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J&K: जिनके अपनों को आतंकियों ने छीना...अब उन्हें मिलेगा सरकार का साथ, एलजी मनोज सिन्हा ने सौंपे नियुक्ति पत्र

अमर उजाला, नेटवर्क जम्मू Published by: निकिता गुप्ता Updated Sun, 13 Jul 2025 04:36 PM IST
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सार

जम्मू-कश्मीर में वर्षों से आतंकवाद का दर्द झेल रहे पीड़ित परिवारों को आखिरकार न्याय मिला। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इन पीड़ित परिवारों को नौकरी के नियुक्ति पत्र सौंपे और उनके पुनर्वास के लिए ठोस कदमों की घोषणा की।

LG manoj sinha Handed over appointment letters to NoKs of terror victims.
पीड़ित परिवारों को एलजी मनोज सिन्हा ने सौंपे नियुक्ति पत्र - फोटो : @OfficeOfLGJandK
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विस्तार
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उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए शनिवार को आतंकवादी घटनाओं में मारे गए निर्दोष नागरिकों के परिजनों को नियुक्ति पत्र सौंपे। यह वह परिवार हैं जो दशकों तक गुमनामी, पीड़ा और उपेक्षा के साए में जीते रहे।

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कार्यक्रम के दौरान एलजी ने कहा ये परिवार दशकों से चुपचाप दर्द सहते रहे। उनके अपने पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों द्वारा निर्ममता से मारे गए। अब इनकी कहानियां सामने लाई जा रही हैं। यह केवल नियुक्ति पत्र नहीं, बल्कि न्याय, सम्मान और पुनर्वास की दिशा में एक बड़ा कदम है।

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LG manoj sinha Handed over appointment letters to NoKs of terror victims.
पीड़ित परिवारों को एलजी मनोज सिन्हा ने सौंपे नियुक्ति पत्र - फोटो : @OfficeOfLGJandK

उन्होंने कहा कि यह निर्णय उन हजारों निर्दोष लोगों को श्रद्धांजलि है, जिनकी जान आतंकवाद ने ले ली। सच्चाई को जानबूझकर दबाया गया। कोई इन परिवारों के आंसू पोंछने नहीं आया। सब जानते थे कि हमलों के पीछे पाकिस्तान समर्थित आतंकी थे, फिर भी हजारों माता-पिता, पत्नियों, भाइयों और बहनों को न्याय नहीं मिला।

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पीड़ित परिवारों को एलजी मनोज सिन्हा ने सौंपे नियुक्ति पत्र - फोटो : @OfficeOfLGJandK

एलजी ने बताया कि अब प्रशासन स्वयं ऐसे पीड़ित परिवारों के दरवाजे तक पहुंचेगा। उनके पुनर्वास, रोजगार और अन्य जरूरी सहायता सुनिश्चित की जाएगी। सभी जिलों में हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए गए हैं, जहां लोग अपनी शिकायतें दर्ज करा सकते हैं।

उन्होंने बताया कि 90 के दशक से संबंधित सैकड़ों शिकायतें सामने आ रही हैं। कई मामलों में एफआईआर तक दर्ज नहीं की गई थी। जमीनें कब्जा कर ली गईं, संपत्तियां तोड़ दी गईं। अब दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।

यह पहल जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद पीड़ित परिवारों के लिए एक नई उम्मीद और न्याय की शुरुआत है।

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