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MP News: राष्ट्र निर्माण में भाषाओं की भूमिका पर होगा 14 सितंबर से दो दिवसीय मातृभाषा अनुष्ठान
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल
Published by: आनंद पवार
Updated Wed, 10 Sep 2025 09:42 PM IST
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सार
भोपाल के रवीन्द्र भवन में 14-15 सितंबर को भारतीय मातृभाषा अनुष्ठान आयोजित होगा। इस दो दिवसीय आयोजन में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव मार्गदर्शन करेंगे। कार्यक्रम में देश-प्रदेश के विद्वान, साहित्यकार और शोधकर्ता भाषाओं के राष्ट्र निर्माण में योगदान पर चर्चा करेंगे। आयोजन में काव्य गोष्ठी, प्रदर्शनी और हिंदी सहित भारतीय भाषाओं पर केंद्रित वैचारिक सत्र होंगे।

भारतीय मातृभाषा अनुष्ठान की जानकारी देते श्रीराम तिवारी
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
राष्ट्र निर्माण में भारतीय भाषाओं के योगदान को रेखांकित करने के लिए 14-15 सितंबर को राजधानी भोपाल के रवीन्द्र भवन में भारतीय मातृभाषा अनुष्ठान आयोजित होगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इस आयोजन का मार्गदर्शन करेंगे। बुधवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के संस्कृति सलाहकार श्रीराम तिवारी और संस्कृति संचालनालय एनपी नामदेव ने रवींद्र भवन में मीडिया को बताया कि दो दिवसीय इस आयोजन में देश-प्रदेश के भाषाविद, साहित्यकार, शिक्षाविद और शोधकर्ता सम्मिलित होंगे। इस अनुष्ठान में खड़ी बोली हिन्दी में अवधी, ब्रज, भोजपुरी, मैथिली, बुंदेली, मालवी, छत्तीसगढ़ी व बघेली तथा कन्नड़, मलयालम, तेलुगु, बांग्ला, तमिल और हिन्दी का अंतरसंबंध, भाषा और संचार प्रौद्योगिकी, हिन्दी साहित्य और प्रौद्योगिकी, नाटक और सिनेमा की भाषा, नृत्य और संगीत की भाषा, जनजातीय एवं धूमंतु भाषा-संचार, राष्ट्र की प्राणधारा लोकभाषाएं जैसे विविध विषयों पर केन्द्रित वैचारिक समागम में देश-प्रदेश के भारतीय भाषाओं के विशेषज्ञ-विद्वान सम्मिलित होंगे। इसके साथ भारतीय भाषाओं एवं बोलियों में काव्य गोष्ठी, प्रकाशन लोकार्पण तथा प्रदर्शनियां शामिल है।
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14 और 15 सितंबर को होगा मातृभाषा अनुष्ठान
श्रीराम तिवारी ने कहा कि आज आवश्यकता इस बात की है कि हम भारतीय भाषाओं के अध्ययन, लेखन, शोध और व्यवहार को प्रोत्साहित करें ताकि आने वाली पीढ़ियाँ अपनी सांस्कृतिक अस्मिता के साथ गर्वपूर्वक आगे बढ़ें। भाषाओं का संरक्षण और संवर्धन ही आत्मनिर्भर, सशक्त और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध राष्ट्र निर्माण का आधार है। उन्होंने बताया कि रवीन्द्र भवन, भोपाल में 14 और 15 सितंबर 2025 को दो दिवसीय भारतीय मातृभाषा अनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें भारतवर्ष के विकास में भाषाओं के अवदान पर केन्द्रित विविध वैचारित गोष्ठियां, प्रकाशन लोकार्पण, प्रदर्शनियों के शुभारंभ होगा। इसके साथ ही विक्रमोत्सव 2025 को लांगस्टैंडिंग आईपी ऑफ द ईयर का अवार्ड ईमैक्स ग्लोबल टीम द्वारा मुख्यमंत्री को समर्पित किया जायेगा।
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वर्ष 2024-25 के लिए पांच राष्ट्रीय हिंदी भाषा सम्मान
संस्कृति संचालनालय के संचालक एन.पी. नामदेव ने बताया कि मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग द्वारा विज्ञान एवं अन्य क्षेत्रों में हिंदी भाषा के विकास के विभिन्न क्षेत्रों में अमूल्य योगदान के लिए पांच राष्ट्रीय हिंदी भाषा सम्मानों की स्थापना की गयी। मुख्यमंत्री 15 सितंबर को शाम 5:00 बजे देश-विदेश के विद्वानों को हिन्दी भाषा सम्मान से अलंकृत करेंगे। इसमें प्रशांत पोळ, जबलपुर और लोकेन्द्र सिंह राजपूत, भोपाल को 'राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी सम्मान' रीता कौशल, ऑस्ट्रेलिया एवं डॉ. वंदना मुकेश, इंग्लैण्ड को 'राष्ट्रीय निर्मल वर्मा सम्मान', डॉ. इंदिरा गाजिएवा, रूस औरपदमा जोसेफिन वीरसिंघे को 'राष्ट्रीय फादर कामिल बुल्के सम्मान, डॉ. राधेश्याम नापित, शहडोल और डॉ. सदानंद दामोदर सप्रे, भोपाल को 'राष्ट्रीय गुणाकर मुले सम्मान' तथा डॉ. केसी अजय कुमार, तिरुवनंतपुरम् एवं डॉ. विनोद बब्बर, दिल्ली को राष्ट्रीय हिन्दी सेवा सम्मान प्रदान किया जाएगा। ये सम्मान वर्ष 2024-25 के लिए प्रदान किए जा रहे हैं।
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भाषा समाज की संस्कृति और मूल्यों की वाहक है
इस अवसर पर माधवराव सप्रे स्मृति समाचारपत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान के संस्थापक विजयदत्त श्रीधर ने कहा कि भारत में भाषायी सौहार्द, परस्पर सम्मान और सामंजस्य का सूत्र मातृभाषाएं हैं। वहीं, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलगुरू विजय मनोहर तिवारी ने कहा कि पत्रकारिता में भाषा का योगदान अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। भाषा केवल संवाद का साधन भर नहीं, बल्कि समाज की चेतना, संस्कृति और मूल्यों की वाहक है। पत्रकारिता के माध्यम से जब विचार और तथ्य जनता तक पहुंचते हैं तो उनकी विश्वसनीयता, प्रभावशीलता और सार्थकता भाषा की सटीकता और सहजता पर निर्भर करती है। साहित्य अकादमी के निदेशक विकास दवे ने कहा कि दो दिवसीय आयोजन में साहित्य अकादमी मध्य प्रदेश के माध्यम से वरिष्ठ साहित्यकारों का दो दिवसीय विमर्शात्मक संगम भी होगा। इसमें भारतीय भाषाओं और बोलियां से जुड़ा कवि सम्मेलन होगा। इसके साथ ही संविधान में अनुसूचित भारतीय भाषाओं के साथ-साथ मध्य प्रदेश की अनुसूचित 6 बोलियों के कवि भी अपना रचना पाठ करेंगे।

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14 और 15 सितंबर को होगा मातृभाषा अनुष्ठान
श्रीराम तिवारी ने कहा कि आज आवश्यकता इस बात की है कि हम भारतीय भाषाओं के अध्ययन, लेखन, शोध और व्यवहार को प्रोत्साहित करें ताकि आने वाली पीढ़ियाँ अपनी सांस्कृतिक अस्मिता के साथ गर्वपूर्वक आगे बढ़ें। भाषाओं का संरक्षण और संवर्धन ही आत्मनिर्भर, सशक्त और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध राष्ट्र निर्माण का आधार है। उन्होंने बताया कि रवीन्द्र भवन, भोपाल में 14 और 15 सितंबर 2025 को दो दिवसीय भारतीय मातृभाषा अनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें भारतवर्ष के विकास में भाषाओं के अवदान पर केन्द्रित विविध वैचारित गोष्ठियां, प्रकाशन लोकार्पण, प्रदर्शनियों के शुभारंभ होगा। इसके साथ ही विक्रमोत्सव 2025 को लांगस्टैंडिंग आईपी ऑफ द ईयर का अवार्ड ईमैक्स ग्लोबल टीम द्वारा मुख्यमंत्री को समर्पित किया जायेगा।
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वर्ष 2024-25 के लिए पांच राष्ट्रीय हिंदी भाषा सम्मान
संस्कृति संचालनालय के संचालक एन.पी. नामदेव ने बताया कि मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग द्वारा विज्ञान एवं अन्य क्षेत्रों में हिंदी भाषा के विकास के विभिन्न क्षेत्रों में अमूल्य योगदान के लिए पांच राष्ट्रीय हिंदी भाषा सम्मानों की स्थापना की गयी। मुख्यमंत्री 15 सितंबर को शाम 5:00 बजे देश-विदेश के विद्वानों को हिन्दी भाषा सम्मान से अलंकृत करेंगे। इसमें प्रशांत पोळ, जबलपुर और लोकेन्द्र सिंह राजपूत, भोपाल को 'राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी सम्मान' रीता कौशल, ऑस्ट्रेलिया एवं डॉ. वंदना मुकेश, इंग्लैण्ड को 'राष्ट्रीय निर्मल वर्मा सम्मान', डॉ. इंदिरा गाजिएवा, रूस औरपदमा जोसेफिन वीरसिंघे को 'राष्ट्रीय फादर कामिल बुल्के सम्मान, डॉ. राधेश्याम नापित, शहडोल और डॉ. सदानंद दामोदर सप्रे, भोपाल को 'राष्ट्रीय गुणाकर मुले सम्मान' तथा डॉ. केसी अजय कुमार, तिरुवनंतपुरम् एवं डॉ. विनोद बब्बर, दिल्ली को राष्ट्रीय हिन्दी सेवा सम्मान प्रदान किया जाएगा। ये सम्मान वर्ष 2024-25 के लिए प्रदान किए जा रहे हैं।
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भाषा समाज की संस्कृति और मूल्यों की वाहक है
इस अवसर पर माधवराव सप्रे स्मृति समाचारपत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान के संस्थापक विजयदत्त श्रीधर ने कहा कि भारत में भाषायी सौहार्द, परस्पर सम्मान और सामंजस्य का सूत्र मातृभाषाएं हैं। वहीं, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलगुरू विजय मनोहर तिवारी ने कहा कि पत्रकारिता में भाषा का योगदान अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। भाषा केवल संवाद का साधन भर नहीं, बल्कि समाज की चेतना, संस्कृति और मूल्यों की वाहक है। पत्रकारिता के माध्यम से जब विचार और तथ्य जनता तक पहुंचते हैं तो उनकी विश्वसनीयता, प्रभावशीलता और सार्थकता भाषा की सटीकता और सहजता पर निर्भर करती है। साहित्य अकादमी के निदेशक विकास दवे ने कहा कि दो दिवसीय आयोजन में साहित्य अकादमी मध्य प्रदेश के माध्यम से वरिष्ठ साहित्यकारों का दो दिवसीय विमर्शात्मक संगम भी होगा। इसमें भारतीय भाषाओं और बोलियां से जुड़ा कवि सम्मेलन होगा। इसके साथ ही संविधान में अनुसूचित भारतीय भाषाओं के साथ-साथ मध्य प्रदेश की अनुसूचित 6 बोलियों के कवि भी अपना रचना पाठ करेंगे।