Priyanka Gandhi on VB G Ram G Bill: संसद में प्रियंका ने सरकार से पूछा- मनरेगा का नाम बदलने की सनक क्यों सवार?
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा आज लोकसभा में मनरेगा की जगह लाए जा रहे VB-G RAM G बिल, 2025 का विरोध किया। उन्होंने कहा कि यह विधेयक हमारे संविधान के विपरित है। बिना चर्चा के और बिना सदन की सलाह लिए इस तरह जल्दी-जल्दी में विधेयक को पास नहीं कराना चाहिए।
विस्तार
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा आज लोकसभा में विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण), VB-G RAM G बिल, 2025 का विरोध किया। यह बिल दो दशक पुराने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) की जगह लाने का प्रस्ताव है।
उन्होंने कहा कि इस विधेयक में बदलाव करने पर अपनी आपत्ति दर्ज करना चाहती हूं। MGNREGA पिछले 20 वार्षों से ग्रामीण भारत को रोजगार देने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में सक्षम रहा है। यह कितना क्रांतिकारी कानून है कि जब इसे बनाया गया तो सदन के सभी राजनीतिक दलों ने अपनी पूरी सहमती दी थी। इसके द्वारा 100 दिन का रोजगार देश के गरीब से गरीब लोगों को मिलता आया है।
73वें संशोधन को नजरअंदाज करने का आरोप
प्रियांका ने आगे कहा कि हम सभी जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्रों में जाते हैं तो दूर से ही मनरेगा का मजदूर दिखाई देता है। मनरेगा के तहत हमारे गरीब भाई-बहनों को जो रोजगार की कानूनी गारंटी मिलती है, वो इस योजना में मांग के आधार पर संचालित होता है, मतलब जहां-जहां रोजगार की मांग है वहां 100 दिनों का रोजगार अनिवार्य है। इसके साथ ही केंद्र से जो इसके लिए पूंजी जाती है वो भी मांग पर आधारित है। इसमें केंद्र को इजाजत दी गई है कि वो पहले से ही निर्धारित कर लें कि कितनी पूंजी कहां भेजी जाएगी। हालांकि इस नए विधेयक में संविधान के 73वें संशोधन को नजरअंदाज किया जा रहा है। इस योजना में ग्राम सभाओं के अधिकार को कमजोर किया जा रहा है। इस विधेयक के प्रबंधन से रोजगार का कानून कमजोर हो रहा है। यह हमारे संविधान के विपरित है।
मजदूरों की वेतन बढ़ोतरी का कोई जिक्र नहीं
कांग्रेस नेता ने कहा कि मनरेगा में 90 प्रतिशत अनुदान केंद्र से आता था, इस विधेयक के तहत अब ज्यादातर प्रदेशों में यह 60 प्रतिशत आएगा। इससे प्रदेशों की अर्थव्यवस्था पर बहुत भार पड़ेगा खासतौर से उन राज्यों के लिए जो पहले से ही केंद्र से जीएसटी के बकाए के इंतजार में है। इस विधेयक द्वारा केंद्र का नियंत्रण बढ़ाया जा रहा है और जिम्मेदारी घटाई जा रही है। इसे रोजगार के दिन भले ही बढ़ाए जा रहे हैं लेकिन वेतन की बढ़ोतरी की कोई बात नहीं है।
हर योजना का नाम बदलने की सनक
प्रियांका ने कहा कि हर योजना का नाम बदलने की जो सनक है वह समझ में नहीं आती है। जब-जब ये किया जाता है तो केंद्र को पैसे खर्च करने पड़ते हैं। बिना चर्चा के और बिना सदन की सलाह लिए इस तरह जल्दी-जल्दी में विधेयक को पास नहीं कराना चाहिए। ये विधेयक वापस लिया जाना चाहिए, इसके बदले में सरकार को एक नया विधेयक पेस करना चाहिए। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी भले ही मेरे परिवार के नहीं थे लेकिन मेरे परिवार जैसे ही हैं और पूरे देश की यही भावना है। इसे गहन चर्चा और जांच पड़ताल के लिए स्थायी समिति के पास भेजा जाना चाहिए। और कोई भी विधेयक किसी की निजी महत्वकांक्षा, पूर्वाग्रह और सनक के आधार पर पेश नहीं होना चाहिए।
मनरेगा के बहाने बापू पर हमला करने का आरोप
इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सरकार के इस कदम की आलोचना करते हुए कहा था कि कांग्रेस इसका विरोध करेगी। खरगे ने कहा कि यह सिर्फ मनरेगा का नाम बदलने का मामला नहीं है। यह एमजीएनआरईजीए को खत्म करने की भाजपा-आरएसएस की साजिश है। संघ की शताब्दी पर गांधी जी का नाम मिटाना यह दर्शाता है कि मोदी जी जैसे लोग, जो विदेशों में बापू को फूल चढ़ाते हैं, कितने खोखले और पाखंडी हैं। गरीबों के अधिकारों से मुंह मोड़ने वाली सरकार ही मनरेगा पर हमला करती है। कांग्रेस पार्टी संसद में और सड़कों पर इस अहंकारी सरकार के गरीबों और श्रमिकों के खिलाफ किसी भी फैसले का कड़ा विरोध करेगी। हम करोड़ों गरीब लोगों, मजदूरों और श्रमिकों के अधिकारों को सत्ता में बैठे लोगों द्वारा छीने जाने नहीं देंगे।
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भाजपा को है गांधी से नफरत- प्रमोद तिवारी
कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि जनसंघ की शुरुआत से ही भाजपा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रति घृणा रखती आई है, वे गोडसे की पूजा करते हैं... आप गांधी परिवार से नफरत करते हैं, आप राष्ट्रपिता से नफरत करते हैं, इसीलिए आप सोनिया गांधी के नेतृत्व में यूपीए सरकार के दौरान शुरू की गई योजना का नाम बदलकर गांधी जी का नाम हटा रहे हैं। यह देश अपने राष्ट्रपिता के लिए लोकतांत्रिक तरीके से और पूरी ताकत से इसका विरोध करेगा और कांग्रेस पार्टी इसका कड़ा विरोध करेगी। आज वे गांधी जी का नाम हटा रहे हैं, कल वे इसका नाम गोडसे के नाम पर रख देंगे।
नए विधेयक का उद्देश्य
VB-G RAM G बिल, 2025 आज लोकसभा में पेश किया जाएगा। नए विधेयक में ग्रामीण परिवारों के प्रत्येक सदस्य को मौजूदा 100 दिनों के बजाय 125 दिनों का वेतनभोगी रोजगार सुनिश्चित किया गया है, बशर्ते परिवार के वयस्क सदस्य अकुशल शारीरिक श्रम करने के इच्छुक हों। इसका उद्देश्य राष्ट्रीय स्तर पर समन्वित विकास रणनीति के माध्यम से आय सुरक्षा प्रदान करने के साथ-साथ टिकाऊ, उत्पादकता बढ़ाने वाली ग्रामीण संपत्तियों का निर्माण करना है।
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