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Ranchi violence: झारखंड हाईकोर्ट ने मामले की जांच की गति पर नाखुशी जताई, कहा- सरकार मामले को 'कचरा' मान रही
पीटीआई, रांची।
Published by: देव कश्यप
Updated Fri, 19 Aug 2022 04:08 AM IST
सार
भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नुपुर शर्मा की पैगंबर मोहम्मद पर की गई विवादित टिप्पणी को लेकर रांची में 10 जून को हिंसक विरोध-प्रदर्शन हुआ था, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
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झारखंड हाईकोर्ट
- फोटो : Social Media
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विस्तार
झारखंड की राजधानी रांची में 10 जून को हुई हिंसा मामले की जांच की धीमी गति पर नाखुशी जताते हुए झारखंड उच्च न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि राज्य सरकार मामले में गंभीरता नहीं दिखा रही है। उच्च न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार इस मामले को 'कचरा' की तरह मान रही है।
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गौरतलब है कि भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नुपुर शर्मा की पैगंबर मोहम्मद पर की गई विवादित टिप्पणी को लेकर रांची में 10 जून को हिंसक विरोध-प्रदर्शन हुआ था, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
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झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ रवि रंजन व न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की खंड पीठ ने रांची हिंसा की जांच की मांग वाली जनहित याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए कहा कि जांच अच्छी तरह से आगे नहीं बढ़ रही है और ऐसा लगता है कि "प्रशासन ने इसे कचरे में फेंकने वाला बेकार कागज मान रहा है"। उच्च न्यायालय ने इस घटना के संबंध में दर्ज सभी 32 प्राथमिकियों में से सिर्फ एक ही प्राथमिकी सीआईडी को सौंपे जाने पर सवाल खड़ा किया और पूछा कि अन्य प्राथमिकियों में जांच की क्या स्थिति है।
अदालत ने यह भी पूछा कि इतने गंभीर मामले में जांच के बीच में रांची के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एवं संबद्ध डेली मार्केट थाने के थानेदार को आखिर स्थानांतरित क्यों किया गया? अदालत ने इस मामले में सीआईडी की केस डायरी तलब करने के साथ ही रांची के तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और डेली मार्केट थाना प्रभारी के स्थानांतरण से संबंधित फाइल अदालत में पेश करने का निर्देश दिया।
पीठ ने टिप्पणी की कि इस मामले की जांच सही दिशा में नहीं की जा रही है और सिर्फ एक मामले को ही सीआईडी को क्यों सौंपा गया। अदालत ने पुलिस महानिदेशक को स्पष्टीकरण देने और मामले में जांच की वर्तमान स्थिति की रिपोर्ट देने के लिए एक हलफनामा दायर करने का आदेश दिया।
इस बीच, राज्य सरकार की ओर से पेश अपर महाधिवक्ता आशुतोष आनंद ने अदालत को बताया कि चूंकि इस घटना में पुलिस की गोलीबारी में दो लोगों की मौत हुई थी, इसलिए मामला सीआईडी को सौंप दिया गया। हालांकि पीठ सरकारी वकील की दलीलों से संतुष्ट नहीं हुई और अदालत ने वर्ष 2010 के बाद ऐसे सभी मामलों की सूची पेश करने को कहा, जिनमें पुलिस की गोली से लोग घायल हुए हैं और उसकी जांच सीआईडी को सौंपी गई है।
जनहित याचिका में पंकज कुमार यादव ने उच्च न्यायालय से 10 जून की हिंसा को पूरी तरह सुनियोजित साजिश बताया है और इसकी उचित ढंग से निष्पक्ष जांच कराने का अनुरोध किया है। याचिकाकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि हिंसा के अपराधियों के वीडियो फुटेज प्रत्यक्षदर्शियों को नहीं दिखाए गए ताकी उनकी पहचान नहीं हो सके।