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Balaghat News: कटंगी के जंगल में बाघ का आतंक, चरवाहे पर जानलेवा हमला, गंभीर घायल नागपुर रेफर
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बालाघाट
Published by: बालाघाट ब्यूरो
Updated Sat, 18 Oct 2025 04:12 PM IST
सार
गंभीर रूप से घायल खेमराज को पहले पिपरवानी अस्पताल ले जाया गया और बाद में हालत नाजुक होने पर नागपुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। हमले में उनके शरीर पर पंजों के गहरे घाव और सिर में गंभीर चोटें आई हैं।
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विस्तार
सिवनी जिले की सीमा से सटे कटंगी वन परिक्षेत्र में शुक्रवार शाम बाघ ने एक चरवाहे पर हमला कर दिया। इस हमले में 60 वर्षीय चरवाहा गंभीर रूप से घायल हो गया। घायल को पहले पिपरवानी के अस्पताल में भर्ती किया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद हालत नाजुक देखते हुए उसे नागपुर मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया।
जानकारी के अनुसार, सिवनी जिले के कुरई ब्लॉक के ग्राम पिपरवानी निवासी खेमराज पिता पांडुरंग नाने (60) शुक्रवार की शाम रोज की तरह अपने मवेशियों को चराने जंगल की ओर गए थे। जब वे अंबेझरी गांव के पास पथरापेठ और कन्हड़गांव के बीच के नाले की ओर पहुंचे, तभी झाड़ियों में छिपे बाघ ने अचानक उन पर हमला कर दिया।
हमला इतना तेज और अचानक था कि खेमराज को संभलने का मौका नहीं मिला और वे जमीन पर गिर पड़े। बाघ ने उन्हें पंजों और जबड़ों से बुरी तरह घायल कर दिया। इसी दौरान पास में मौजूद एक जंगली सुअर की आवाज सुनकर बाघ का ध्यान उसकी ओर चला गया और वह सुअर के पीछे भाग गया। इस बीच घायल खेमराज ने किसी तरह हिम्मत जुटाई और खून से लथपथ हालत में गांव तक पहुंच गए।
गांव पहुंचने पर ग्रामीणों ने उन्हें तत्काल स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र पिपरवानी पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने प्राथमिक उपचार के बाद हालत गंभीर होने पर उन्हें नागपुर रेफर कर दिया। बताया गया है कि उनके शरीर पर पंजों के गहरे निशान और सिर में गंभीर चोटें आई हैं।
ये भी पढ़ें- यहां बाघ की मौत पर बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर, डीएफओ अधर गुप्ता पर एक्शन, शव जलाने का लगा गंभीर आरोप
वन विभाग ने की पुष्टि, बाघ की तलाश जारी
कटंगी परिक्षेत्र अधिकारी बाबूलाल चढार ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि घायल चरवाहे को नागपुर रेफर किया गया है। उन्होंने बताया कि पेंच टाइगर रिजर्व से विशेष रेस्क्यू स्क्वॉड, पशु चिकित्सक दल और हाथी दल दो दिन पहले ही क्षेत्र में पहुंच चुके हैं। ये दल पिछले कई दिनों से अंबेझरी और आसपास के जंगलों में बाघ की गतिविधियों पर नजर रखे हुए हैं। वन विभाग के अनुसार, क्षेत्र में लगातार बाघ के पदचिह्न और मवेशियों के शिकार के सबूत मिल रहे हैं। इसी कारण इलाके में ड्रोन कैमरे और ट्रैप कैमरे लगाए गए हैं, जिनकी निगरानी वन विभाग के उच्च अधिकारी कर रहे हैं।
ग्रामीणों में दहशत और आक्रोश
बाघ के हमले की खबर फैलते ही अंबेझरी, पथरापेठ और पिपरवानी गांवों में दहशत का माहौल बन गया। ग्रामीणों ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से वे लगातार बाघ की दहाड़ और पदचिह्न देख रहे हैं। कई लोगों ने यह भी दावा किया कि इलाके में एक नहीं बल्कि दो बाघ घूम रहे हैं। गांवों में रात के समय लोगों का निकलना बंद हो गया है और मवेशियों को भी खुले में चराने नहीं भेजा जा रहा। ग्रामीणों ने वन विभाग से तत्काल सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने की मांग की है।
रेस्क्यू टीम की रणनीति
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, बाघ को पकड़ने के लिए पिंजरे और ट्रैंक्विलाइजर गन (बेहोशी के तीर) का इंतजाम किया गया है। बाघ की लोकेशन की पहचान के लिए ड्रोन उड़ान लगातार जारी है। टीम का मानना है कि बाघ इस समय अंबेझरी और कन्हड़गांव के जंगल के बीच घूम रहा है। विभाग ने आसपास के सभी ग्रामीणों से अपील की है कि वे जंगल क्षेत्र में अकेले न जाएं, मवेशियों को चराने के लिए समूह में भेजें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत वन विभाग को दें।
पिछले कुछ महीनों से सक्रिय है बाघ
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, पिछले दो महीनों में कटंगी वन क्षेत्र और सिवनी की सीमा पर बाघ की सक्रियता बढ़ी है। हाल ही में कुछ मवेशियों के अवशेष मिलने के बाद से ही वन विभाग रेस्क्यू अभियान में जुटा हुआ था। विशेषज्ञों का कहना है कि यह बाघ संभवतः पेंच टाइगर रिजर्व से भटककर यहां पहुंचा है और बार-बार मानव बस्तियों के आसपास दिखाई दे रहा है।
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जानकारी के अनुसार, सिवनी जिले के कुरई ब्लॉक के ग्राम पिपरवानी निवासी खेमराज पिता पांडुरंग नाने (60) शुक्रवार की शाम रोज की तरह अपने मवेशियों को चराने जंगल की ओर गए थे। जब वे अंबेझरी गांव के पास पथरापेठ और कन्हड़गांव के बीच के नाले की ओर पहुंचे, तभी झाड़ियों में छिपे बाघ ने अचानक उन पर हमला कर दिया।
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हमला इतना तेज और अचानक था कि खेमराज को संभलने का मौका नहीं मिला और वे जमीन पर गिर पड़े। बाघ ने उन्हें पंजों और जबड़ों से बुरी तरह घायल कर दिया। इसी दौरान पास में मौजूद एक जंगली सुअर की आवाज सुनकर बाघ का ध्यान उसकी ओर चला गया और वह सुअर के पीछे भाग गया। इस बीच घायल खेमराज ने किसी तरह हिम्मत जुटाई और खून से लथपथ हालत में गांव तक पहुंच गए।
गांव पहुंचने पर ग्रामीणों ने उन्हें तत्काल स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र पिपरवानी पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने प्राथमिक उपचार के बाद हालत गंभीर होने पर उन्हें नागपुर रेफर कर दिया। बताया गया है कि उनके शरीर पर पंजों के गहरे निशान और सिर में गंभीर चोटें आई हैं।
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वन विभाग ने की पुष्टि, बाघ की तलाश जारी
कटंगी परिक्षेत्र अधिकारी बाबूलाल चढार ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि घायल चरवाहे को नागपुर रेफर किया गया है। उन्होंने बताया कि पेंच टाइगर रिजर्व से विशेष रेस्क्यू स्क्वॉड, पशु चिकित्सक दल और हाथी दल दो दिन पहले ही क्षेत्र में पहुंच चुके हैं। ये दल पिछले कई दिनों से अंबेझरी और आसपास के जंगलों में बाघ की गतिविधियों पर नजर रखे हुए हैं। वन विभाग के अनुसार, क्षेत्र में लगातार बाघ के पदचिह्न और मवेशियों के शिकार के सबूत मिल रहे हैं। इसी कारण इलाके में ड्रोन कैमरे और ट्रैप कैमरे लगाए गए हैं, जिनकी निगरानी वन विभाग के उच्च अधिकारी कर रहे हैं।
ग्रामीणों में दहशत और आक्रोश
बाघ के हमले की खबर फैलते ही अंबेझरी, पथरापेठ और पिपरवानी गांवों में दहशत का माहौल बन गया। ग्रामीणों ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से वे लगातार बाघ की दहाड़ और पदचिह्न देख रहे हैं। कई लोगों ने यह भी दावा किया कि इलाके में एक नहीं बल्कि दो बाघ घूम रहे हैं। गांवों में रात के समय लोगों का निकलना बंद हो गया है और मवेशियों को भी खुले में चराने नहीं भेजा जा रहा। ग्रामीणों ने वन विभाग से तत्काल सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने की मांग की है।
रेस्क्यू टीम की रणनीति
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, बाघ को पकड़ने के लिए पिंजरे और ट्रैंक्विलाइजर गन (बेहोशी के तीर) का इंतजाम किया गया है। बाघ की लोकेशन की पहचान के लिए ड्रोन उड़ान लगातार जारी है। टीम का मानना है कि बाघ इस समय अंबेझरी और कन्हड़गांव के जंगल के बीच घूम रहा है। विभाग ने आसपास के सभी ग्रामीणों से अपील की है कि वे जंगल क्षेत्र में अकेले न जाएं, मवेशियों को चराने के लिए समूह में भेजें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत वन विभाग को दें।
पिछले कुछ महीनों से सक्रिय है बाघ
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, पिछले दो महीनों में कटंगी वन क्षेत्र और सिवनी की सीमा पर बाघ की सक्रियता बढ़ी है। हाल ही में कुछ मवेशियों के अवशेष मिलने के बाद से ही वन विभाग रेस्क्यू अभियान में जुटा हुआ था। विशेषज्ञों का कहना है कि यह बाघ संभवतः पेंच टाइगर रिजर्व से भटककर यहां पहुंचा है और बार-बार मानव बस्तियों के आसपास दिखाई दे रहा है।

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