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Constitution Day 2025: कब मनाया जाता है संविधान दिवस? जानें इस दिन से जुड़ी रोचक बातें

लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला Published by: शिवानी अवस्थी Updated Fri, 21 Nov 2025 10:37 AM IST
सार

Indian Constitution Day 2025: भारत को खुद के नियम कानूनों की जरूरत कब महसूस हुई और भारतीय संविधान का निर्माण कैसे किया गया, ये अपने आप में ही खास प्रसंग है। इस लेख में जानिए कि पहली बार संविधान दिवस कब मनाया गया और कैसे मनाया गया।

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When Is Indian Constitution Day Celebrated Know Interesting Facts constitution day kab manaya jata hai
भारतीय संविधान दिवस - फोटो : freepik
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Indian Constitution Day 2025:  क्या आपने कभी सोचा है कि एक देश बिना नियमों के कैसा चलेगा? जैसे खेल के मैदान में बिना रेफरी या बिना सिग्नल का ट्रैफिक, सब कुछ अव्यवस्थित हो जाएगा। ठीक वैसे ही, हमारे देश भारत को सुचारू रूप से चलाने के लिए कुछ नियम-कानूनों की जरूरत थी। इन नियमों की किताब को ही भारत का संविधान कहते है और जिस दिन यह महान किताब बनकर तैयार हुई, उसे हम संविधान दिवस के रूप में मनाते हैं।

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हालांकि भारत को खुद के नियम कानूनों की जरूरत कब महसूस हुई और भारतीय संविधान का निर्माण कैसे किया गया, ये अपने आप में ही खास प्रसंग है। इस लेख में जानिए कि पहली बार संविधान दिवस कब मनाया गया और कैसे मनाया गया।
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कब मनाया जाता है संविधान दिवस 2025?

संविधान दिवस हर साल 26 नवंबर को मनाया जाता है। इसे राष्ट्रीय कानून दिवस (National Law Day) के नाम से भी जाना जाता है। भारत सरकार ने 2015 में डॉ. भीमराव अंबेडकर की 125वीं जयंती के उपलक्ष्य में, 26 नवंबर को 'संविधान दिवस' के रूप में मनाने का निर्णय लिया। डॉ. अंबेडकर को भारतीय संविधान का जनक माना जाता है, जिन्होंने संविधान निर्माण समिति के अध्यक्ष के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

संविधान दिवस से जुड़ी रोचक बातें और इसका महत्व

संविधान दिवस मनाने का मुख्य कारण यह है कि 26 नवंबर 1949 को भारत की संविधान सभा ने औपचारिक रूप से भारत के संविधान को अपनाया था। इसे अपनाने के ठीक दो महीने बाद, 26 जनवरी 1950 को इसे पूरे देश में लागू किया गया, जिसे हम गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं।

कैसे बना भारतीय संविधान?

दुनिया के सबसे बड़े लिखित संविधान को तैयार करने में एक लंबा समय लगा। इसे बनाने में संविधान सभा को 2 साल, 11 महीने और 18 दिन का समय लगा। इस दौरान 11 सत्रों में कुल 165 दिनों तक बैठकें हुईं।


असली प्रतियां हाथ से लिखी गई थीं

संविधान की मूल प्रति, जो आज भी संसद भवन में सुरक्षित है, किसी मशीन से नहीं छापी गई थी। इसे सुंदर कैलिग्राफी में हाथ से लिखा गया था। हिंदी संस्करण को वसंत कृष्ण वैद्य ने, जबकि अंग्रेजी संस्करण को प्रेम बिहारी नारायण रायज़ादा ने अपनी खूबसूरत लिखावट दी थी। इन मूल प्रतियों को आज भी भारतीय संसद की लाइब्रेरी में हीलियम गैस से भरे चैंबर में रखा गया है।

भारतीय संविधान की खासियत

भारतीय संविधान तैयार करने के लिए संविधान निर्माताओं ने 60 से अधिक देशों के संविधानों का गहराई से अध्ययन किया और वहां से बेहतरीन सिद्धांतों को भारतीय परिस्थितयों के अनुसार ढाला। जैसे मौलिक अधिकार, अमेरिका से और संसदीय प्रणाली ब्रिटेन से ली गई। हालांकि हमारा संविधान अन्य देशों की काॅपी नहीं, बल्कि प्रेरणा का भंडार है। 

हमारा संविधान अनोखा है क्योंकि यह समय के साथ बदलती जरूरतों को पूरा करने के लिए लचीला भी है। इसमें संशोधन किए जा सकते हैं और साथ ही, देश के मूल सिद्धांतों की रक्षा के लिए कठोर भी है। यानी आसानी से बदला नहीं जा सकता। संविधान लागू होने के बाद से इसमें अब तक 100 से अधिक बार संशोधन किए जा चुके हैं।

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