Alert: साल 2050 तक दुनियाभर में आधे से ज्यादा वयस्क हो सकते हैं मोटापे का शिकार, शहरों में सबसे ज्यादा संकट
- विशेषज्ञों ने चिंता जताते हुए बताया है कि देश में फिलहाल हर चार में से एक भारतीय वयस्क अब मोटापे का शिकार है। ये स्थिति भविष्य में हृदय रोग, डायबिटीज और कैंसर सहित कई गंभीर बीमारियों के कारण स्वास्थ्य क्षेत्र पर अतिरिक्त दबाव बढ़ाने वाली हो सकती है
विस्तार
लाइफस्टाइल और खानपान की गड़बड़ी ने इंसानी सेहत को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है।लिहाजा डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोग अब पहले की तुलना में काफी आम हो गए हैं। इन सभी बीमारियों को बढ़ावा देने में अधिक वजन-मोटापे को प्रमुख कारण माना जाता है। बच्चों से लेकर युवाओं और बुजुर्गों तक सभी मोटापे का शिकार हो रहे हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, मोटापा की समस्या तेजी से बढ़ती जा रही है और इसके परिणाम काफी गंभीर हो सकते हैं। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 10 वर्षों में देश में अधिक वजन और मोटापे के मामलों में लगभग 20-25% तक बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
इसी से संबंधित एक हालिया अध्ययन की रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने चिंता जताते हुए बताया है कि देश में फिलहाल हर चार में से एक वयस्क मोटापे से ग्रस्त है। ये स्थिति भविष्य में हृदय रोग, डायबिटीज और कैंसर सहित कई गंभीर बीमारियों के कारण स्वास्थ्य क्षेत्र पर अतिरिक्त दबाव बढ़ाने वाली हो सकती है, जिसको लेकर सभी लोगों को अलर्ट हो जाना चाहिए।
दिल्ली में मोटापे की स्थिति
दिल्ली में टोनी ब्लेयर इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल चेंज की एक रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने सावधान करते हुए कहा है कि भारत अभी एक ऐसे मोड़ पर है, जहां शहरी और ग्रामीण दोनों इलाकों में मोटापे से होने वाली बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। राष्ट्रीय डेटा पहले से ही दिखाता है कि यह समस्या कितनी गंभीर हो गई है।
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 2019-21 का हवाला देते हुए, अध्ययनकर्ताओं ने कहा कि कि दिल्ली में 41 प्रतिशत महिलाएं मोटापे का शिकार हैं, जबकि मेघालय में यह आंकड़ा 12 प्रतिशत है। इसके अलावा, दिल्ली में 6 से 16 साल के 22.8 प्रतिशत बच्चे मोटे हैं, जबकि महाराष्ट्र में यह आंकड़ा 13.6 प्रतिशत है।
मोटापा और इसके दुष्प्रभावों के कारण स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ता असर
इस रिपोर्ट में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा, देश में 24 प्रतिशत महिलाएं और 23 प्रतिशत पुरुष या तो अधिक वजन वाले हैं या मोटापे से ग्रस्त हैं, जो 30 साल पहले की तुलना में लगभग पांच गुना अधिक है। शहरों में ये संकट और भी अधिक है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह पैटर्न एक बड़े ग्लोबल ट्रेंड का हिस्सा है। पिछले दो दशकों में दुनियाभर में हेल्थकेयर पर खर्च दोगुना हो गया है, लोगों की स्वस्थ जीवन की आयु भी कम होती जा रही है। बीमारियों के इलाज के लिए बना हेल्थ सिस्टम अब बढ़ती मांग और घटते रिसोर्स के दबाव में हैं। 1990 से दुनियाभर में मोटापे की दर दोगुनी हो गई है और अब यह लगभग एक अरब लोगों को प्रभावित कर रही है। अगर यह ट्रेंड जारी रहा, तो 2050 तक दुनियाभर के आधे से ज्यादा वयस्क अधिक वजन वाले या मोटापे का शिकार हो सकते हैं।
शारीरिक और आर्थिक दोनों तरह का संकट
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि मोटापा पहले से ही भारत में बीमारियों का बोझ बढ़ा रहा है और अर्थव्यवस्था पर दबाव डाल रहा है।
मोटापे की वजह से भारत को हर साल स्वास्थ्य क्षेत्र पर लगभग 2.4 बिलियन डॉलर का खर्च आता है और यह देश के आर्थिक आउटपुट को लगभग 28.9 बिलियन डॉलर कम कर देता है, जो जीडीपी का लगभग एक प्रतिशत है। यानी मोटापे के कारण बीमारियां तो बढ़ ही रही हैं साथह ही आर्थिक रूप से भी देश को काफी नुकसान पहुंच रहा है।
मोटापे को कंट्रोल करने वाले उपाय जरूरी
टोनी ब्लेयर इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल चेंज के कंट्री डायरेक्टर विवेक अग्रवाल ने कहा कि भारत को मोटापे की रोकथाम के लिए व्यापक प्रयास करते रहने की जरूरत है। टेक्नोलॉजी, डेटा और कम्युनिटी-आधारित प्लान को लेकर भारत न केवल मोटापे के बढ़ते बोझ को कम कर सकता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मजबूत, हेल्थ सिस्टम भी दे सकता है।
सही प्रयासों से मोटापे की समस्या को कंट्रोल किया जा सकता है। व्यक्तिगत स्तर पर संतुलित और प्राकृतिक आहार के सेवन को बढ़ाना, शारीरिक गतिविधि बढ़ाना और तनाव को कंट्रोल करना इसमें आपके लिए सहायक हो सकता है।
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स्रोत
Building on Success to Secure India’s Future Health
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