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Jammu News: तालाब की जमीन पर वक्फ बोर्ड ने जताया हक, काम रुकवाया
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-पांच दिन पहले विधायक ने पन्नू चौक तालाब के जीर्णोद्धार का काम कराया था शुरू
-राजस्व विभाग का दावा चिह्नित भूमि का अधिकांश भाग वक्फ बोर्ड का निकल रहा
संवाद न्यूज एजेंसी
अखनूर। नगर के पन्नू चौक स्थित ऐतिहासिक तालाब के जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण कार्य पर विवाद खड़ा हो गया है। वक्फ बोर्ड ने तालाब की जमीन पर मालिकाना हक का दावा कर काम रुकवा दिया है। बीते रविवार को विधायक मोहन लाल ने 40 लाख रुपये की लागत से तालाब के जीर्णोद्धार का काम शुरू कराया था। परियोजना रुकने पर स्थानीय लोगों में रोष पनप गया है। स्थानीय लोगों के अनुसार तालाब 100 वर्ष से भी अधिक पुराना है और पीढ़ियों ने इसे इसी रूप में देखा है।
राजस्व विभाग, तहसीलदार, पटवारियों और विभिन्न आयोगों की ओर से अतीत में कई बार निशानदेही की गई। इसमें हर बार तालाब ही चिह्नित हुआ लेकिन वर्तमान निशानदेही में बड़े पैमाने पर अंतर सामने आने के बाद विवाद गहरा गया है। राजस्व विभाग का दावा है कि चिह्नित भूमि का अधिकांश भाग वक्फ बोर्ड का निकल रहा है और केवल दो कनाल 18 मरले क्षेत्र तालाब का है। इससे क्षेत्रवासियों में संदेह पैदा हो गया है।
स्थानीय निवासी दिलावर कुमार ने आरोप लगाया कि वक्फ बोर्ड की जमीन की हदबंदी, पक्की बाउंड्री व बोर्ड पहले से मौजूद हैं। अचानक तालाब पर दावा करना साजिश की ओर इशारा करता है। आरोप लगाया कि कुछ भू-माफिया और प्रॉपर्टी डीलर वक्फ बोर्ड व राजस्व विभाग की मदद से तालाब को हटाकर यहां कॉम्प्लेक्स बनाने की योजना बना रहे हैं।
पूर्व सरपंच देव राज शर्मा ने भी कहा कि कई बार आयोग बनाकर निशानदेही हुई। सभी रिपोर्टों में तालाब ही निकला। अचानक वक्फ की जमीन बनने का दावा संदेहास्पद है। उन्होंने मांग की कि पुराने रिकॉर्ड से लेकर वर्तमान रिपोर्ट तक सारी प्रमाणिकता की उच्चस्तरीय जांच की जाए।
अखनूर तहसील के मांडा गांव के 80 वर्षीय लंबरदार मुलखराज ने बताया कि वह बचपन से इस स्थान को तालाब के रूप में ही देखते आए हैं। वक्फ बोर्ड ने पहले अपनी सीमा निर्धारित कर बाउंड्री व पोल भी लगाए थे। अब अचानक तालाब की जमीन पर दावा करना संभवतः किसी बड़े षड्यंत्र की शुरुआत है।
वक्फ बोर्ड जीजेएम कोर्ट जम्मू तक पहुंचाया मामला
वक्फ बोर्ड ने यह मामला अब सीजेएम कोर्ट जम्मू में पहुंचा दिया है। इसके बाद अदालत ने एसडीएम अखनूर, नगर पालिका के कार्यकारी अधिकारी, तहसीलदार, नायब तहसीलदार और पटवारी सहित संबंधित अधिकारियों को 13 दिसंबर को पेश होने या अपने वकीलों के माध्यम से आपत्तियां दर्ज करने के निर्देश दिए हैं।
परियोजना रुकने पर स्थानीय लोगों
में रोष, निष्पक्ष जांच की मांग
विवाद बढ़ने से फिलहाल तालाब का काम रुक गया है। इससे हिंदू बहुल इलाके में वक्फ बोर्ड के दावे से तनाव की स्थिति बन गई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि तालाब उनकी विरासत और नगर की पहचान है। ऐसे में इसे किसी भी प्रकार के विवाद में उलझाना अस्वीकार्य है। क्षेत्रवासियों का कहना है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच करवाना अति आवश्यक है। उन्होंने मांग की कि सभी पुराने रिकॉर्ड, नक्शे, रिपोर्ट और राजस्व रिकॉर्ड की प्रामाणिकता को खंगालते हुए एक स्वतंत्र उच्चस्तरीय आयोग गठित किया जाए।
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-राजस्व विभाग का दावा चिह्नित भूमि का अधिकांश भाग वक्फ बोर्ड का निकल रहा
संवाद न्यूज एजेंसी
अखनूर। नगर के पन्नू चौक स्थित ऐतिहासिक तालाब के जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण कार्य पर विवाद खड़ा हो गया है। वक्फ बोर्ड ने तालाब की जमीन पर मालिकाना हक का दावा कर काम रुकवा दिया है। बीते रविवार को विधायक मोहन लाल ने 40 लाख रुपये की लागत से तालाब के जीर्णोद्धार का काम शुरू कराया था। परियोजना रुकने पर स्थानीय लोगों में रोष पनप गया है। स्थानीय लोगों के अनुसार तालाब 100 वर्ष से भी अधिक पुराना है और पीढ़ियों ने इसे इसी रूप में देखा है।
राजस्व विभाग, तहसीलदार, पटवारियों और विभिन्न आयोगों की ओर से अतीत में कई बार निशानदेही की गई। इसमें हर बार तालाब ही चिह्नित हुआ लेकिन वर्तमान निशानदेही में बड़े पैमाने पर अंतर सामने आने के बाद विवाद गहरा गया है। राजस्व विभाग का दावा है कि चिह्नित भूमि का अधिकांश भाग वक्फ बोर्ड का निकल रहा है और केवल दो कनाल 18 मरले क्षेत्र तालाब का है। इससे क्षेत्रवासियों में संदेह पैदा हो गया है।
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स्थानीय निवासी दिलावर कुमार ने आरोप लगाया कि वक्फ बोर्ड की जमीन की हदबंदी, पक्की बाउंड्री व बोर्ड पहले से मौजूद हैं। अचानक तालाब पर दावा करना साजिश की ओर इशारा करता है। आरोप लगाया कि कुछ भू-माफिया और प्रॉपर्टी डीलर वक्फ बोर्ड व राजस्व विभाग की मदद से तालाब को हटाकर यहां कॉम्प्लेक्स बनाने की योजना बना रहे हैं।
पूर्व सरपंच देव राज शर्मा ने भी कहा कि कई बार आयोग बनाकर निशानदेही हुई। सभी रिपोर्टों में तालाब ही निकला। अचानक वक्फ की जमीन बनने का दावा संदेहास्पद है। उन्होंने मांग की कि पुराने रिकॉर्ड से लेकर वर्तमान रिपोर्ट तक सारी प्रमाणिकता की उच्चस्तरीय जांच की जाए।
अखनूर तहसील के मांडा गांव के 80 वर्षीय लंबरदार मुलखराज ने बताया कि वह बचपन से इस स्थान को तालाब के रूप में ही देखते आए हैं। वक्फ बोर्ड ने पहले अपनी सीमा निर्धारित कर बाउंड्री व पोल भी लगाए थे। अब अचानक तालाब की जमीन पर दावा करना संभवतः किसी बड़े षड्यंत्र की शुरुआत है।
वक्फ बोर्ड जीजेएम कोर्ट जम्मू तक पहुंचाया मामला
वक्फ बोर्ड ने यह मामला अब सीजेएम कोर्ट जम्मू में पहुंचा दिया है। इसके बाद अदालत ने एसडीएम अखनूर, नगर पालिका के कार्यकारी अधिकारी, तहसीलदार, नायब तहसीलदार और पटवारी सहित संबंधित अधिकारियों को 13 दिसंबर को पेश होने या अपने वकीलों के माध्यम से आपत्तियां दर्ज करने के निर्देश दिए हैं।
परियोजना रुकने पर स्थानीय लोगों
में रोष, निष्पक्ष जांच की मांग
विवाद बढ़ने से फिलहाल तालाब का काम रुक गया है। इससे हिंदू बहुल इलाके में वक्फ बोर्ड के दावे से तनाव की स्थिति बन गई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि तालाब उनकी विरासत और नगर की पहचान है। ऐसे में इसे किसी भी प्रकार के विवाद में उलझाना अस्वीकार्य है। क्षेत्रवासियों का कहना है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच करवाना अति आवश्यक है। उन्होंने मांग की कि सभी पुराने रिकॉर्ड, नक्शे, रिपोर्ट और राजस्व रिकॉर्ड की प्रामाणिकता को खंगालते हुए एक स्वतंत्र उच्चस्तरीय आयोग गठित किया जाए।