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सियासत का वंशवाद: कांग्रेस में भी गहरी हैं भाई-भतीजावाद की जड़ें, 'वारिसों' को मिलता है टिकट या संगठन में पद
सार
MP Congress: मध्य प्रदेश कांग्रेस भी परिवारवाद से अछूती नहीं है। मौजूदा विधानसभा में करीब 20 विधायक राजनीतिक विरासत के सहारे सक्रिय हैं। दो पूर्व मुख्यमंत्रियों, कई पूर्व केंद्रीय व प्रदेश मंत्रियों, सांसदों और दिग्गज नेताओं के बेटे-बेटियां या परिजन आज विधायक हैं। नए चेहरों की जगह वंशवादी राजनीति हावी है।
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मध्य प्रदेश कांग्रेस में भी परिवारवाद की जड़ें दिखाई देती हैं।
- फोटो : अमर उजाला
भाजपा के साथ ही कांग्रेस भी परिवारवाद को बढ़ाने में पीछे नहीं है। वर्तमान विभानसभा में करीब 20 विधायकों के पीछे उनके परिवारों की लंबी राजनीतिक विरासत है। एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश कांग्रेस की मौजूदा विधानसभा टीम पर नजर डालें तो साफ झलकता है कि पार्टी भी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने में पीछे नहीं है। नए चेहरों की जगह ज्यादातर सीटों पर वही नेता टिके हैं, जिनके परिवार पहले से सत्ता या संगठन में मजबूत पकड़ रखते आए हैं।
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अजय सिंह-स्व अर्जुन सिंह
- फोटो : अमर उजाला
दो पूर्व सीएम के बेटे विधायक
सीधी के चुरहट से अजय सिंह विधायक हैं। वे पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता स्व. अर्जुन सिंह के बेटे हैं। अर्जुन सिंह केंद्र सरकार में कई बार मंत्री भी रहे। वहीं, गुना के राघौगढ़ से विधायक जयर्वधन सिंह के पिता दिग्विजय सिंह प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं और वर्तमान में कांग्रेस से राज्यसभा सांसद हैं। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ भी छिंदवाड़ा से सांसद रहे। उन्होंने 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार का सामना करना पड़ा।
ये भी पढ़ें- कार्यकर्ताओं का क्या: भाजपा में परिवारवाद पर दोहरा मापदंड? सांसद-विधायक के टिकट पर दी एंट्री, यहां बैन
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जयवर्धन सिंह-दिग्विजय सिंह
- फोटो : अमर उजाला
पूर्व केंद्रीय मंत्री के बेटे संभाल रहे विरासत
झाबुआ से डॉ. विक्रांत भूरिया विधायक हैं। उनके पिता कांतिलाल भूरिया रतलाम-झाबुआ से सांसद रहे और केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे। वहीं, खरगोन के कसरावद से सचिन यादव विधायक हैं, उनके पिता सुभाष यादव प्रदेश सरकार में उपमुख्यमंत्री थे और उनके बड़े भाई अरुण यादव केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। बालाघाट की ब्यौहारी से कांग्रेस विधायक संजय उइके के पिता गनपत सिंह उइके कई बार विधायक रहे और कांग्रेस सरकार में मंत्री भी रहे।
झाबुआ से डॉ. विक्रांत भूरिया विधायक हैं। उनके पिता कांतिलाल भूरिया रतलाम-झाबुआ से सांसद रहे और केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे। वहीं, खरगोन के कसरावद से सचिन यादव विधायक हैं, उनके पिता सुभाष यादव प्रदेश सरकार में उपमुख्यमंत्री थे और उनके बड़े भाई अरुण यादव केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। बालाघाट की ब्यौहारी से कांग्रेस विधायक संजय उइके के पिता गनपत सिंह उइके कई बार विधायक रहे और कांग्रेस सरकार में मंत्री भी रहे।
विक्रांत भूरिया-कांतिलाल भूरिया
- फोटो : अमर उजाला
सिंघार को भी विरासत में मिली राजनीति
खरगोन के भीकनगांव से कांग्रेस विधायक झूमा सोलंकी के रिश्तेदार जीवन सिंह पटेल कांग्रेस के पूर्व नेता रहे और रामपुर बघेलान विधानसभा सीट से 1989 से विधायक चुने गए। वहीं, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार भी परिवार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। धार के गंधवानी से कांग्रेस विधायक उमंग सिंघार पूर्व उपमुख्यमंत्री स्व. जमुना देवी के भतीजे हैं। जमुना देवी 1962-67 में लोकसभा सदस्य थीं। इसके बाद 1978 में राज्यसभा की सदस्य भी बनीं। इसके बाद 1998 से 2003 तक मध्य प्रदेश की उपमुख्यमंत्री रही। हरदा के टिमरनी से कांग्रेस विधायक अभिजीत सिंह (अंकित बाबा) के अंकल संजय शाह (मकड़ई) भाजपा के सीनियर नेता रहे हैं। भाजपा के टिमरनी से विधायक रहे।
ये भी पढ़ें- कैसे चमकेगी नेता पुत्रों की राजनीति? भाजपा में बड़े पद मिलने पर रोक, इस्तीफे भी लिए, नई नीति का संदेश क्या
खरगोन के भीकनगांव से कांग्रेस विधायक झूमा सोलंकी के रिश्तेदार जीवन सिंह पटेल कांग्रेस के पूर्व नेता रहे और रामपुर बघेलान विधानसभा सीट से 1989 से विधायक चुने गए। वहीं, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार भी परिवार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। धार के गंधवानी से कांग्रेस विधायक उमंग सिंघार पूर्व उपमुख्यमंत्री स्व. जमुना देवी के भतीजे हैं। जमुना देवी 1962-67 में लोकसभा सदस्य थीं। इसके बाद 1978 में राज्यसभा की सदस्य भी बनीं। इसके बाद 1998 से 2003 तक मध्य प्रदेश की उपमुख्यमंत्री रही। हरदा के टिमरनी से कांग्रेस विधायक अभिजीत सिंह (अंकित बाबा) के अंकल संजय शाह (मकड़ई) भाजपा के सीनियर नेता रहे हैं। भाजपा के टिमरनी से विधायक रहे।
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उमंग सिंघार-जमुना देवी
- फोटो : अमर उजाला
इनके पति रहे बड़े नेता
बालाघाट से विधायक अनुभा मुंजारे के पति कंकर मुंजारे तीन बार विधायक रहे और एक सांसद रह चुके हैं। उन्होंने 2024 में बसपा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन हार का सामना करना पड़ा। अलीराजपुर के जोबट से विधायक सेना के पति महेश पटेल दो बार विधायक और जिला अध्यक्ष रहे।
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