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Jammu kashmir News : घाटी में लंबे समय तक चली हिंसा की साजिश जमात के स्कूलों से रची गई, चलते रहे देश-विरोधी गोरखधंधे

बृजेश कुमार सिंह, जम्मू Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Wed, 15 Jun 2022 04:40 AM IST
सार

बुरहान के मारे जाने के बाद कश्मीर में पत्थरबाजी, स्कूलों में आग लगाने की घटनाओं को दिया गया था अंजाम। इन स्कूलों से बंद के कैलेंडर, पत्थरबाजी की घटनाओं को अंजाम देने की रची जाती थी साजिश।

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The conspiracy for prolonged violence in the valley was hatched from the schools of the Jamaat
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विस्तार
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वर्ष 2019 में पांच साल के लिए प्रतिबंधित संगठन जमात-ए-इस्लामी से जुड़े फलाह-ए-आम ट्रस्ट के स्कूलों पर कार्रवाई की लंबे समय से तैयारी चल रही थी। दरअसल राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) व प्रदेश जांच एजेंसी (एसआईए) ने विभिन्न मामलों की जांच के दौरान पाया कि घाटी को हिंसा की आग में झुलसाने में जमात से जुड़े स्कूलों का बड़ा हाथ रहा है। 

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चाहे वह हिजबुल कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद 2016, उमर अब्दुल्ला के शासनकाल में 2010 तथा 2008 का कश्मीर में अमरनाथ भूमि आवंटन से जुड़ा मामला हो, इस संगठन ने घाटी में हिंसा की आग जलाए रखी। कम उम्र के बच्चों को कट्टर बनाकर उनके हाथों में बंदूक व पत्थर थमाकर घाटी में हिंसा के दुष्चक्र को जारी रखने में इन स्कूलों की भूमिका संदेह के घेरे में रही है।
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सरकार से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्र बताते हैं कि घाटी में जमात से जुडे़ ट्रस्ट की ओर से 300 से अधिक माध्यमिक व हाई स्कूल संचालित किए जाते हैं। कुछ पैरा मेडिकल कॉलेज भी चलाए जाते हैं। बताते हैं कि इन स्कूलों में एक लाख से अधिक विद्यार्थी हैं और पांच हजार के लगभग शिक्षक कार्यरत हैं। 

सूत्रों ने बताया कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद गृह मंत्रालय के निर्देश पर जमात के ट्रस्ट की गतिविधियों व संपत्तियों की जांच शुरू की गई। जांच में व्यापक पैमाने पर गड़बड़ियां पाईं गईं। पाया गया कि इन स्कूलों से भोले-भाले बच्चों को कट्टरता का पाठ पढ़ाया जाता है। उनमें सरकार व सरकारी एजेंसियों के खिलाफ नफरत का बीज डाला जाता है। 

जांच में कई मामले सामने आए जिनमें जमात से जुड़े स्कूल के बच्चों को कट्टरता का पाठ पढ़ाते हुए आतंकवाद में धकेला गया। यह भी पाया गया कि इन स्कूलों से ही बुरहान के मारे जाने के बाद बंद का कैलेंडर तैयार किया जाता था। सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी, स्कूलों व पंचायत घरों को जलाने की घटनाओं की साजिशें भी यहीं बनाई जाती रही हैं। पुलिस के एक उच्चाधिकारी ने बताया कि जमात व इससे जुड़े संगठनों की गतिविधियों का पूरा ब्योरा जांच कर तैयार किया गया है। इनमें उत्तरी, दक्षिणी व मध्य कश्मीर सभी स्थानों पर संचालित स्कूल शामिल हैं। हिंसा के दौरान इन स्कूलों की भूमिका और दर्ज विभिन्न प्राथमिकी के आधार पर ब्योरा तैयार किया गया है।    

2019 में भी स्कूलों को बंद करने का जारी हुआ था नोटिस
जमात पर प्रतिबंध के बाद 2019 में जम्मू-कश्मीर सरकार की ओर से फलाह-ए-आम ट्रस्ट की ओर से संचालित स्कूलों को बंद करने का नोटिस जारी किया गया था। हालांकि, बाद में सरकार ने स्पष्टीकरण जारी कर कहा कि इन स्कूलों को बंद नहीं किया जाएगा। जमात ने 1972 में इस ट्रस्ट का गठन किया था। 

ट्रस्ट के कई शिक्षकों को राजनीतिक दबाव में सरकारी सेवाओं में किया गया समाहित
सरकार ने 1990 में भी जमात पर प्रतिबंध लगाया था। तब फलाह-ए-आम ट्रस्ट पर भी कार्रवाई की गई थी। इस दौरान ट्रस्ट से संचालित स्कूलों के शिक्षक हटा दिए गए थे। बाद में राजनीतिक दबाव में इन सभी शिक्षकों को सरकारी सेवाओं में समाहित कर लिया गया।  

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