सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Jammu and Kashmir ›   Jammu News ›   The face of separatism started changing in Kashmir, Jamaat leaders joined the mainstream

Jammu Kashmir : कश्मीर में बदलने लगा अलगाववाद का चेहरा, जमात के नेता मुख्यधारा में शामिल

अमर उजाला नेटवर्क, जम्मू Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Fri, 13 Oct 2023 11:53 AM IST
सार

बदले माहौल में अब अलगाववादी नेता मुख्यधारा में शामिल होने शुरू हो गए हैं। कश्मीर में हुर्रियत के एक नेता के बाद अब जमात-ए-इस्लामी के प्रभावशाली नेता तलत माजिद ने मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टी का दामन थामा है।

विज्ञापन
The face of separatism started changing in Kashmir, Jamaat leaders joined the mainstream
अपनी पार्टी में पहुंचे अलगाववादी... - फोटो : अमर उजाला
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

कश्मीर में अलगाववाद का चेहरा बदलने लगा है। बदले माहौल में अब अलगाववादी नेता मुख्यधारा में शामिल होने शुरू हो गए हैं। कश्मीर में हुर्रियत के एक नेता के बाद अब जमात-ए-इस्लामी के प्रभावशाली नेता तलत माजिद ने मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टी का दामन थामा है। अपनी पार्टी में शामिल होते ही जमात नेता के सुर बदल गए। उन्होंने कहा कि आतंकवाद ने कभी कश्मीरियों को लाभ नहीं पहुंचाया। अब उनका एजेंडा युवाओं को बचाना होगा। यह मेरा वायदा है कि सशस्त्र संघर्ष के नाम पर अब कोई युवा नहीं मरेगा।

Trending Videos


श्रीनगर में वीरवार को अपनी पार्टी मुख्यालय में प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी के रुक्न-ए-जमात व पुलवामा निवासी तलत माजिद अपने समर्थकों के साथ पार्टी में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टी में शामिल होने के लिए उन पर किसी प्रकार का दबाव नहीं है। वह 2014 से जमात के प्लेटफार्म पर बदलाव की वकालत करते रहे हैं, लेकिन वहां कोई मौका नहीं मिला। इस वजह से उन्होंने अन्य विकल्प अपनाने का फैसला किया। 
विज्ञापन
विज्ञापन


कहा कि 2014 से ही वे कहते रहे हैं कि हमें वास्तविक रुख अपनाना चाहिए। मैंने हमेशा उन हालातों की चर्चा की है जिससे 1.50 लाख युवाओं की मौत हुई तथा 1.10 लाख युवाओं ने नशे को अपना लिया। हमें युवाओं के भविष्य के विषय में सोचना होगा। यह उनका एजेंडा होगा कि युवाओं को बचाया जाए। अब सशस्त्र संघर्ष के नाम पर किसी की जान नहीं जाएगी। यह सामान्य कश्मीरी हैं, जिनकी मौत हुई है। आम कश्मीरियों के विषय में कोई नहीं सोचता। उन्होंने कहा कि अफसोस है कि यह आंदोलन खून चाहता है। उन्होंने नेताओं से पूछा कि आखिर यह किसका खून होगा। क्या गरीब के बेटे का या फिर हम खून देंगे। हमें यह जानना होगा कि कश्मीरियों के पक्ष में कभी भी हथियार नहीं रहा है। 

एक महीने पहले हुर्रियत नेता भी मुख्यधारा में हुए थे शामिल
हुर्रियत कांफ्रेंस के घटक इतिहादुल मुसलिमीन के महासचिव सैय्यद मुजफ्फर रिजवी ने भी अलगाववाद से नाता तोड़ कर एक महीने पहले सितंबर में अपनी पार्टी का दामन थामा था। पार्टी अध्यक्ष ने उन्हें कश्मीर का उपाध्यक्ष नियुक्त किया है। इतिहादुल मुसलिमीन शिया अलगाववादी संगठन रहा है।

जमात 2003 से रहा हुर्रियत का घटक...जमात-ए-इस्लामी हुर्रियत कांफ्रेंस का 2003 से घटक रहा है। अपने को सामाजिक-धार्मिक संगठन होने का दावा करने वाले जमात को प्रतिबंधित आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन का दिमाग माना जाता रहा है। जमात को 2019 में अनैतिक गतिविधि निवारण अधिनियम (यूएपीए) के तहत प्रतिबंधित किया गया था। कई जमात की संपत्तियों को जब्त करने के साथ ही जमात के नेताओं को गिरफ्तार भी किया गया था।

विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed