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Dhanteras 2025: राजस्थान की वो पारंपरिक जगहें जहां धनतेरस पर होती है अनोखी पूजा
लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शिवानी अवस्थी
Updated Tue, 14 Oct 2025 01:05 PM IST
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सार
Dhanteras 2025 in Rajasthan: अगर आप राजस्थान की इस सांस्कृतिक धनतेरस का अनुभव करना चाहते हैं, तो 18 अक्टूबर 2025 के आसपास का सप्ताह योजना में रखें। जयपुर, नाथद्वारा, पुष्कर और उदयपुर के बीच यात्रा मार्ग बेहद मनोहारी है। धनतेरस की अनोखी पूजा देखनी हैं तो राजस्थान की सैर करें।

धनतेरस
- फोटो : instagram
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विस्तार
Dhanteras 2025 in Rajasthan: राजस्थान जहां हर गली, हर मंदिर, हर हवेली में परंपरा की झलक दिखती है। राजस्थान का हर शहर, हर कस्बा अपनी विशिष्ट पूजा परंपरा के लिए जाना जाता है। यहां धनतेरस सिर्फ सोना-चांदी खरीदने का दिन नहीं, बल्कि धन की देवी लक्ष्मी, कुबेर देवता और भगवान धन्वंतरि की अनोखी आराधना का उत्सव है। अगर आप राजस्थान की इस सांस्कृतिक धनतेरस का अनुभव करना चाहते हैं, तो 18 अक्टूबर 2025 के आसपास का सप्ताह योजना में रखें। जयपुर, नाथद्वारा, पुष्कर और उदयपुर के बीच यात्रा मार्ग बेहद मनोहारी है। धनतेरस की अनोखी पूजा देखनी हैं तो राजस्थान की सैर करें।

जयपुर
राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर में ‘सुवर्ण दीपदान’ की परंपरा है। धनतेरस की शाम को लक्ष्मी नारायण मंदिर जिले बिड़ला मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, में हजारों दीये जलाए जाते हैं। लोग मानते हैं कि इस दिन चांदी या पीतल के बर्तन में दीप जलाकर मां लक्ष्मी का स्वागत करने से घर में सालभर समृद्धि बनी रहती है। जयपुर की गलियां रात में सुनहरी रोशनी से नहा उठती हैं।
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नाथद्वारा
राजसमंद ज़िले के नाथद्वारा में श्रीनाथजी मंदिर में धनतेरस पर भक्त चांदी के सिक्के अर्पित करते हैं। यहां धन का अर्थ सिर्फ संपत्ति नहीं, बल्कि भक्ति माना जाता है। भक्त अपने पुराने सिक्के बदलकर नए सिक्के चढ़ाते हैं, जो आने वाले वर्ष में शुभ माने जाते हैं।
उदयपुर
धनतेरस पर उदयपुर में भगवान धन्वंतरि की विशेष पूजा की जाती है। झीलों के शहर में झील दीपोत्सव और आरोग्य पूजा का आयोजन होता है, लोग अपने परिवार के स्वास्थ्य की कामना करते हैं। झील पिचोला और फतेहसागर की लहरों पर तैरते दीपकों का दृश्य अद्भुत होता है।
जोधपुर
जोधपुर के मेहरानगढ़ किले के आसपास के प्राचीन मंदिरों में कुबेर पूजन की परंपरा है। माना जाता है कि जोधपुर के पुराने राजाओं ने धनतेरस पर पहली बार राजकोष की पूजा की थी। आज भी व्यापारी समुदाय इस दिन नए खाते या बही खाते पूजते हैं, जिसे “खाता पूजन” कहा जाता है।
पुष्कर
अजमेर ज़िले के पुष्कर में एक दुर्लभ मंदिर है जो भगवान धन्वंतरि को समर्पित है। यहां धनतेरस पर दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। इस दिन यहां आरोग्य यज्ञ और स्वास्थ्य दीपदान का आयोजन होता है। कहा जाता है कि इस पूजा से जीवन में स्वास्थ्य और संतुलन बना रहता है।