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बालाघाट में बाघ का आतंक: आठ महीने में पांच की मौत, कन्हड़गांव में बुजुर्ग किसान शिकार, ग्रामीण दहशत में

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बालाघाट Published by: बालाघाट ब्यूरो Updated Fri, 05 Sep 2025 09:14 PM IST
सार

बालाघाट के कटंगी क्षेत्र में बाघ के हमले में 61 वर्षीय किसान सेवकराम गौपाले की मौत हो गई। पिछले 8 महीनों में बाघ हमलों से 5 लोगों की जान जा चुकी है। ग्रामीण दहशत में हैं और वन विभाग से कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। परिजनों को 8 लाख रुपये मुआवजा मिलेगा। 

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Tiger terror in Balaghat: 5 dead in 8 months, elderly farmer hunted in Kanhargaon, villagers panicked
फाइल फोटो
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विस्तार
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बालाघाट के जंगलों में बाघ का खौफ बढ़ता जा रहा है। पिछले 8 महीनों में बाघ के हमलों ने 5 लोगों की जान ले ली है। ताजा मामला कटंगी वन परिक्षेत्र के कन्हड़गांव का है, जहां गुरुवार शाम एक बाघ ने 61 साल के बुजुर्ग किसान सेवकराम गौपाले पर हमला कर उन्हें मौत के मुंह में धकेल दिया। लगातार हो रही इन घटनाओं ने न सिर्फ वन विभाग के लिए मुश्किलें खड़ी की हैं, बल्कि ग्रामीणों के लिए भी जी का जंजाल बन गया है।

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खेत से लौटते वक्त हुआ हमला
घटना अंबेझरी-देवरी सड़क मार्ग पर गुरुवार शाम करीब 5 बजे की है। कन्हड़गांव के रहने वाले सेवकराम रोज की तरह अपने बैल और मवेशी चराने खेत गए थे। जंगल से महज 100 मीटर दूर उनके खेत में काम खत्म कर वह घर लौट रहे थे, तभी बाघ ने पीछे से उन पर हमला बोल दिया। गंभीर रूप से घायल सेवकराम को पहले कटंगी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, लेकिन हालत बिगड़ने पर उन्हें जिला अस्पताल रेफर किया गया। रात 11:30 बजे इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया।
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21 दिन में दूसरा हमला, ग्रामीणों में आक्रोश
यह कोई पहला मामला नहीं है। महज 21 दिन पहले 14 अगस्त को अंबेझरी गांव में ही बाघ ने विठ्ठल आसटकर पर हमला किया था, जो अपनी गाय-भैंस चराने जंगल के पास गए थे। 8 महीने में 5 मौतों के बाद ग्रामीणों का गुस्सा सातवें आसमान पर है। पास के खेतों में काम करने वाले अन्य किसानों ने हमले के दौरान शोर मचाकर बाघ को भगाया, लेकिन तब तक सेवकराम की जान पर बन आई थी।

वन विभाग का बयान
वन परिक्षेत्र अधिकारी बाबूलाल चढ़ार ने बताया कि सेवकराम अपने मवेशियों को चराने के बाद घर लौट रहे थे। उनका खेत जंगल से 100 मीटर की दूरी पर है। बाघ ने अचानक हमला किया, जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गए। शोर मचाने पर बाघ जंगल में भाग गया। मृतक के परिवार को वन विभाग की ओर से 8 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा।

क्या कहते हैं ग्रामीण?
लगातार हमलों से दहशत में जी रहे ग्रामीण अब वन विभाग से सख्त कदम उठाने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि बाघ अब जंगल तक सीमित नहीं रहा, बल्कि गांवों के आसपास मंडराने लगा है। लोग खेतों में काम करने और मवेशी चराने से भी डरने लगे हैं।

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