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Bhopal News: भाषा, कला और मेहनत से ही बनती है पहचान,रचनात्मक क्षेत्र के दिग्गज ने बताया अनुभव और दिए सुझाव

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: संदीप तिवारी Updated Sun, 14 Dec 2025 04:14 PM IST
सार

पद्मश्री सुशील दोशी ने हिंदी भाषा से साहित्य के घटते प्रभाव पर चिंता जताई और मीडिया से शुद्ध हिंदी के प्रयोग की जिम्मेदारी निभाने की अपील की। फिल्म, वेब सीरीज और नृत्य क्षेत्र के कलाकारों ने युवाओं को संदेश दिया कि निरंतर मेहनत, अपनी जड़ों से जुड़ाव और समय के साथ खुद को ढालना ही सफलता की कुंजी है।

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Bhopal News: Hard work is the key to building an identity; creative field stalwarts shared their experiences a
अंतरराष्ट्रीय खेल कमेंटेटर पद्मश्री सुशील दोशी - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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हिंदी भाषा, साहित्य और कला के बदलते स्वरूप पर चिंता जताते हुए अंतरराष्ट्रीय खेल कमेंटेटर पद्मश्री सुशील दोशी ने कहा कि आज भाषा से साहित्य धीरे-धीरे गायब होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति को मिलने वाला सम्मान उसकी विद्या और योगदान का सम्मान होता है। हिंदी कमेंटेटर के रूप में सम्मान मिलना भाषा की समृद्धि के लिए अच्छा संकेत है। उन्होंने कहा कि उन्हें पद्मश्री मिल चुकी है, लेकिन किसी भी उपलब्धि को छोटा नहीं समझना चाहिए। 
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मध्य प्रदेश प्रेस क्लब भोपाल ने रविवार को विभिन्न क्षेत्रों की प्रदेश की 18 विभूतियों को मप्र रत्न अलंकरण से सम्मानित किया। इस मौके पर अमर उजाला से चर्चा में पद्मश्री सुशील दोशी ने कहा कि पहले के दौर में भाषा में साहित्य और संस्कार स्पष्ट दिखाई देते थे, लेकिन अब वह गौरव और आग्रह कम होता जा रहा है। इसका उन्हें खेद है। उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर कहीं गलत हिंदी का प्रयोग हो रहा है तो प्रेस और मीडिया की जिम्मेदारी बनती है कि वह उसे सुधारे। गलत सुनना और गलत सहना भी एक तरह की गलती है। हम सबकी जिम्मेदारी है कि हिंदी भाषा को मजबूत करें।




लगातार मेहनत ही सफलता की कुंजी
वेब सीरीज कोटा फैक्ट्री और हाफ सीए के निर्देशक प्रतीश मेहता ने कहा कि उज्जैन में जन्म लेना उनके लिए सौभाग्य है। उन्होंने कहा कि छोटे शहर में जन्म लेना कभी बाधा नहीं बनता, बल्कि यहां से निकलकर भी बड़ा मुकाम हासिल किया जा सकता है। बचपन से मिले सांस्कृतिक माहौल और थिएटर से जुड़े अनुभवों ने उनकी रचनात्मक यात्रा को दिशा दी। उन्होंने युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि केवल सोचते रहने से कुछ नहीं होता। डर और असमंजस आगे बढ़ने से रोकते हैं। निरंतर मेहनत करते रहिए, सफलता जरूर मिलेगी। उन्होंने बताया कि उन्होंने अभिनय से शुरुआत की, फिर लेखन और निर्देशन तक का सफर तय किया। इंडस्ट्री में बाहर से आने वालों को संघर्ष करना पड़ता है, लेकिन निरंतर प्रयास ही रास्ता बनाता है।



नृत्य में अपार संभावनाएं, दिल से करें काम
कथक नृत्यांगना और कोरियोग्राफर अमृता जोशी ने कहा कि वे मध्यप्रदेश के धार जिले से हैं और वर्तमान में मुंबई में डांस सिखा रही हैं। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश की संस्कृति में अपार शक्ति है, इसे देश-विदेश तक ले जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने डांस में करियर शुरू किया था, तब इसे सम्मानजनक पेशा नहीं माना जाता था। लोगों को शक रहता था कि इससे आजीविका कैसे चलेगी। लेकिन परिवार के सहयोग और अपने जुनून की वजह से वे आगे बढ़ सकीं। उन्होंने कहा कि आज डांस के क्षेत्र में प्रदर्शन के साथ-साथ कोरियोग्राफी, लाइव शो, डिजिटल प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया पर भी बड़े अवसर हैं। यदि आप डांस से प्रेम करते हैं तो उससे जुड़े नए रास्ते तलाशें।



स्टार नहीं, पहले कलाकार बनें
निर्माता-निर्देशक देवेंद्र मालवीय ने कहा कि वे बुरहानपुर जिले के एक छोटे से गांव से हैं और उनके लिए गांव से मुंबई की दूरी केवल भौगोलिक नहीं, बल्कि आर्थिक, सामाजिक और भाषाई दूरी भी थी। उन्होंने बताया कि उनकी फिल्म 20-20, जो भारत की पहली वन-शॉट फिल्म है, पूरी तरह मध्यप्रदेश में शूट की गई। देवेंद्र मालवीय ने कहा कि फिल्म बनने के बाद पहला सम्मान उन्हें अपने ही प्रदेश से मिला, जो उनके लिए गर्व का विषय है। युवाओं को संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि यदि किसी क्षेत्र में जाने की लगन है तो जहां हैं, वहीं अपनी प्रतिभा को निखारें और खुद को इतना सक्षम बनाएं कि अवसर खुद चलकर आएं। उन्होंने कहा कि बदलते दौर में दर्शक मोबाइल और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सिमट रहे हैं, इसलिए कलाकारों को समय के साथ खुद को ढालना होगा। एक्टिंग में जाने वालों को पहले स्टार बनने की नहीं, बल्कि अच्छा अभिनेता बनने की कोशिश करनी चाहिए।
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