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Archana Tiwari: 70 पुलिसकर्मी, 500 CCTV फुटेज और भोपाल से कटनी तक स्टेशनों की खाक छानी; तब खुला अर्चना का सच
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल
Published by: दिनेश शर्मा
Updated Wed, 20 Aug 2025 05:35 PM IST
सार
अर्चना तिवारी के लापता होने की गुत्थी 70 पुलिसकर्मियों की 13 दिन की जांच से सुलझी। भोपाल-इटारसी के बीच गायब अर्चना नेपाल में मिली। सीसीटीवी, कॉल डिटेल और साइबर जांच से सुराग मिला। उसकी पहचान होस्टल से मिले दस्तावेजों से हुई और एंबेसी के जरिए भारत लाई गई।
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अर्चना तिवारी
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
अर्चना तिवारी के लापता होने की गुत्थी सुलझ गई है। अर्चना तिवारी 7 अगस्त को भोपाल और इटारसी रेलवे स्टेशन के बीच से गायब हुई थी। चुंकि मामला रेलवे का था। इस वजह से रेल पुलिस ने इस पूरे मामले की तफ्तीश की। इसमें पुलिस ने 13 दिन तक लगातार काम किया। 70 पुलिसकर्मियों की मेहनत रंग लाई, तब जाकर अर्चना का सच सामने आ सका।
रेल एसपी राहुल लोढ़ा के अनुसार अर्चना तिवारी केस को हल करने के लिए अलग-अलग टीमें बनाई गई थीं। इसमें करीब 70 पुलिस कर्मचारियों को लगाया गया था। सबसे बड़ा टास्क भोपाल रेलवे स्टेशन से लेकर कटनी रेलवे स्टेशन तक के सीसीटीवी फुटेज को चैक करने का था, जिससे ये पता चल सके कि रेलवे के इलाके से लड़की बाहर गई है कि नहीं।
उन्होंने बताया कि एक तरफ सीसीटीवी फुटेज चैक किए जा रहे थे तो दूसरी तरफ रेल पटरियों पर भी अर्चना तिवारी को तलाश किया जा रहा था। इस जांच के बाद ही आगे का रास्त तय हो सकता था। उन्होंने बताया कि पुलिस पहले इसी ग्राउंड पर काम कर रही थी कि लड़की को रेलवे स्टेशनों के आस-पास तलाश किया जाए क्योंकि उसका सामान सीट पर रखा हुआ था। पुलिस मान रही थी कि अगर वो कहीं गई होती तो सामान भी साथ गया होता। पर अर्चना का सामान सीट पर था तो उसके कहीं और जाने का सवाल नहीं था। इस बात की संभावना ज्यादा थी कि वो दुर्घटना का शिकार हुई है।
ये भी पढ़ें-अर्चना का नेपाल कनेक्शन, कौन था इस पूरे खेल का मास्टरमाइंड? कैसे-कहां रचा था ये खतरनाक प्लान?
रेल एसपी राहुल लोढ़ा के अनुसार जब पुलिस को सीसीटीवी और जमीनी तलाशी में कुछ नहीं मिला तो जांच का दायरा बढ़ाया गया। फिर अर्चना तिवारी के कॉल रिकार्ड की जांच की गई तो एक नंबर ऐसा मिला जिस पर तीन बार लंबी बात हुई थी। कटनी साइबर टीम ने भी एक नंबर दिया जो हमारे नंबर से मेल खाया। ये नंबर सारांश का था। फिर ये पुलिस ने आईपी एड्रेस के जरिए वाट्सअप कॉल का रिकार्ड खंगालना शुरू किया।
पुलिस के अनुसार जब तक ये हो रहा था तब तक सारांश अर्चना को नेपास छोड़कर वापस शुजालपुर आ चुका था। साथ ही ग्वालियर में एक आरक्षक को हिरासत में लिया जा चुका था। सारांश तक पहुंचने और उसे हिरासत में लेने पर सारा मामला सामने आ गया। फिर सारांश से पूछताछ हुई। उसने अर्चना तिवारी के नेपाल में होने की बात कही और फिर उससे बात कराई। अर्चना की आईडी पुलिस ने इंदौर होस्टल से रिकवर की और उसे नेपाल भेजा। नेपाल में अर्चना को इंडियन एंबेसी में रखा गया। उसके वोटर आईडी कार्ड को इंदौर के होस्टल से रिकवर किया गया। उसकी पीडीएफ फाइल नेपाल में भारत की एंबेसी को भेजी गई। तब उसे नेपाल से भारत लाना संभव हुआ।
ये भी पढ़ें-क्या अर्चना ही सारांश की सपना? पिता बोले- बेटे ने बताई थी प्रेम संबंध की बात, अब उसे जीआरपी वाले उठाकर ले गए
ये था मामला
कटनी निवासी अर्चना तिवारी इंदौर के सत्कार छात्रावास में रहकर सिविल जज की तैयारी कर रही थी। सात अगस्त को वह रक्षाबंधन पर घर जाने के लिए इंदौर से नर्मदा एक्सप्रेस के एसी कोच बी-3 की सीट पर यात्रा कर रही थी। भोपाल के रानीकमलापति रेलवे स्टेशन के पास तक वह अपनी सीट पर देखी गई, लेकिन उसके बाद वह वहां नहीं मिली और उसका फोन भी बंद हो गया। आठ अगस्त की सुबह जब ट्रेन कटनी पहुंची और अर्चना नहीं उतरी, उसके परिजनों ने उमरिया में रहने वाले उसके मामा को सूचना दी। मामा ट्रेन में गए तो उन्हें अर्चना का पर्स मिला, जिसमें बच्चों के लिए खिलौने, कुछ सामान और राखी रखी थी। एक बैग में उसके कपड़े भी सही-सलामत थे, लेकिन अर्चना गायब थी। यात्रियों ने मामा को बताया कि रानीकमलापति रेलवे स्टेशन के बाद से ही वह अपनी सीट पर नहीं दिखी। तब से उसकी तलाश की जा रही थी।
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रेल एसपी राहुल लोढ़ा के अनुसार अर्चना तिवारी केस को हल करने के लिए अलग-अलग टीमें बनाई गई थीं। इसमें करीब 70 पुलिस कर्मचारियों को लगाया गया था। सबसे बड़ा टास्क भोपाल रेलवे स्टेशन से लेकर कटनी रेलवे स्टेशन तक के सीसीटीवी फुटेज को चैक करने का था, जिससे ये पता चल सके कि रेलवे के इलाके से लड़की बाहर गई है कि नहीं।
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उन्होंने बताया कि एक तरफ सीसीटीवी फुटेज चैक किए जा रहे थे तो दूसरी तरफ रेल पटरियों पर भी अर्चना तिवारी को तलाश किया जा रहा था। इस जांच के बाद ही आगे का रास्त तय हो सकता था। उन्होंने बताया कि पुलिस पहले इसी ग्राउंड पर काम कर रही थी कि लड़की को रेलवे स्टेशनों के आस-पास तलाश किया जाए क्योंकि उसका सामान सीट पर रखा हुआ था। पुलिस मान रही थी कि अगर वो कहीं गई होती तो सामान भी साथ गया होता। पर अर्चना का सामान सीट पर था तो उसके कहीं और जाने का सवाल नहीं था। इस बात की संभावना ज्यादा थी कि वो दुर्घटना का शिकार हुई है।
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रेल एसपी राहुल लोढ़ा के अनुसार जब पुलिस को सीसीटीवी और जमीनी तलाशी में कुछ नहीं मिला तो जांच का दायरा बढ़ाया गया। फिर अर्चना तिवारी के कॉल रिकार्ड की जांच की गई तो एक नंबर ऐसा मिला जिस पर तीन बार लंबी बात हुई थी। कटनी साइबर टीम ने भी एक नंबर दिया जो हमारे नंबर से मेल खाया। ये नंबर सारांश का था। फिर ये पुलिस ने आईपी एड्रेस के जरिए वाट्सअप कॉल का रिकार्ड खंगालना शुरू किया।
पुलिस के अनुसार जब तक ये हो रहा था तब तक सारांश अर्चना को नेपास छोड़कर वापस शुजालपुर आ चुका था। साथ ही ग्वालियर में एक आरक्षक को हिरासत में लिया जा चुका था। सारांश तक पहुंचने और उसे हिरासत में लेने पर सारा मामला सामने आ गया। फिर सारांश से पूछताछ हुई। उसने अर्चना तिवारी के नेपाल में होने की बात कही और फिर उससे बात कराई। अर्चना की आईडी पुलिस ने इंदौर होस्टल से रिकवर की और उसे नेपाल भेजा। नेपाल में अर्चना को इंडियन एंबेसी में रखा गया। उसके वोटर आईडी कार्ड को इंदौर के होस्टल से रिकवर किया गया। उसकी पीडीएफ फाइल नेपाल में भारत की एंबेसी को भेजी गई। तब उसे नेपाल से भारत लाना संभव हुआ।
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ये था मामला
कटनी निवासी अर्चना तिवारी इंदौर के सत्कार छात्रावास में रहकर सिविल जज की तैयारी कर रही थी। सात अगस्त को वह रक्षाबंधन पर घर जाने के लिए इंदौर से नर्मदा एक्सप्रेस के एसी कोच बी-3 की सीट पर यात्रा कर रही थी। भोपाल के रानीकमलापति रेलवे स्टेशन के पास तक वह अपनी सीट पर देखी गई, लेकिन उसके बाद वह वहां नहीं मिली और उसका फोन भी बंद हो गया। आठ अगस्त की सुबह जब ट्रेन कटनी पहुंची और अर्चना नहीं उतरी, उसके परिजनों ने उमरिया में रहने वाले उसके मामा को सूचना दी। मामा ट्रेन में गए तो उन्हें अर्चना का पर्स मिला, जिसमें बच्चों के लिए खिलौने, कुछ सामान और राखी रखी थी। एक बैग में उसके कपड़े भी सही-सलामत थे, लेकिन अर्चना गायब थी। यात्रियों ने मामा को बताया कि रानीकमलापति रेलवे स्टेशन के बाद से ही वह अपनी सीट पर नहीं दिखी। तब से उसकी तलाश की जा रही थी।