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मोटरयान कराधान विधेयक पारित: टैक्स चोरी पर 4 गुना जुर्माना, बिना परमिट वाहन पर लगेगा 1000 प्रति सीट दंड
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल
Published by: आनंद पवार
Updated Wed, 06 Aug 2025 07:26 PM IST
सार
मध्यप्रदेश सरकार ने परिवहन व्यवस्था को आसान और पारदर्शी बनाने के लिए एक नया कानून पास किया है। विधानसभा में मंगलवार को "मोटरयान कराधान (संशोधन) विधेयक-2025" को मंजूरी दी गई। इस कानून से टैक्स चोरी रोकने, नियम तोड़ने पर जुर्माना तय करने और लोगों को ऑनलाइन सुविधा देने जैसे प्रावधान किए गए हैं। अब बिना परमिट चलने या टैक्स न चुकाने पर तय जुर्माना लगेगा, लेकिन आम लोगों को बार-बार आरटीओ के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।
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मध्य प्रदेश विधानसभा
- फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
मध्यप्रदेश विधानसभा में मंगलवार को मोटरयान कराधान (संशोधन) विधेयक-2025 पारित हो गया। परिवहन मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने यह विधेयक सदन में पेश किया, जिसे कांग्रेस के विरोध के बावजूद मंजूरी मिल गई। मंत्री ने कहा कि यह संशोधन परिवहन व्यवस्था में पारदर्शिता लाने, कर वसूली को सुदृढ़ करने और नियमों को सरल बनाने की दिशा में उठाया गया कदम है।
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विधेयक में मोटरयान कराधान अधिनियम, 1991 की धारा 13 में संशोधन करते हुए दो महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। अब कर भुगतान में चूक करने पर 4% की दर से पेनल्टी लगेगी, लेकिन यह अधिकतम चार गुना से अधिक नहीं होगी। अन्य राज्यों के पंजीकृत वाहनों के टैक्स चोरी पर भी अब चार गुना जुर्माना वसूला जाएगा। वहीं बिना परमिट या उसकी शर्तों के उल्लंघन पर 1000 प्रति सीट और मालवाहन की श्रेणी में बिना परमिट परमिट शर्त उल्लंघन की दशा में 1000 प्रति टन के हिसाब से दंड लगाया जाएगा। उदाहरण के तौर पर, 42 सीटर बस पर नियम उल्लंघन की स्थिति में 42,000 तक का दंड वसूला जा सकेगा।
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विधेयक पर कांग्रेस का विरोध भी सामने आया। विधायक भैरो सिंह बापू ने कहा कि पैनिक बटन और लोकेशन डिवाइस जैसी व्यवस्थाओं से वाहन मालिकों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ आ रहा है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि फिटनेस प्रमाण पत्र जैसी सेवाओं के लिए लोगों को बार-बार विभाग के चक्कर काटने पड़ते हैं, जिससे कई लोग अपने वाहन अन्य राज्यों में रजिस्टर करा रहे हैं। वहीं, कांग्रेस विधायक भंवर सिंह शेखावत ने कहा कि भ्रष्टाचार हो रहा है। इंदौर में अधिकारी नहीं बैठते। एजेंटों के भरोसे काम हो रहा है। विधायक सीताशरण शर्मा ने कहा कि हमारी उम्र के लोगों को लाइसेंस नहीं मिल पाते।
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सदस्यों के सवालों के जवाब में परिवहन मंत्री ने बताया कि राज्य में ई-इंफोर्समेंट और कैशलेस व्यवस्था लागू की जा रही है, जिससे आम नागरिकों को राहत मिलेगी। अब टैक्स और पेनल्टी ऑनलाइन जमा की जा सकेगी। ड्राइविंग लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन की होम डिलीवरी की तरह व्यवस्था की जा रही है, जिससे आरटीओ कार्यालयों के चक्कर न लगाने पड़ें। विधेयक के समर्थन में मंत्री ने कहा कि यह कानून आम लोगों के खिलाफ नहीं बल्कि सिस्टम को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की दिशा में है। अंत में विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया।
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विधेयक में मोटरयान कराधान अधिनियम, 1991 की धारा 13 में संशोधन करते हुए दो महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। अब कर भुगतान में चूक करने पर 4% की दर से पेनल्टी लगेगी, लेकिन यह अधिकतम चार गुना से अधिक नहीं होगी। अन्य राज्यों के पंजीकृत वाहनों के टैक्स चोरी पर भी अब चार गुना जुर्माना वसूला जाएगा। वहीं बिना परमिट या उसकी शर्तों के उल्लंघन पर 1000 प्रति सीट और मालवाहन की श्रेणी में बिना परमिट परमिट शर्त उल्लंघन की दशा में 1000 प्रति टन के हिसाब से दंड लगाया जाएगा। उदाहरण के तौर पर, 42 सीटर बस पर नियम उल्लंघन की स्थिति में 42,000 तक का दंड वसूला जा सकेगा।
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विधेयक पर कांग्रेस का विरोध भी सामने आया। विधायक भैरो सिंह बापू ने कहा कि पैनिक बटन और लोकेशन डिवाइस जैसी व्यवस्थाओं से वाहन मालिकों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ आ रहा है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि फिटनेस प्रमाण पत्र जैसी सेवाओं के लिए लोगों को बार-बार विभाग के चक्कर काटने पड़ते हैं, जिससे कई लोग अपने वाहन अन्य राज्यों में रजिस्टर करा रहे हैं। वहीं, कांग्रेस विधायक भंवर सिंह शेखावत ने कहा कि भ्रष्टाचार हो रहा है। इंदौर में अधिकारी नहीं बैठते। एजेंटों के भरोसे काम हो रहा है। विधायक सीताशरण शर्मा ने कहा कि हमारी उम्र के लोगों को लाइसेंस नहीं मिल पाते।
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सदस्यों के सवालों के जवाब में परिवहन मंत्री ने बताया कि राज्य में ई-इंफोर्समेंट और कैशलेस व्यवस्था लागू की जा रही है, जिससे आम नागरिकों को राहत मिलेगी। अब टैक्स और पेनल्टी ऑनलाइन जमा की जा सकेगी। ड्राइविंग लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन की होम डिलीवरी की तरह व्यवस्था की जा रही है, जिससे आरटीओ कार्यालयों के चक्कर न लगाने पड़ें। विधेयक के समर्थन में मंत्री ने कहा कि यह कानून आम लोगों के खिलाफ नहीं बल्कि सिस्टम को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की दिशा में है। अंत में विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया।