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Jammu: कट्टरपंथ के गढ़ दक्षिण कश्मीर से निकला सफेदपोश आतंकवाद, अब यही है सुरक्षा एजेंसियों की सबसे बड़ी चुनौती

अरुण कुमार, अमर उजाला, जम्मू Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Thu, 13 Nov 2025 04:26 AM IST
सार

अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने के लिए आतंकी संगठनों ने इस मॉड्यूल को तैयार किया है। इस मॉड्यूल में पकड़े और मारे गए चार डॉक्टर दक्षिण कश्मीर से ही तालुक रखते हैं। 

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White-collar terrorism emanating from the extremist stronghold of South Kashmir is a new challenge
आतंकवादी। (प्रतीकात्मक) - फोटो : ANI
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कट्टरपंथ के गढ़ दक्षिण कश्मीर से निकला व्हाइट कॉलर आतंकवाद सुरक्षा एजेंसियों के लिए नई चुनौती है। अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने के लिए आतंकी संगठनों ने इस मॉड्यूल को तैयार किया है। इस मॉड्यूल में पकड़े और मारे गए चार डॉक्टर दक्षिण कश्मीर से ही तालुक रखते हैं। 

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ये क्षेत्र जमात-ए-इस्लामिया और अन्य कट्टर संगठनों का गढ़ रहा है। ये संगठन पढ़े-लिखे युवाओं को धर्म के नाम बरगलाकर देश के खिलाफ कड़ा कर रहे हैं। दिल्ली ब्लास्ट में डाॅ. उमर नबी की संलिप्तता ने बता दिया कि आतंकी संगठनों ने पढ़े-लिखे युवाओं को धर्म के नाम पर बरगलाकर आतंकी बनाने की अपनी रणनीति पर दोबारा काम शुरू कर दिया है।
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ऐसा नहीं है कि पहले पढ़े लिखे युवा आतंकी संगठनों में शामिल नहीं होते थे लेकिन अब इसका दायरा बढ़ गया है। अब डॉक्टर की पढ़ाई करने वाले और डॉक्टर बन चुके युवाओं को दहशतगर्द अपने ग्रुप में शामिल कर रहे हैं। व्हाइट कॉलर टेटर मॉड्यूल इसका प्रमाण है। सुरक्षा एजेंसियों के सामने एक नई तरह की चुनौती है। धर्म या कश्मीर की आजादी के नाम पर पढ़े-लिखे युवाओं को पहले भी आतंकी संगठन बरगलाते रहे हैं। 

बीते कुछ वर्षों में सुरक्षा एजेंसियों ने इस पर काफी सख्ती की थी। अब फिर से इस तरफ चलन बढ़ने को सुरक्षा एजेंसियां बड़ी खतरे की घंटी मान रही हैं। हिजबुल के साथ ही लश्कर, जैश और अंसार गजवा-तुल-हिंद ने ऐसे युवाओं को टारगेट करना शुरू किया है। स्नातक, परास्नातक, व्यावसायिक शिक्षा ग्रहण करने वाले युवा के बाद अब डॉक्टर भी आतंक का दामन थाम रहे हैं।

पूर्व डीजीपी एसपी वैद कहते हैं कि कश्मीर में धर्म के नाम पर युवाओं को बरगलाने पर 2019 के बाद से सुरक्षा एजेंसियों काफी हद तक सख्ती की थी। सोशल मीडिया सहित अन्य प्लेटफार्म पर सख्ती व निगरानी बढ़ाई गई थी। आतंकी संगठन नए-नए हथकंडे अपनाते हैं जिसमें वह कभी कामयाब भी हो जाते हैं।

सफेदपोश आतंकी: कोई बीटेक तो कोई बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर पास

  • बुरहान वानी के मारे जाने के बाद कश्मीर में भड़की हिंसा से ये आतंकी उभरे और अपनी पढ़ाई छोड़कर आतंकी संगठनों का दामन थामा

जाकिर राशिद भट्ट उर्फ मूसा
बीटेक की पढ़ाई की थी। गजवत उल हिंद का चीफ था। ए डबल प्लस श्रेणी का आतंकी था।

खुर्शीद अहमद मलिक
इंजीनियरिंग स्नातक से आतंकवादी बना था। पुलवामा का रहने वाला था। श्री माता वैष्णो देवी यूनिवर्सिटी कटड़ा से बीटेक किया था। अगस्त 2018 में मारा गया था।

मोहम्मद रफी भट
मोहम्मद रफी भट कश्मीर विश्वविद्यालय का असिस्टेंट प्रोफेसर था। फिर आतंकी बना। मई 2018 में शोपियां जिले में हुई मुठभेड़ में मारा गया था।

जुबैर अहमद वानी
एमफिल स्कॉलर था। दक्षिणी कश्मीर के दहरुना गांव का रहने वाला था। मुठभेड़ में मारा गया था। 2021 में मारा गया।

मन्नान बशीर वानी
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का रिसर्च स्कॉलर था। बुरहान वानी के मारे जाने के बाद वह आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन से जुड़ा और कमांडर बना था। 2018 में मारा गया।

रियाज नायकू
गतिण का शिक्षक था। बुरहान वानी और आतंकी कमांडर सद्दाम की मौत के बाद रियाज एक चर्चित आतंकवादी बन गया। 2020 में मुठभेड़ में मारा गया।

जुनैद अशरफ सेहरई
एमबीए किया था। इसके बाद हिजबुल के साथ जुड़ गया था। वो तहरीक-ए-हुर्रियत के चेयरमैन मोहम्मद अशरफ सेहरई का बेटा था। 2020 में मारा गया।

दक्षिम कश्मीर कट्टरपंथता का गढ़
पढ़े लिखे लोग पहले भी आतंकवादी बनते थे और आज भी बन रहे हैं। अमेरिका में 9/11 का हमला करने वाले आतंकी पढ़े लिखे थे। डॉक्टरों के आतंकी माड्यूल में पकड़े गए चार डॉक्टर दक्षिण कश्मीर के रहने वाले हैं। दक्षिण कश्मीर जमात-ए-इस्लामी का गढ़ है। इस संगठन की विचारधारा देश विरोधी है। पाकिस्तान ने 1947 के बाद जम्मू-कश्मीर में पीढ़ीगत कट्टरपंथता शुरू की थी। यह पिछले सात-आठ दशकों तक चलती रही। 1990 में पीढ़ीगत कट्टरपंथता चरम पर थी। पिछले कुछ साल से विकास कार्य और आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई से इसमें कमी आई। पहलगाम हमले के बाद कश्मीरी आतंकवाद और पाकिस्तान के खिलाफ सड़कों पर उतरे तो इसमें कमी आई लेकिन पीढ़ीगत कट्टरपंथता जारी रही। आईएसएआई और जमात-ए-इस्लामी ने इसी का लाभ उठाते हुए कट्टरपंथता का गढ़ रहे दक्षिण कश्मीर से ऐसे लोगों को चुना जिनका पहले का कोई आतंकी रिकॉर्ड न हो जिसका हिस्सा यह डॉक्टर बने।
-बिग्रेडियर विजय सागर, सेवानिवृत्त

 

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