झारखंड का स्थापना दिवस: जब सीएम ने बजाया नगाड़ा, तो झूम उठे 4 हजार कलाकार; जनजातीय संस्कृति की दिखी अनोखी झलक
झारखंड राज्य गठन के 25 वर्ष पूरे होने पर रांची में भव्य जतरा झांकी निकाली गई, जिसमें चार हजार से अधिक कलाकारों ने जनजातीय संस्कृति की शानदार प्रस्तुति दी। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी रैली में शामिल हुए और कलाकारों का उत्साह बढ़ाया।
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झारखंड राज्य गठन के 25 वर्ष पूरे होने पर पूरे राज्य में रजत पर्व उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। राजधानी रांची में रविवार को आयोजित ऐतिहासिक जतरा झांकी इस उत्सव का मुख्य आकर्षण बनी। झांकी में राज्य की समृद्ध जनजातीय परंपराओं, कला और सांस्कृतिक विरासत को भव्य रूप से प्रदर्शित किया गया।
कार्यक्रम में 32 जनजातीय समुदायों के कलाकारों ने हिस्सा लिया, जिन्होंने अपनी पारंपरिक वेशभूषा, नृत्य और लोकगीतों के माध्यम से झारखंड की पहचान को जीवंत किया। लगभग चार हजार से अधिक कलाकारों की भागीदारी के साथ निकली यह झांकी डोरंडा के जैप ग्राउंड से शुरू होकर मेन रोड होते हुए ऐतिहासिक अल्बर्ट एक्का चौक पहुंची। झांकी के दौरान ढोल-नगाड़ों की थाप पर पारंपरिक नृत्य और गीतों ने पूरे शहर में उत्सवी माहौल बना दिया।
अल्बर्ट एक्का चौक पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मंच से कलाकारों का अभिनंदन किया। जनजातीय संस्कृति के संरक्षण के इस प्रयास की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री ने कलाकारों को पानी, गुड़ और चना बांटकर उनका स्वागत किया। इसके साथ ही उन्होंने पारंपरिक ढाक और ढोलक बजाकर लोगों का उत्साह और बढ़ा दिया।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कुछ दूरी तक जतरा रैली में स्वयं शामिल हुए और कलाकारों के साथ कदमताल करते हुए झांकी का हिस्सा बने। उनके इस सहभागितापूर्ण रवैये ने कलाकारों और मौजूद जनता में विशेष उत्साह पैदा किया।
रजत पर्व के अवसर पर आयोजित इस भव्य जतरा झांकी ने यह स्पष्ट कर दिया कि झारखंड अपनी जनजातीय संस्कृति, कला और लोकधरोहर में कितना समृद्ध है। राजधानी की सड़कों पर उमड़ी भीड़ और नृत्य-संगीत की गूंज ने पूरे शहर को एक रंगीन सांस्कृतिक उत्सव में बदल दिया। यह आयोजन न केवल परंपराओं का सम्मान था, बल्कि झारखंड की अनूठी पहचान को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का सार्थक प्रयास भी था। वहीं, सुरक्षा को लेकर पूरे अल्बर्ट एक्का चौक को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया था। डीसी और एसएसपी खुद मोर्चा संभालते दिखे।
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