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Bhopal: नेता प्रतिपक्ष बोले- 2023 में 16 लाख वोटों का हुआ हेरफेर, इसलिए 27 सीटों पर हारी कांग्रेस
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल
Published by: संदीप तिवारी
Updated Tue, 19 Aug 2025 02:20 PM IST
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सार
मध्य प्रदेश विधानसभा नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि 2023 में एमपी में हुए विधानसभा चुनाव में 16 लाख वोटों का हेरफेर किया गया। कई सीटों में दो महीनों में 7 से 10 हजार तक वोटर बढ़े। उन्हीं 27 सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार बहुत कम अंतर से चुनाव हार गए।

नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
देश में वोट चोरी पर बहस के बीच विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने आरोप लगाया है कि 2023 में हुए मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में 16 लाख वोटों का हेरफेर किया गया था। मंगलवार को भोपाल में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में सिंघार ने कहा कि 2023 में दो महीनों में ही करीब 16 लाख वोटर बढ़े थे। मैंने 25-26 सीटें निकालीं, जहां दो महीनों में 7 से 10 हजार तक वोटर बढ़े। विधानसभा उम्मीदवारों को यह जानकारी और लिस्ट नहीं दी गई और न ही राजनीतिक दलों को मतदाता सूची दी गई। जहां 11 हजार वोटर बढ़े वहां हार-जीत का अंतर 5 हजार वोटों का रहा। इस कारण करीब 27 सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार बहुत कम अंतर से चुनाव हार गए।
सिंघार ने आरोप लगाया कि वोट चोरी करके फर्जी जनादेश लेकर मप्र में भाजपा ने सरकार बनाई। चुनाव आयोग ने भाजपा की सरकारें बनाने में अपनी अहम भूमिका निभाई।सिंघार ने बताया कि चुनाव आयोग ने एक पत्र 9 जून 2023 को छत्तीसगढ़, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, मिजोरम और राजस्थान के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारियों को जारी किया था। इसमें आदेश दिया कि मतदाता सूची में 30 जून के बाद जो वोटर हटाए, बढ़ाए गए, वह लिस्ट किसी को नहीं दी जाए। आयोग ने साफ लिखा था कि ये लिस्ट न तो वेबसाइट पर डाली जाए और न ही किसी को दी जाए।
यह भी पढ़ें-भोपाल के जालसाजों ने ऑनलाइन ट्रेडिंग के नाम पर लाखों ठगे, चार गिरफ्तार
आयोग को तीन साल तक डेटा रखना है
उमंग सिंघार ने कहा कि मप्र के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने 2 दिसंबर 2022 को एक आदेश निकाला कि साढ़े आठ लाख नकली वोटर हटाए जाएंगे। लेकिन, आरटीआई में जानकारी मांगी तो आयोग ने कहा हम डिजिटल जानकारी नहीं रखते। जबकि आयोग के नियम 32 में स्पष्ट है कि आयोग को तीन साल तक डेटा रखना है। ये आयोग की दूसरी गलती है। किस तरह से नियम तोड़ा गया।
यह भी पढ़ें-किसके संपर्क में थी अर्चना? ट्रेन टिकट भी कराया; कॉल डिटेल से खुले राज, GRP ने आरक्षक को उठाया
मतदाता सूची में फोटो क्यों नहीं जोड़े जाते?
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि चुनाव आयोग ऑनलाइन मतदाता सूची में फोटो शामिल नहीं करने के लिए ‘गोपनीयता’ और ‘फाइल साइज’ का बहाना देता है। लेकिन जब सरकार अपनी योजनाओं का प्रचार करती है, तब लाभार्थियों के फोटो और वीडियो बड़े-बड़े पब्लिक डॉक्यूमेंट्स और विज्ञापनों में सार्वजनिक किए जाते हैं। सवाल यह है कि अगर वहां गोपनीयता का उल्लंघन नहीं होता, तो फिर पारदर्शिता के लिए मतदाता सूची में फोटो क्यों नहीं जोड़े जाते?

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सिंघार ने आरोप लगाया कि वोट चोरी करके फर्जी जनादेश लेकर मप्र में भाजपा ने सरकार बनाई। चुनाव आयोग ने भाजपा की सरकारें बनाने में अपनी अहम भूमिका निभाई।सिंघार ने बताया कि चुनाव आयोग ने एक पत्र 9 जून 2023 को छत्तीसगढ़, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, मिजोरम और राजस्थान के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारियों को जारी किया था। इसमें आदेश दिया कि मतदाता सूची में 30 जून के बाद जो वोटर हटाए, बढ़ाए गए, वह लिस्ट किसी को नहीं दी जाए। आयोग ने साफ लिखा था कि ये लिस्ट न तो वेबसाइट पर डाली जाए और न ही किसी को दी जाए।
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आयोग को तीन साल तक डेटा रखना है
उमंग सिंघार ने कहा कि मप्र के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने 2 दिसंबर 2022 को एक आदेश निकाला कि साढ़े आठ लाख नकली वोटर हटाए जाएंगे। लेकिन, आरटीआई में जानकारी मांगी तो आयोग ने कहा हम डिजिटल जानकारी नहीं रखते। जबकि आयोग के नियम 32 में स्पष्ट है कि आयोग को तीन साल तक डेटा रखना है। ये आयोग की दूसरी गलती है। किस तरह से नियम तोड़ा गया।
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मतदाता सूची में फोटो क्यों नहीं जोड़े जाते?
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि चुनाव आयोग ऑनलाइन मतदाता सूची में फोटो शामिल नहीं करने के लिए ‘गोपनीयता’ और ‘फाइल साइज’ का बहाना देता है। लेकिन जब सरकार अपनी योजनाओं का प्रचार करती है, तब लाभार्थियों के फोटो और वीडियो बड़े-बड़े पब्लिक डॉक्यूमेंट्स और विज्ञापनों में सार्वजनिक किए जाते हैं। सवाल यह है कि अगर वहां गोपनीयता का उल्लंघन नहीं होता, तो फिर पारदर्शिता के लिए मतदाता सूची में फोटो क्यों नहीं जोड़े जाते?