों मेंं पहलगाम जैसे दिल दहला देने वाले आतंकी हमला भी हुआ। इसके बावजूद सुरक्षा के मोर्चे पर केंद्र के नेतृत्व में लिए गए फैसलों ने आतंकवाद पर नियंत्रण पाने में कामयाबी दिलाई। पत्थरबाजी के साथ आतंकियों की स्थानीय भर्तियों पर लगाम लगी। अलगाववादियों का एकाधिकार टूटा, युवाओं ने पत्थरबाजी से दूरी बनाई और कमाने-खाने की राह पर आगे बढ़े, क्योंकि उन्हें सरकारी नौकरी, स्वरोजगार के अवसर मिले।

आम लोगों और प्रशासन के बीच सेतु निर्माण और संवाद की कमी को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी सिन्हा पर दांव खेला था। इन पांच वर्षों में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने ये साबित किया कि जम्मू-कश्मीर में प्रशासन चलाने के लिए वे एक उचित फैसला थे। जिस प्रदेश में राजनीतिक गतिविधियां लगभग ठप पड़ गई थीं, उन्होंने हालात को इस तरह से बदला कि यहां पर चुनाव संभव हुए और निर्वाचित सरकार बनी।

आतंकवाद और स्थानीय भर्तियों पर नियंत्रण
जम्मू-कश्मीर में आतंकी चुनौती व आतंक पीड़ितों में भरोसा लौटाना सबसे बड़ी चुनौती थी। वर्षों से विषैला माहौल था। सिन्हा आतंकवाद पर नियंत्रण, आतंकी घटनाओं में कमी लाने में में सिन्हा कामयाब रहे। बीते दिनों संसद में गृहमंत्री अमित शाह ने बताया कि कश्मीर में आतंकवाद में 70 फीसदी की कमी आई है। आलगाववाद और आतंकवाद पर लगाम लगी है। आतंकवादियों के वित्तीय मददगारों पर लगाम लगी और 347 संपत्तियां जब्त की गईं। इसी तरह आतंकियों की स्थानीय भर्तियां इस साल घटकर एक-दो रह गईं।

आतंकवाद पीड़ितों की ली गई सुध, चलाई न्याय की मुहिम
आतंकवाद का दंश झेल रहे परिवारों ने आशा ही छोड़ दी थी कि उन्हें कभी न्याय मिलेगा। बीते मंगलवार को श्रीनगर में उपराज्यपाल के हाथों नियुक्तिपत्र लेने आए युवा ने कहा कि हमारे पिता एसपीओ थे, शहीद हुए थे। हमें किसी ने कभी नहीं पूछा न ही उम्मीद थी। आज नियुक्तिपत्र मिलने के बाद लगा कि हमें न्याय मिल गया। उपराज्यपाल ने वर्षों से न्याय का इंतजार कर रहे आतंक पीड़ित परिवारों के 278 से अधिक सदस्यों को न केवल नियुक्तिपत्र सौंपे बल्कि ये भी घोषणा की है कि जो केस खुले नहीं व फाइलें खोली जाएंगी। घर और संपत्ति को कब्जामुक्त कराने का आदेश दिया गया है। आखिरी पीड़ित को न्याय मिलने तक मुहिम जारी रहेगी।

पहलगामः बड़ी चोट, सबसे बड़ा प्रतिकार
पांच वर्षों में गहरी चोट पहलगाम के बायसरन में आतंकी हमला था। पर इस हमले के बाद केंद्र के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सबसे बड़ा प्रतिकार आपरेशन सिंदूर से लिया। आतंकी शरणदाताओं की गिरफ्तारी और पहलगाम के गुनहगारों को ऑपरेशन महादेव में मार गिराने से लोगों का भरोसा बढ़ गया है। घाटी एक बार फिर से गुलजार हुई, अमरनाथ यात्रा पूरी भव्यता के साथ सम्पन्न हुई।

आर्थिक चुनौतियों से भी दो-दो हाथ
जम्मू-कश्मीर बैंक अब 1700 करोड़ रुपये के मुनाफे में है। पहले यह 1100 करोड़ से अधिक के घाटे में चल रहा था। जेम पोर्टल, ई-टेंडरिंग, बायोमीट्रिक सत्यापन जैसे सुधारों से 400 करोड़ रुपये बचाए। ओवरड्राफ्ट का चलन बंद किया और 28,000 करोड़ रुपये के बकाये का भुगतान किया गया। कोरोना की चोट के बावजूद जीएसटी संग्रह, स्टांप ड्यूटी, टैक्स से होने वाली आय बढ़ी। मार्च 2025 में प्रस्तुत आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक, साल भर में लोगों की प्रतिव्यक्ति आय 15 हजार रुपये बढ़ गई। प्रदेश की विकास दर राष्ट्रीय अनुमान 6.4 से 0.72 फीसदी ज्यादा यानी 7.06 फीसदी दर्ज की गई। स्टार्टअप नीति बनने से 1188 से अधिक स्टार्टअप जम्मू-कश्मीर मेंं शुरू हो सके। इसमें महिलाओं को खास तौर पर आगे आने का मौका मिला।

कई अंतरराष्ट्रीय आयोजनों की मेजबानी
प्रदेश की आर्थिक मजबूती, सुरक्षा का भरोसा बढ़ने के साथ ही यूटी को अंतरराष्ट्रीय आयोजनों की मेजबानी करने का मौका मिला। पहले यह अकल्पनीय था। जी-20 शिखर सम्मेलन, फाॅर्मूला फोर कार रेस, इंटरनेशनल क्रिकेट। 33-34 साल बाद मुहर्रम का जुलूस निकला, सिनेमाहाॅल 32 साल बाद खुले।

सरकारी नौकरियां, स्वरोजगार ने खोली राह
बीते पांच साल में 42 हजार से अधिक सरकारी नौकरियां दी गईं। 90 हजार से अधिक स्वयं सहायता समूहों से सात लाख के करीब महिलाएं जुड़ीं। अब वे जम्मू-कश्मीर के आर्थिक विकास में अपना योगदान दे रही हैं। इसके अलावा होलिस्टिक एग्रीकल्चर डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम (एचएडीपी) के तहत स्वरोजगार को बढ़ावा देतीं 29 परियोजनाओं को यहां स्वीकृत किया गया है। 53 परियोजनाओं में 59 करोड़ का निवेश जम्मू-कश्मीर के विकास की नई राह खोल रहा है।

धार्मिक पर्यटन को प्रोत्साहन का फाॅर्मूला रहा कारगर
जम्मू-कश्मीर की आर्थिकी का मूल आधार पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए उपराज्यपाल ने धार्मिक पर्यटन सुविधाओं का विस्तार किया। श्री अमरनाथ यात्रा मार्ग को सुगम बनाने से लेकर बालटाल में यात्री निवास की सौगात श्रद्धालुओं को दी। चार लाख से अधिक यात्रियों का बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए आना एक बड़ी उपलब्धि है। इसी तरह श्री माता वैष्णो देवी जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए दुर्गा भवन, स्काईवॉक, पार्वती भवन का जीर्णोद्धार के अलावा एकीकृत सुरक्षा व्यवस्था विस्तार कराया गया। विकास कार्य अभी भी जारी हैं।

विकास को रफ्तार, एक्सप्रेसवे व सुरंगों का जाल
2020 से 2025 के बीच विकास ने रफ्तार पकड़ी। कनेक्टिविटी ने जम्मू-कश्मीर को शेष भारत से जोड़ा। 2020 से 2024 के बीच 11, 262 से अधिक सड़क परियोजनाएं पूरी हुईं। तीन सुरंग पूरी हो चुकी है, जोजिला समेत 8 पर निर्माण अंतिम चरण में हैं। दिल्ली-अमृतसर-कटड़ा एक्सप्रेसवे, पांच राष्ट्रीय राजमार्ग का काम प्रगति पर है। यूएसबीआरएल प्रोजेक्ट पूरा हुआ और कटड़ा से श्रीनगर वंदेभारत की सौगात जम्मू-कश्मीर को मिली। जम्मू-कश्मीर हवाई अड्डे पर शाम की उड़ानें शुरू हुईं।

नई पीढ़ी के लिए खुले राष्ट्रीय स्तर के संस्थान
नई पीढ़ी के लिए राष्ट्रीय स्तर के संस्थान खोले गए। दो राज्य कैंसर संस्थान, 500 बिस्तरों वाला बाल चिकित्सा अस्पताल शुरू हुआ। एम्स जम्मू चालू हो गया है, एम्स कश्मीर पर काम तेज है। आईआईटी और आईआईएम जैसे संस्थान भी खोले गए। यहां के युवाओं को तो अवसर मिला ही, साथ ही बाहर के प्रदेशों से युवा यहां पढ़ने आ रहे हैं। यहां से चिकित्सा संस्थानों में देश के दूसरे भागों से आने वालों को उपचार मिल रहा है। यह बदलते हुए जम्मू-कश्मीर की कहानी कह रहा है।
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