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Betul Digital Arrest: आतंकियों को फंडिंग में मानसिक रूप से फंसे थे रिटायर्ड कर्मचारी, पुलिस ने बचाए 73 लाख

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बैतूल Published by: बैतूल ब्यूरो Updated Tue, 02 Dec 2025 08:15 PM IST
सार

ठगों ने नई सिम लेने, परिवार से दूरी बनाने और एफडी व बैंक खाते के 73 लाख रुपये ट्रांसफर करने का दबाव बनाया। पीड़ित आरटीजीएस कराने ही वाले थे कि परिजनों की सतर्कता और पुलिस की समय पर कार्रवाई से उन्हें होटल से सुरक्षित निकाला गया।

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Betul Digital Arrest: Cyber fraudsters held retired employee hostage on video call
बैतूल में डिजिटल अरेस्ट का बड़ा खुलासा — साइबर ठगों ने रिटायर्ड कर्मचारी को तीन दिन तक वीडियो क - फोटो : credit
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विस्तार
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जिले में डिजिटल फ्रॉड का मामला सामने आया। 64 वर्षीय सेवानिवृत्त डब्ल्यूसीएल कर्मचारी चैतराम नरवरे को साइबर ठगों ने तीन दिनों तक वीडियो कॉल पर नियंत्रित कर मानसिक रूप से “कैद” कर दिया। बैतूल पुलिस की तत्परता से बड़ी आर्थिक ठगी टल गई और पीड़ित को सुरक्षित बाहर निकाला गया।
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घटना 28 नवंबर से शुरू हुई, जब पीड़ित को एक वीडियो कॉल आया। कॉल करने वालों ने खुद को ईडी और सीबीआई के अधिकारी बताकर धमकाया कि उनके बैंक खातों का संबंध ब्लैक मनी और दिल्ली हमले में आतंकियों की फंडिंग से है। भयभीत चैतराम नरवरे ठगों के निर्देश पर भोपाल से पाथाखेड़ा पहुंचे और एक होटल में कमरा ले लिया।
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ठगों ने उनसे नई सिम लेने, परिजनों से दूरी बनाने तथा बैंक खातों से पैसे निकालकर ट्रांसफर करने के लिए दबाव बनाया। डरे हुए पीड़ित ने अपनी एफडी के 71 लाख और खाते के 2 लाख रुपये रिलीज करने की तैयारी कर ली और बैंक से आरटीजीएस फॉर्म भी ले आए थे।

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परिजनों को उनका व्यवहार असामान्य लगा, तो उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचना दी। पाथाखेड़ा चौकी प्रभारी मनोज कुमार उइके की टीम होटल पहुंची और पीड़ित को सुरक्षित बाहर निकाला। इस दौरान ठगों के लगातार आ रहे कॉल पुलिस ने भी रिसीव किए। एसपी वीरेंद्र जैन ने बताया कि आरोपियों ने तीन दिनों में 27 अलग-अलग नंबरों से कॉल किए, जिनकी लोकेशन असम की मिली है। पुलिस के हस्तक्षेप के बाद सभी नंबर बंद हो गए।

पीड़ित के परिवार के अनुसार ठगों ने दिल्ली और पुलवामा जैसे हमलों में आर्थिक सहायता देने जैसी मनगढ़ंत बातें बताकर उन्हें डराया और गिरफ्तारी की धमकी देकर मानसिक रूप से अस्थिर कर दिया था। बैतूल एसपी वीरेंद्र जैन का कहना है की तीन दिनों में 27 विभिन्न नंबरों से कॉल किए गए, जिनकी लोकेशन असम की मिली है। पुलिस कार्रवाई शुरू होते ही सभी नंबर बंद हो गए। पीड़ित चैतराम नरवरे का कहना है की ठगों ने झूठा आरोप लगाया कि मेरा पैसा आतंकियों तक पहुंच रहा है। गिरफ्तारी और बदनामी की धमकी देकर मुझे पूरी तरह डरा दिया गया।

 

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