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Jammu News: दो दिन से नहीं निकली धूप पारा लुढ़कने से बढ़ी ठंड
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- आज बारिश के आसार, स्कूलों में कल से छुट्टियां
- सर्दी से बचने के लिए लोग अलाव का ले रहे सहारा
संवाद न्यूज एजेंसी
सांबा। जिले में बीते दो दिनों से सूर्यदेव के दर्शन नहीं हुए। सुबह-शाम कोहरा और दिन भर बादल छाने से पारा गिरा है। इससे ठंड का प्रकोप शुरू हो गया है। ठिठुरन से लोग घरों में दुबकने को मजबूर हैं। ठंड के प्रकोप को देखते हुए शिक्षा विभाग ने 22 दिसंबर से स्कूलों में छुट्टियों की घोषणा कर दी है।
मौसम विभाग के अनुसार 21 दिसंबर को बारिश की संभावना है। इससे ठंड और बढ़ सकती है। इसे देखते हुए बाजारों में गर्म कपड़ों, रजाइयों, हीटर और ब्लोअर की बिक्री तेज हो गई है। लोग उम्मीद लगाए बैठे हैं कि बारिश के बाद शायद धूप निकले। लोगों का कहना है कि तापमान में लगातार गिरावट से हालत यह है कि सुबह बिस्तर छोड़ना किसी पहाड़ चढ़ने से कम नहीं लग रहा। चाय की दुकानों और चौक-चौराहों पर अलाव अब सिर्फ आग तापने का साधन नहीं बल्कि गपशप और राजनीति से लेकर मौसम को कोसने की चाैपाल बन चुके हैं। लोग लकड़ी, उपले और पुराने फर्नीचर जलाकर आग सेंकते नजर आ रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में महिलाएं ऊनी कपड़ों के ऊपर शॉल और कंबल लपेटे कामकाज कर रही हैं। बुजुर्ग धूप न निकलने से परेशान होकर हीटर और ब्लोअर का सहारा लेने को मजबूर हैं। ठंड से बचने के लिए देसी जुगाड़ भी खूब देखने को मिल रहे हैं। कहीं अदरक-तुलसी की चाय उबल रही है तो कहीं गर्म पानी की बोतलें कंबल के भीतर जगह बना चुकी हैं। बच्चों की शिकायत है कि ठंडे पानी से नहाना मुश्किल हो रहा है।
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- सर्दी से बचने के लिए लोग अलाव का ले रहे सहारा
संवाद न्यूज एजेंसी
सांबा। जिले में बीते दो दिनों से सूर्यदेव के दर्शन नहीं हुए। सुबह-शाम कोहरा और दिन भर बादल छाने से पारा गिरा है। इससे ठंड का प्रकोप शुरू हो गया है। ठिठुरन से लोग घरों में दुबकने को मजबूर हैं। ठंड के प्रकोप को देखते हुए शिक्षा विभाग ने 22 दिसंबर से स्कूलों में छुट्टियों की घोषणा कर दी है।
मौसम विभाग के अनुसार 21 दिसंबर को बारिश की संभावना है। इससे ठंड और बढ़ सकती है। इसे देखते हुए बाजारों में गर्म कपड़ों, रजाइयों, हीटर और ब्लोअर की बिक्री तेज हो गई है। लोग उम्मीद लगाए बैठे हैं कि बारिश के बाद शायद धूप निकले। लोगों का कहना है कि तापमान में लगातार गिरावट से हालत यह है कि सुबह बिस्तर छोड़ना किसी पहाड़ चढ़ने से कम नहीं लग रहा। चाय की दुकानों और चौक-चौराहों पर अलाव अब सिर्फ आग तापने का साधन नहीं बल्कि गपशप और राजनीति से लेकर मौसम को कोसने की चाैपाल बन चुके हैं। लोग लकड़ी, उपले और पुराने फर्नीचर जलाकर आग सेंकते नजर आ रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में महिलाएं ऊनी कपड़ों के ऊपर शॉल और कंबल लपेटे कामकाज कर रही हैं। बुजुर्ग धूप न निकलने से परेशान होकर हीटर और ब्लोअर का सहारा लेने को मजबूर हैं। ठंड से बचने के लिए देसी जुगाड़ भी खूब देखने को मिल रहे हैं। कहीं अदरक-तुलसी की चाय उबल रही है तो कहीं गर्म पानी की बोतलें कंबल के भीतर जगह बना चुकी हैं। बच्चों की शिकायत है कि ठंडे पानी से नहाना मुश्किल हो रहा है।
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