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देशद्रोहियों की पैरवी: आतंकी सलाहुद्दीन के बेटों के बाद जमात-ए-इस्लामी के लिए जगा महबूबा का प्रेम

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जम्मू Published by: प्रशांत कुमार Updated Mon, 09 Aug 2021 02:33 PM IST
सार

जम्मू-कश्मीर मसले पर पाकिस्तान की दखलंदाजी, आतंकी सैयद सलाहुद्दीन के दो बेटों पर हुई कार्रवाई पर सवाल, जांच एजेंसियों पर प्रश्नचिन्ह के बाद अब महबूबा मुफ्ती ने रविवार को जमात-ए-इस्लामी पर हुई कार्रवाई को सरकार की दमनकारी नीति का हिस्सा बताया है।

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mehbooba mufti said NIA raids on jamaat e islami is emblematic of GOI waging a war against its so called integral part
पीडीपी मुखिया महबूबा मुफ्ती - फोटो : अमर उजाला, फाइल फोटो
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जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री एवं पीडीपी मुखिया महबूबा मुफ्ती ने जमात-ए-इस्लामी पर हुई एनआईए की कार्रवाई पर सवाल उठाया है। महबूबा ने कहा कि जमात पर एनआईए की छापेमारी भारत सरकार के तथाकथित अभिन्न भाग के खिलाफ युद्ध छेड़ने का प्रतीक है। इस तरह के दमनकारी उपाय अस्थायी रूप से काम कर सकते हैं लेकिन लंबे समय में यह काउंटर प्रोडक्टिव साबित होंगे। जम्मू-कश्मीर और देश के बाकी हिस्सों के बीच की खाई हर गुजरते दिन के साथ चौड़ी होती जा रही है।

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बता दें कि जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने रविवार को 14 जिलों में प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी (जेईआई) के 56 ठिकानों पर छापे मारे। सीआरपीएफ और पुलिस के साथ श्रीनगर, बडगाम, गांदरबल, बारामुला, कुपवाड़ा, बांदीपोरा, अनंतनाग, शोपियां, पुलवामा, कुलगाम, रामबन, डोडा, किश्तवाड़ और राजोरी जिले में कार्रवाई की। कश्मीर संभाग के सभी 10 व जम्मू संभाग के चार जिलों में एनआईए ने यह कार्रवाई टेरर फंडिंग मामले में की है। छापे में कई इलेक्ट्रॉनिक सबूत और आपत्तिजनक सामग्री बरामद की गई है।
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एनआईए प्रवक्ता ने बताया कि संगठन की ओर से प्रतिबंध के बाद भी अलगाववादी गतिविधियां चलाने के मामले में पांच फरवरी को केस दर्ज किया गया था। इसके अनुसार संगठन के सदस्य देश और विदेश से दान के रूप में पैसे एकत्र कर रहे थे। यह राशि जकात, मौवदा और बैत-उल-माल के रूप में इकट्ठी की जा रही थी, ताकि कल्याणकारी कार्यक्रम आयोजित किए जा सकें और लोगों की मदद की जा सके।

लेकिन इस राशि का इस्तेमाल हिंसा और अलगाववादी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके साथ ही आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन, लश्कर-ए-ताइबा समेत अन्य संगठनों को जमात के नेटवर्क के माध्यम से राशि पहुंचाई जा रही है। अलगाववादी गतिविधियों के लिए नए युवाओं की भर्ती भी की जा रही है।

यह भी पढ़ेंः जम्मू-कश्मीर: खुफिया एजेंसियों के अफसरों को निशाना बनाने की फिराक में आईएसआई    
 

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