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149 साल पुरानी दरबार मूव व्यवस्था: जानिए इसे खत्म किए जाने पर लोगों की राय, कारोबार को नुकसान होगा?

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जम्मू Published by: प्रशांत कुमार Updated Sun, 04 Jul 2021 11:21 AM IST
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सार

संपदा विभाग की ओर से हाल ही में जम्मू और श्रीनगर में सैकड़ों कर्मचारियों का आवास आवंटन रद्द करके उपराज्यपाल प्रशासन ने दरबार मूव की व्यवस्था को खत्म करने का संकेत दिया है।  
 

opinion on stopping 149 year old Darbar Move system jammu kashmir, Amar Ujala Webinar
दरबार मूव व्यवस्था - फोटो : अमर उजाला, फाइल
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विस्तार
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जम्मू-कश्मीर में 149 साल पुरानी दरबार मूव व्यवस्था समाप्त करने पर जम्मूवासी एकमत नहीं हैं। कुछ उप-राज्यपाल प्रशासन के इस फैसले को सही ठहरा रहे तो कुछ का कहना है कि यह जल्दबाजी में लिया गया फैसला है। अमर उजाला की ओर से कराए गए वेबिनार में शहर के पूर्व प्रशासनिक अधिकारियों, कारोबारियों, सामाजिक कार्यकर्ता व चिकित्सकों ने कहा कि इससे आम लोगों की सरकार तक पहुंच आसान होगी। हालांकि, यह भी कहा गया कि जम्मू और कश्मीर में आपसी भाईचारा कम होगा। साथ ही व्यापारी वर्ग को इससे नुकसान होगा।

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मुझे लगता है कि दरबार मूव की व्यवस्था को खत्म करने से जम्मू और कश्मीर के लोगों में दूरी का खतरा बढ़ेगा। हर साल दोनों तरफ छह माह के अंतराल में दरबार मूव होने से दोनों संभागों के लोग विभिन्न क्षेत्रों से आपस में जुड़े रहते थे। ऐसी व्यवस्था खत्म करने का फैसला किसी चुनी हुई सरकार को लेना चाहिए न कि प्रशासन को। हालांकि, अभी सरकार की ओर से यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि दरबार मूव की व्यवस्था पूरी तरह से खत्म हो गई है। सरकारी आवास आवंटन रद्द करने का आदेश संपदा विभाग की ओर से जारी किया गया है न कि सामान्य प्रशासनिक विभाग की ओर से। समय के साथ तकनीक का विस्तार होने से ई-गवर्नेंस में पेपर लेस सरकारी कार्य को बढ़ावा मिला है, लेकिन ऐसे फैसलों में दोनों संभागों के लोगों की जरूरतों के साथ अन्य बिंदुओं को देखना चाहिए। डॉ. फारूक अब्दुल्ला की सरकार में एक आदेश निकाला गया था कि कुछ विभाग स्थायी तौर पर कश्मीर में चलते रहेंगे, जिसका जम्मू में जमकर विरोध हुआ और दिल्ली से बूटा सिंह के आने पर डॉ. फारूक को यह आदेश वापस लेना पड़ा था। ऐसे फैसलों से जम्मू और कश्मीर में किसी तरह से आपसी भाईचारे को खतरा पैदा नहीं होना चाहिए। - केबी जंडियाल, सेवानिवृत्त आईएएस अफसर
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दरबार मूव पर ही जम्मू का व्यापार निर्भर था ऐसा नहीं था। कुछ फीसदी ही इसमें बढ़ोतरी होती थी। उपराज्यपाल प्रशासन का फैसला दोनों संभागों के लोगों के हक में है। वह इसलिए क्योंकि दोनों ही क्षेत्रों के लोगों की सचिवालय तक पहुंच बढ़ेगी और वे अपने अधिकारियों से दावे के साथ जल्दी काम करवा सकेंगे। पहले दरबार मूव में कई फाइलें छह-छह माह तक लंबित रहती थीं। कोरोना काल में दरबार मूव का वर्क फ्रॉम होम और आनलाइन सुविधा से बेहतर ढंग से काम हुआ है। जम्मू का व्यापार विकट परिस्थितियों में भी खड़ा रहा है, ऐसे में आने वाले समय में भी यहां से व्यापारी अच्छा प्रदर्शन करेंगे। - डॉ. तरण सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता

दरबार मूव व्यवस्था को लेकर उपराज्यपाल प्रशासन को लोगों के समक्ष स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट करनी चाहिए। हमारे जन प्रतिनिधियों को उपराज्यपाल प्रशासन से मिलकर लोगों के सामने पूरी बात रखनी चाहिए। दरबार मूव अभी बंद हो गया है इसकी आधिकारिक कोई अधिसूचना नहीं हुई है, लेकिन दोनों संभागों में इसकी चर्चा है। अगर यह व्यवस्था खत्म की जा रही है तो इसके फायदे और नुकसान दोनों होंगे। मसलन पहले जम्मू के लोगों को अपने काम के लिए कश्मीर जाना पड़ता था और उसमें लंबा समय लग जाता था, लेकिन दोनों जगह पर काम होने से इसमें पारदर्शिता और तेजी आएगी। दरबार मूव बंद होने से जम्मू शहर का कारोबार प्रभावित होगा। कश्मीर से सैकड़ों कर्मियों के छह माह यहां पर रहने से कारोबार में तेजी आती थी। - अरुण गुप्ता-अध्यक्ष, चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री

दरबार मूव व्यवस्था डुग्गर महाराजाओं के समय शुरू हुई थी, लेकिन समय के साथ इसमें बदलाव आता गया। कश्मीर में पहले से ही कई सरकारी विभागों के निदेशालय अलग से काम कर रहे हैं। दोनों तरफ से नई व्यवस्था पर ऐसे विभागों में स्वायत्तता बढ़ेगी। अगर दोनों संभागों के लोगों के हित में ऐसी नई व्यवस्था को शुरू किया जा रहा है तो इसे आगे बढ़ाया जाना चाहिए। -डॉ. एसके बाली, वरिष्ठ नेफ्रोलॉजिस्ट

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