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MP News: यहां बाघ की मौत पर बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर, डीएफओ अधर गुप्ता पर एक्शन, शव जलाने का लगा गंभीर आरोप

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बालाघाट Published by: बालाघाट ब्यूरो Updated Sat, 18 Oct 2025 03:26 PM IST
सार

MP News: बालाघाट में मादा बाघ की संदिग्ध मौत और उसके शव को गुपचुप जलाने के मामले ने वन विभाग में हड़कंप मचा दिया है। डीएफओ अधर गुप्ता और उनके अधीनस्थों पर नियमों का उल्लंघन और मामले को दबाने के आरोप लगे हैं। विधायक की शिकायत और विभागीय लापरवाही के कारण मामले की जांच तेज़ कर दी गई है।

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Big fraud exposed over tiger death in Balaghat: DFO Adhar Gupta booked for burning body
बाघ की मौत के बाद उठे गंभीर सवाल। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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वन्यजीव संरक्षण के लिए मशहूर बालाघाट जिले में एक बार फिर विवाद खड़ा हो गया है। यहां एक मादा बाघ की संदिग्ध मौत के बाद उसके शव को गुपचुप तरीके से जलाने का मामला सामने आया है। इस घटना की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों तक न पहुंचाने और नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में दक्षिण बालाघाट वन मंडल के डीएफओ अधर गुप्ता के खिलाफ कार्रवाई की गई है। उन्हें चार्जशीट जारी कर 15 दिन में जवाब देने का आदेश दिया गया है।
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मादा बाघ की मौत और सबूत मिटाने की कोशिश
मामला लालबर्रा रेंज के अहियाटिकुर बीट का है। कुछ दिन पहले यहां एक मादा बाघ संदिग्ध परिस्थितियों में मारी गई। नियमों के अनुसार ऐसी घटना की तुरंत जानकारी पीसीसीएफ (वाइल्डलाइफ) और एनटीसीए (नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी) को देनी होती है। लेकिन डीएफओ अधर गुप्ता ने यह सूचना नहीं दी।
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वन विभाग की प्रारंभिक जांच में पता चला कि बाघ के शव को बिना अनुमति जलवा दिया गया। इससे पोस्टमार्टम और सैंपल जांच नहीं हो सकी और बाघ की मौत का असली कारण पता नहीं चल सका।

चार्जशीट में गंभीर आरोप
सरकार की चार्जशीट में कहा गया है कि डीएफओ अधर गुप्ता ने घटना को दबाया और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 का उल्लंघन किया। उन्होंने अपने अधीनस्थ वनपाल टीकाराम हनोते और वनरक्षक हिमांशु घोरमारे को गलत निर्देश दिए। दोनों कर्मचारी मुख्य जिम्मेदार बताए गए हैं। सूत्रों के अनुसार, ये दोनों अधिकारी घटना के बाद से लापता हैं।

वन्यजीव सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल
अहियाटिकुर बीट में बाघों की आवाजाही लगातार होती रही है, लेकिन क्षेत्र में कैमरा ट्रैप नहीं हैं और गश्त की व्यवस्था भी पर्याप्त नहीं है। स्थानीय लोग कहते हैं कि बाघों के शिकार और अवैध गतिविधियों में विभाग की भूमिका संदिग्ध है। वन्यजीव प्रेमियों ने इस पूरे मामले की सीबीआई या उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।

विधायक की शिकायत ने बढ़ाई मुश्किलें
बालाघाट विधायक अनुभा मुंजारे ने भी डीएफओ अधर गुप्ता के खिलाफ शिकायत भेजी है। उन्होंने आरोप लगाया कि गुप्ता ड्यूटी के दौरान शराब पीते हैं, वन अपराधियों से मिलीभगत करते हैं और पद का दुरुपयोग करते हैं। विधायक ने कहा कि वन्यजीवों की मौत पर कार्रवाई की जगह फाइलें दबा दी जाती हैं और सबूत मिटा दिए जाते हैं।

डीएफओ की पत्नी भी विवादों में
अधर गुप्ता की पत्नी नेहा श्रीवास्तव, जो उत्तर बालाघाट की डीएफओ हैं, पहले से विवादों में हैं। विधायक ने उन पर 3 लाख रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप लगाया था। इसकी जांच एपीसीसीएफ कोमलिका मोहंता और सीएफ वासु कन्नौजिया की टीम कर रही है।

15 दिन में जवाब और कार्रवाई
वन विभाग ने अधर गुप्ता को 15 दिन के भीतर जवाब देने का आदेश दिया है। अगर जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया तो उनके खिलाफ निलंबन या विभागीय जांच की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि बाघ की मौत को छिपाना लापरवाही नहीं बल्कि अपराध है।

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स्थानीय लोगों में आक्रोश
स्थानीय पर्यावरण कार्यकर्ता और ग्रामीणों ने कहा कि अगर अफसर ही बाघों की मौत छिपाने लगें, तो जंगल और वन्यजीवों की सुरक्षा कैसे होगी? उन्होंने सरकार से इस घटना की स्वतंत्र जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
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