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Jharkhand: CM सोरेन ने होटवार में झारखंड के पहले मिल्क पाउडर प्लांट की रखी नींव, धोनी के उदाहरण पर कही ये बात

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, रांची Published by: शबाहत हुसैन Updated Fri, 06 Jun 2025 08:10 PM IST
सार

Jharkhand: सीएम सोरेन ने महेंद्र सिंह धोनी का उदाहरण देते हुए कहा कि जब एक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर खेती में नए मुकाम हासिल कर सकते हैं, तो दिन-रात खेती से जुड़े किसान क्यों नहीं कर सकते। उन्होंने बताया कि खेती के साथ-साथ उसके उत्पादों का वैल्यू एडिशन यानी उन्हें प्रोसेस कर बाजार में बेहतर कीमत पर बेचने की व्यवस्था भी जरूरी है। पढ़ें पूरी खबर

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Jharkhand: CM Soren laid the foundation of Jharkhand's first milk powder plant in Hotwar
सीएम हेमंत सोरेन - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने आज रांची के होटवार स्थित मेधा डेयरी प्लांट में झारखंड के पहले मिल्क पाउडर प्लांट की आधारशिला रखी। इस मौके पर उन्होंने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार लगातार इस दिशा में काम कर रही है कि किसानों की आमदनी बढ़े और वे मजबूत, आत्मनिर्भर और खुशहाल बनें।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि खेती सिर्फ एक पेशा नहीं, बल्कि देश और राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। इसलिए सरकार खेती और उससे जुड़े क्षेत्रों को मजबूती देने के लिए कई योजनाएं चला रही है। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे सरकार की योजनाओं से जुड़ें और अपने जीवन को बेहतर बनाएं।

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कृषि को व्यवसायिक रूप देने पर जोर
हेमन्त सोरेन ने कहा कि अब वक्त है कि खेती को व्यवसायिक रूप दिया जाए। उन्होंने महेंद्र सिंह धोनी का उदाहरण देते हुए कहा कि जब एक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर खेती में नए मुकाम हासिल कर सकते हैं, तो दिन-रात खेती से जुड़े किसान क्यों नहीं कर सकते। उन्होंने बताया कि खेती के साथ-साथ उसके उत्पादों का वैल्यू एडिशन यानी उन्हें प्रोसेस कर बाजार में बेहतर कीमत पर बेचने की व्यवस्था भी जरूरी है। मुख्यमंत्री ने इस कार्यक्रम में ‘मेधा रागी लड्डू’, ‘मेधा सूधन खाद’ और चारा बनाने की मशीन ‘साइलेज’ की भी शुरुआत की।

पशुपालन और दुग्ध उत्पादन पर विशेष ध्यान

मुख्यमंत्री ने कहा कि खेती के साथ पशुपालन भी आर्थिक मजबूती का जरिया बन सकता है। सरकार अब किसानों और पशुपालकों को जो पशु देती है, उनका बीमा भी करा रही है। अगर किसी कारण से पशु की मौत हो जाए, तो किसान को नुकसान न उठाना पड़े।

 
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सरकार की योजना है कि आने वाले 5 से 7 साल में झारखंड दूध, मछली और मीट उत्पादन में न केवल आत्मनिर्भर बने, बल्कि इन्हें दूसरे राज्यों में भी भेज सके। इसके लिए दूध संग्रहण, बाजार उपलब्धता और किसानों को उचित दाम देने की दिशा में काम हो रहा है।

कृषि से पर्यावरण को नहीं होता नुकसान
मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां बड़े-बड़े उद्योग पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं, वहीं खेती एक ऐसा क्षेत्र है जिससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होता। उन्होंने कहा कि आज बच्चों में कुपोषण बढ़ने का कारण रसायन युक्त और नकली भोजन है। अगर हर घर में पशुपालन हो, तो लोगों को शुद्ध और पौष्टिक भोजन मिल सकता है। हेमन्त सोरेन ने दोहराया कि किसान हमारी प्राथमिकता हैं। सरकार उनकी भलाई के लिए लगातार काम कर रही है, ताकि राज्य का हर किसान सशक्त बन सके।

कार्यक्रम में मौजूद प्रमुख लोग
इस कार्यक्रम में कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की, विधायक सुरेश बैठा, सचिव अबू बकर सिद्दीक, पशुपालन निदेशक किरण पासी, राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के अध्यक्ष मीनेश शाह और झारखंड मिल्क फेडरेशन के मैनेजिंग डायरेक्टर जयदेव विश्वास शामिल हुए।

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