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Big Picture: क्वांटम थिंकिंग अपनाएं, पूरी तस्वीर देखकर जटिल समस्या का हल खोजें; चुनौतियों को समझना होगा आसान
गन्ना पोगरेबना, हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू
Published by: शाहीन परवीन
Updated Fri, 28 Nov 2025 09:22 AM IST
सार
Quantum Thinking: क्वांटम थिंकिंग हमें सिखाती है कि किसी भी समस्या को अकेले न देखें, बल्कि पूरे सिस्टम के साथ जोड़कर समझें। जब हम बड़ी तस्वीर देखते हैं, तो समाधान खुद-ब-खुद साफ दिखने लगते हैं।
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सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : freepik
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विस्तार
Quantum Thinking: आजकल पढ़ाई, कॅरिअर और कामकाजी जीवन में कई ऐसी चुनौतियां आती हैं, जिन्हें साधारण तरीकों से हल नहीं किया जा सकता। ये ऐसी जटिल समस्याएं होती हैं, जिनमें कई कारण आपस में जुड़े होते हैं और एक-दूसरे को लगातार प्रभावित करते रहते हैं। क्वांटम थिंकिंग इन उलझनों को समझने में मदद करती है, क्योंकि यह हर चीज को अलग-अलग हिस्सों की तरह नहीं, बल्कि एक जुड़े हुए पूरे सिस्टम के रूप में देखने की क्षमता रखती है। इसकी खासियत यह है कि यह बड़े और कई स्तरों वाली समस्याओं के छिपे प्रभावों को भी पहचान पाती है।
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ऐसे ही, क्वांटम थिंकिंग छात्रों तथा पेशेवरों दोनों को जटिल समस्याओं में स्पष्ट दिशा देती है। छात्रों के लिए, यह सोच उन्हें केवल रटने के बजाय यह समझने में सक्षम बनाती है कि एक विषय दूसरे से कैसे जुड़ा है, जिससे पढ़ाई और सरल होती है। वहीं पेशेवरों के लिए, यह मदद करती है कि वे किसी निर्णय को सिर्फ अपने हिस्से से नहीं देखते, बल्कि समझते हैं कि उसका असर कहां-कहां पड़ेगा।
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निर्भरताओं को समझें
क्वांटम थिंकिंग में आप सिर्फ ‘क्या करना है’ नहीं सोचते, बल्कि यह भी समझते हैं कि हर कदम बाकी हिस्सों को कैसे बदल सकता है। छात्र इससे अपने अलग-अलग विषयों और दिनचर्या को जोड़कर समझते हैं कि एक क्षेत्र में मेहनत दूसरे क्षेत्रों को कैसे प्रभावित करेगी। पेशेवर यह पहचानते हैं कि कोई फैसला सिर्फ आज के नतीजों के लिए नहीं होता, वह पूरी टीम, प्रोजेक्ट और संगठन पर निर्भर भी रहता है। यह तरीका जटिल स्थिति में भी दिमाग को एक सही दिशा में ले जा सकता है
अनिश्चितता बोझ नहीं
जब दिमाग यह मानने लगता है कि हर स्थिति में पूरी जानकारी मिलना जरूरी नहीं है, तब अनिश्चितता बोझ नहीं लगती। छाuत्र इस सोच से फायदा पाते हैं, क्योंकि वे पढ़ाई में छोटे-छोटे बदलावों या अधूरी समझ से घबराते नहीं, जिससे उनकी तैयारी स्थिर और संतुलित बनी रहती है। वहीं पेशेवर अधूरी जानकारी होने पर भी रुकते नहीं, बल्कि मौजूदा संकेतों को समझकर आगे बढ़ने का आत्मविश्वास विकसित करते हैं।