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Balaghat News: छोटी बाघ नदी के तेज बहाव में बहे मां-बेटे, रातभर चला रेस्क्यू पर नहीं मिला सुराग
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बालाघाट
Published by: बालाघाट ब्यूरो
Updated Fri, 12 Sep 2025 04:43 PM IST
सार
लांजी के बहेला थाना क्षेत्र में अमेडा निवासी कमलाबाई मरकाम और उनका बेटा गज्जु छोटी बाघ नदी पार करते समय तेज बहाव में बह गए। मां-बेटी के ससुराल से लौट रहे थे। रातभर रेस्क्यू ऑपरेशन चला, लेकिन सफलता नहीं मिली। हादसे से ग्रामीणों में गुस्सा है, क्योंकि रपटे पर हर साल हादसे होते हैं।
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नदी के पास मौजूद ग्रामीण
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विस्तार
बरसात का मौसम और नदियों का उफान कई बार जानलेवा साबित हो रहा है। लांजी पुलिस अनुविभाग के बहेला थाना क्षेत्र में गुरुवार शाम एक दर्दनाक हादसा हुआ। अमेडा (ब) निवासी 50 वर्षीय कमलाबाई मरकाम और उनका बेटा गज्जु मरकाम छोटी बाघ नदी के तेज बहाव में बह गए। घटना के बाद से गांव और परिवार में कोहराम मचा हुआ है।
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बेटी के ससुराल से लौट रहे थे
कमलाबाई अपने बेटे के साथ महाराष्ट्र के सालेकसा थाना क्षेत्र के चिंगलुटोला गांव में अपनी बेटी के ससुराल गई थीं। वहां से लौटते समय उन्हें सिर्फ डेढ़ किलोमीटर का सफर तय करना था, लेकिन बीच में पड़ी छोटी बाघ नदी ने उनकी जिंदगी लील ली। नदी पर बना पुराना रपटा बरसात में बेहद खतरनाक हो जाता है, फिर भी लोग मजबूरी में इसी से आवाजाही करते हैं।
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हादसे के बाद चीख-पुकार
गुरुवार शाम मां-बेटा जैसे ही नदी पार करने लगे, तेज बहाव ने उन्हें बहा दिया। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि दोनों कुछ देर तक हाथ-पांव मारते रहे, लेकिन लहरें इतनी तेज थीं कि पलक झपकते ही ओझल हो गए। घटना के बाद आसपास के लोग मदद के लिए दौड़े, लेकिन देर हो चुकी थी।
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रातभर चला रेस्क्यू
सूचना मिलते ही सालेकसा और बहेला थाना पुलिस मौके पर पहुंच गई। एसडीएम कमलचंद सिंहसार, जनपद सीईओ रामगोपाल यादव और बहेला थाना प्रभारी सहित पुलिस बल रात 9 बजे तक घटनास्थल पर डटे रहे। स्थानीय लोग और परिजन भी टॉर्च की रोशनी में तलाश करते रहे।मां-बेटे की तलाश के लिए बालाघाट से एसडीईआरएफ की रेस्क्यू टीम बुलाई गई है। होमगार्ड के जवान भी सर्च ऑपरेशन में जुटे हुए हैं। महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश दोनों राज्यों की पुलिस और प्रशासन संयुक्त रूप से तलाश अभियान चला रहे हैं। हालांकि शुक्रवार सुबह तक भी कोई सुराग नहीं मिला है।
ग्रामीणों में गुस्सा और मायूसी
इस हादसे ने ग्रामीणों में गुस्सा और मायूसी दोनों भर दी है। उनका कहना है कि बरसात के मौसम में इस रपटे पर बार-बार हादसे होते हैं, लेकिन प्रशासन अब तक कोई ठोस इंतजाम नहीं कर पाया। लोग मजबूरी में जोखिम उठाकर इसी रास्ते से गुजरते हैं और हर साल जानें दांव पर लगती हैं।

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