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Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2025: आज है छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती, जानें मराठा सम्राट के बारे में

लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला Published by: शिवानी अवस्थी Updated Wed, 19 Feb 2025 09:12 AM IST
सार

शिवाजी महाराज की जयंती हर साल 19 फरवरी को मनाई जाती है। इस दिन उनके शौर्य, नेतृत्व और प्रेरणादायक जीवन को याद किया जाता है। आइए जानते हैं छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन से जुड़े कुछ रोचक किस्से।

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Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2025 Kab Hai Date History And Interesting Facts
छात्रपति शिवा जी महाराज जयंती - फोटो : Amar ujala
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विस्तार
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Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2025 : मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज भारतीय इतिहास के सबसे वीर और कुशल योद्धाओं में से एक हैं, जिनकी शौर्यगाथा इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। शिवाजी महाराज का नाम हर मराठा गर्व के साथ लेता है। वह केवल महाराष्ट्र ही नहीं, पूरे देश में वीरता की मिसाल हैं।

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उन्हें न केवल रणनीतिक बुद्धिमत्ता के लिए जाना जाता है, बल्कि एक सशक्त मराठा साम्राज्य की नींव रखने के लिए भी जाना जाता है। शिवाजी महाराज की जयंती हर साल 19 फरवरी को मनाई जाती है। इस दिन उनके शौर्य, नेतृत्व और प्रेरणादायक जीवन को याद किया जाता है। आइए जानते हैं छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन से जुड़े कुछ रोचक किस्से।
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शिवाजी भोंसले का जन्म

शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 को शिवनेरी किले में हुआ था। उनके पिता शाहजी भोंसले बीजापुर के एक सेनापति थे। माता जीजाबाई ने उन्हें बचपन से ही धर्म, नैतिकता और युद्ध कौशल की शिक्षा दी। कहा जाता है कि जीजाबाई ने उन्हें रामायण और महाभारत की कहानियां सुनाकर एक महान योद्धा बनने के लिए प्रेरित किया।

तोरणा किले की पहली विजय

शिवाजी महाराज ने 16 साल की उम्र में ही बीजापुर के तोरणा किले पर कब्जा कर लिया था। यह उनकी पहली जीत थी, जिस ने उनकी वीरता और दूरदर्शिता को साबित किया। इसके बाद उन्होंने कई अन्य किलों को जीता और मराठा साम्राज्य की नींव रखी।

बीजापुर के सुल्तान ने शिवाजी महाराज को हराने के लिए अफजल खान नामक एक क्रूर सेनापति को भेजा। उसने शिवाजी को धोखे से मारने की योजना बनाई और उन्हें मिलने के लिए बुलाया। लेकिन शिवाजी महाराज ने पहले ही इस चाल को भांप लिया था। जब अफजल खान ने शिवाजी को गले लगाने के बहाने वार करने की कोशिश की तो उन्होंने अपने नाखून जैसे हथियार से उसका वध कर दिया।

धोखे से बनाया बंदी

औरंगजेब ने शिवाजी महाराज को आगरा बुलाकर धोखे से बंदी बना लिया। उन्हें आगरा के किले में कड़े पहरे में रखा गया। लेकिन शिवाजी ने बुद्धिमत्ता और चालाकी से खुद को बचाया। उन्होंने बीमार होने का नाटक किया और अपने भोजन की टोकरियों में खुद को छिपाकर बाहर निकलने की योजना बनाई। इस चतुराई भरी योजना के जरिए वे आगरा किले से बचकर सफलतापूर्वक महाराष्ट्र लौटे।

छत्रपति शिवाजी महाराज ने स्वराज्य की अवधारणा को साकार किया और मुगलों, आदिलशाह और पुर्तगालियों से संघर्ष करते हुए एक स्वतंत्र मराठा साम्राज्य की स्थापना की। 6 जून 1674 को रायगढ़ किले में भव्य समारोह में उनका राज्याभिषेक हुआ। वे आधिकारिक रूप से "छत्रपति" बने और अपने शासन को हिंदवी स्वराज का नाम दिया।

शिवाजी महाराज ने भारत में पहली बार एक शक्तिशाली नौसेना की स्थापना की। उन्होंने अरब सागर में पुर्तगाली, ब्रिटिश और डच ताकतों से मुकाबला करने के लिए मजबूत जहाज तैयार किए। इसलिए उन्हें "भारतीय नौसेना का जनक" भी कहा जाता है।

शिवाजी महाराज ने हमेशा महिलाओं का सम्मान किया और अपने सैनिकों को स्त्रियों के सम्मान की रक्षा करने का आदेश दिया। उन्होंने किसानों की रक्षा के लिए कर प्रणाली में सुधार किया। उन्होंने कोई भी धार्मिक भेदभाव नहीं किया और सभी धर्मों का सम्मान किया।

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