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Jharkhand: श्रावणी मेले में बेचे गए पेड़ों में मिलावट, सैंपल में मिट्टी की मिलावट व सिंथेटिक खोवे का उपयोग
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, रांची
Published by: शबाहत हुसैन
Updated Fri, 05 Dec 2025 08:08 AM IST
सार
Jharkhand: देवघर मंदिर के चार नंबर गेट के पास पेड़ा बेचने वाले कई दुकानदारों ने इस पर नाराजगी जताई। दुकानदार राधेश्याम केशरी, मदन गोप और मोहन कुमार ने कहा कि प्रसाद में मिलावट करना अत्यंत निंदनीय है
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पेड़ें
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
झारखंड के पवित्र बाबाधाम देवघर में आयोजित राजकीय श्रावणी मेले के दौरान बेचे गए पेड़ों में बड़े पैमाने पर मिलावट की पुष्टि हुई है। सावन महीने में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु देवघर पहुंचते हैं और बाबा को अर्पित किए जाने वाले प्रसाद के रूप में पेड़ा खरीदना परंपरा का अहम हिस्सा है। बढ़ी हुई मांग का फायदा उठाकर कई मुनाफाखोर नकली मेवा और घटिया सामग्री से पेड़ा तैयार कर महंगे दामों पर बेचते हैं।
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इसी को रोकने के लिए खाद्य सुरक्षा विभाग ने मेले के दौरान करीब छह दर्जन दुकानों से पेड़े के नमूने जब्त किए थे। रांची स्थित लैब में हुई जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ—कई सैंपल में मिट्टी की मिलावट तथा सिंथेटिक खोवा का उपयोग पाया गया है। विभाग अब मिलावट करने वाले दुकानदारों को नोटिस भेजने और कानूनी कार्रवाई शुरू करने की तैयारी में है।
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देवघर मंदिर के चार नंबर गेट के पास पेड़ा बेचने वाले कई दुकानदारों ने इस पर नाराजगी जताई। दुकानदार राधेश्याम केशरी, मदन गोप और मोहन कुमार ने कहा कि प्रसाद में मिलावट करना अत्यंत निंदनीय है और ऐसा करने वालों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। उनका कहना है कि मिलावटी पेड़ा खाने से पेट से जुड़ी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।
जानकारों की मानें तो हर साल श्रावणी मेले से पहले मिलावटी खोवा तैयार करने का एक पूरा नेटवर्क सक्रिय हो जाता है। बिहार और यूपी के बड़े कारोबारी पाउडर दूध और लोथ मंगवाकर मशीन से खोवा तैयार करते हैं, जिससे लागत कम आती है। यही खोवा बाद में पेड़ा बनाने में इस्तेमाल होता है। खाद्य सुरक्षा अधिकारी एस.के. सिंह ने कहा कि जांच रिपोर्ट के आधार पर दोषी दुकानदारों पर नियम संगत कार्रवाई की जाएगी।