Corona: देश में फैल रहे वैरिएंट्स के खिलाफ कितनी प्रभावी हैं अब तक की वैक्सीन? वैज्ञानिकों ने दी बड़ी जानकारी
- शोधकर्ताओं ने पाया कि XFG वैरिएंट जिसे स्ट्राटस नाम से भी जाना जाता है, इसमें दो स्पाइक म्यूटेशन हैं। ये कोरोना को लक्षित करने वाले एंटीबॉडीज से बचने में मदद करते हैं।
- वैक्सीन इसके खिलाफ कितनी असरदार हैं? आइए समझते हैं।

विस्तार
Covid-19 Study: कोविड महामारी पिछले करीब पांच साल से वैश्विक स्तर पर गंभीर समस्याओं का कारण बनी हुई है। पिछले दिनों भारत में भी एक लहर देखी गई हालांकि इसकी रफ्तार अब काफी नियंत्रित हो गई है। मई के मध्य से देश में निंबस (Nimbus) और स्ट्राटस (Stratus) वैरिएंट के कारण संक्रमण बढ़ता हुआ देखा गया। 22 मई को देश में कोरोना के कुल एक्टिव केस 257 थे जो 15 जून तक देखते ही देखते बढ़कर 7400 हो गए। हालांकि अब इसमें फिर से कमी आने लगी है। 23 जून को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा साझा की गई जानकारियों को मुताबिक फिलहाल देश में कुल एक्टिव केस 4425 हैं।

पिछले 24 घंटे में देश में कोरोना से एक व्यक्ति की मौत भी हुई है। 58 वर्षीय व्यक्ति को कार्डियोपल्मोनरी अरेस्ट के साथ टाइप-I श्वसन विफलता समस्या थी, कोरोना संक्रमण के चलते स्थिति और बिगड़ गई जिससे उसकी मौत हो गई। इसके साथ देश में अब तक इस साल कोरोना से मरने वालों की संख्या बढ़कर 124 हो गई है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा, देश में भले ही इन दिनों कोरोना के मामलों में कमी आ रही है पर सभी लोगों को अब भी विशेष सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता है ताकि संक्रमण की रफ्तार फिर से बढ़ने न पाए।

वैज्ञानिकों ने कहा- लगातार घट रही है एंटीबॉडी
हाल ही में एक रिपोर्ट में चाइनीज यूनिवर्सिटी ऑफ हांगकांग में श्वसन चिकित्सा के प्रोफेसर डेविड हुई शू-चियोंग ने बताया है कि वैश्विक आबादी में एंटीबॉडी के स्तर में गिरावट के कारण हर छह से नौ महीने में कोरोना का प्रकोप देखा जाता रहा है, ये आगे भी जारी रह सकता है। इससे बचाव को लेकर हमें पहले से अलर्ट रहने की आवश्यकता है।
बार-बार फैलते संक्रमण के जोखिमों को देखते हुए स्वास्थ्य विशेषज्ञ ने सभी उच्च जोखिम वाले लोगों को सालाना कोविड वैक्सीनेशन कराने की सलाह दी है जिससे कि शरीर को रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत किया जा सके।

नए वैरिएंट्स के खिलाफ कितने प्रभावी हैं टीके
दुनिया के कई देशों में जारी कोरोना के संक्रमण को लेकर विशेषज्ञों की टीम ने एक अध्ययन किया। जिसमें शोधकर्ताओं ने पाया कि XFG वैरिएंट जिसे स्ट्राटस नाम से भी जाना जाता है, इसमें दो स्पाइक म्यूटेशन हैं। ये कोरोना को लक्षित करने वाले एंटीबॉडीज से बचने में मदद करते हैं। इन म्यूटेशंस में से एक इसे एंटीबॉडी के व्यापक को चकमा देने में भी मदद कर रही है, जिससे प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए इसे बेअसर करना और संक्रमण फैलाना आसान हो जाता है।
वैज्ञानिकों ने पाया कि ये वैरिएंट्स भले ही अति संक्रामकता वाले नजर आते हैं पर जिन लोगों का वैक्सीनेशन हो चुका है, उन्हें कोरोना से ज्यादा खतरा नहीं होना चाहिए।

वैक्सीनेशन की प्रभाविकता पर अध्ययन
इस विषय को समझने के लिए शोधकर्ताओं की टीम ने वैक्सीनेशन करा चुके और फिर पहले से संक्रमित लोगों के ब्लड सैंपल लेकर एंटीबॉडी प्रभावशीलता की जांच की। टीम ने पाया कि XFG वैरिएंट के खिलाफ एंटीबॉडी प्रभावशीलता में लगभग 2 गुना, जबकि NB.1.8.1 के खिलाफ लगभग 1.6 गुना कमी देखी गई।
हालांकि वैज्ञानिकों ने बताया कि जिन लोगों का पहले से टीकाकरण हो चुका है, विशेष रूप से अपडेट किए गए बूस्टर शॉट्स ले चुके हैं उनमें बीमारी होने और संक्रमण के गंभीर रूप लेने का खतरा कम हो सकता है।

डब्ल्यूएचओ ने इन 6 वैरिएंट्स को माना है खतरनाक
डब्ल्यूएचओ ने एक अपडेटस में 23 मई 2025 तक कोरोना के 6 वैरिएंट्स को वैरिएंट ऑफ मॉनिटरिंग वर्गीकृत किया था।
ये 6 वैरिएंट्स KP.3, KP.3.1.1, LB.1, XEC, LP.8.1और NB.1.8.1 हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक वैज्ञानिकों की टीम ने इन वैरिएंट्स में कुछ अतिरिक्त म्यूटेशंस देखे हैं जो इसकी संक्रामकता का तेजी से बढ़ाने वाले हो सकते हैं। वैज्ञानिकों ने पाया है कि ये वैरिएंट किसी आबादी में तेजी से संक्रमण बढ़ाने का कारण बन सकते हैं जिसे लेकर सभी लोगों को अलर्ट रहने की आवश्यकता है।
-------------
नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।