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MP News: जहरीली दवा से 26 बच्चों की मौत पर दिग्विजय सिंह का हमला, कहा- यह हत्या से कम नहीं, CBI जांच की मांग
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल
Published by: संदीप तिवारी
Updated Sat, 25 Oct 2025 01:47 PM IST
सार
मध्यप्रदेश में जहरीली कफ सिरप कोल्ड्रिफ से हुई 26 मासूम बच्चों की मौत के मामले में केंद्र और राज्य सरकारों पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि इस पूरे प्रकरण की CBI से जांच कराई जाए और दोषी अधिकारियों, निर्माताओं व नियामकों पर हत्या का मुकदमा दर्ज हो। साथ ही पीड़ित परिवारों को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने की मांग की।
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पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने शनिवार को भोपाल में पत्रकार वार्ता कर मध्यप्रदेश में जहरीली कफ सिरप कोल्ड्रिफ से हुई 26 मासूम बच्चों की मौत के मामले में केंद्र और राज्य सरकारों पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि यह हादसा सिर्फ एक दवा की गड़बड़ी नहीं, बल्कि नकली दवाओं के संगठित कारोबार और सरकारी मिलीभगत का परिणाम है। दिग्विजय सिंह ने कहा कि कफ सिरप में डाय-एथिलीन ग्लाइकोल (DEG) की मात्रा 48.6 प्रतिशत पाई गई, जबकि स्वीकृत सीमा केवल 0.1 प्रतिशत है- यानी 486 गुना ज्यादा जहर। यह मानव जीवन के साथ खुला खिलवाड़ है, यह हादसा नहीं, हत्या है।
CBI जांच और कठोर सजा की मांग
उन्होंने कहा कि इस पूरे प्रकरण की CBI से जांच कराई जाए और दोषी अधिकारियों, निर्माताओं व नियामकों पर हत्या सदृश अपराध (भारतीय न्याय संहिता की धारा 102) के तहत मुकदमा दर्ज हो।साथ ही पीड़ित परिवारों को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने की मांग की। यह सिर्फ छिंदवाड़ा के 26 बच्चों की नहीं, पूरे देश के भविष्य की लड़ाई है। अगर अब भी सरकार नहीं जागी तो जनता का दवा व्यवस्था से विश्वास खत्म हो जाएगा।
मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को जवाब देना होगा
सिंह ने आरोप लगाया कि राज्य स्वास्थ्य समिति, जिसके अध्यक्ष मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और सह-अध्यक्ष स्वास्थ्य मंत्री हैं, ने जन-स्वास्थ्य की जिम्मेदारी पूरी तरह निभाने में असफलता दिखाई। जब राज्य स्वास्थ्य समिति के अध्यक्ष खुद मुख्यमंत्री हैं, तो 26 बच्चों की मौत पर जवाबदेही कौन तय करेगा? उन्होंने कहा कि जहरीली दवा प्राइवेट डॉक्टरों के पर्चों पर खुले बाजार में बेची जा रही थी, लेकिन सरकार ने इसकी रोकथाम नहीं की।
केंद्र सरकार और भाजपा पर गंभीर आरोप
दिग्विजय सिंह ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा और केंद्र सरकार से भी कई सवाल किए। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने फार्मा कंपनियों से 945 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड लेकर जन विश्वास अधिनियम, 2023 में बदलाव किया, जिससे नकली दवाएं बनाने और बेचने वालों के लिए जेल की सजा हटा दी गई और सिर्फ जुर्माने का प्रावधान रह गया। कंपनियों ने चंदा दो, धंधा लो का खेल खेला, और सरकार ने कानून बदलकर अपराधियों को छूट दे दी। दिग्विजय सिंह ने सवाल उठाया कि जब गाम्बिया (2022) और उज्बेकिस्तान (2023) में भारतीय दवाओं से बच्चों की मौत हो चुकी थी, तब भी केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने क्यों नहीं सीखा?
यह भी पढ़ें-इंदौर में भी कार्बाइड गन की बिक्री पर लगा प्रतिबंध, मरीजों का हाल जानने हमीदिया अस्पताल पहुंचे सीएम
केंद्र और राज्य से पूछे तीखे सवाल
- पूर्व मुख्यमंत्री ने प्रेस वार्ता में प्रधानमंत्री, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री, मुख्य सचिव और राज्य स्वास्थ्य समिति से कई सवाल पूछे। प्रमुख सवाल इस प्रकार हैं—
- CDSCO ने केवल 9% दवा फैक्ट्रियों का निरीक्षण किया, फिर भी केंद्र सरकार क्यों चुप रही?
- जहरीली दवा के रिकॉल में 42 दिन की देरी क्यों हुई?
- जन औषधि केंद्रों में नकली दवाएं मिलने के बाद भी “क्वालिटी फर्स्ट” मॉडल क्यों नहीं अपनाया गया?
- राज्य स्वास्थ्य समिति और मुख्य सचिव ने GMP और API परीक्षण क्यों नहीं कराए?
- CAG रिपोर्ट में देरी और गड़बड़ी के बावजूद जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
- क्या भाजपा की फार्मा फंडिंग ने नियामक संस्थाओं को निष्क्रिय बना दिया?
यह भी पढ़ें-नेता प्रतिपक्ष बोले-स्वास्थ्य मंत्री को कोरेक्स का नशा, हमीदिया अस्पताल पहुंच कर घायलों से की मुलाकात
साक्ष्य साबित करते हैं कि लापरवाही जानबूझकर की गई
दिग्विजय सिंह ने कहा कि तमिलनाडु ड्रग्स कंट्रोल डिपार्टमेंट की 3 अक्टूबर 2025 की रिपोर्ट, CDSCO का 4 अक्टूबर 2025 का सर्कुलर, गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज नागपुर की ऑटोप्सी रिपोर्ट्स, और CAG ऑडिट यह साबित करते हैं कि जहरीले सिरप का व्यापार कमीशनखोरी के संरक्षण में फलता-फूलता रहा।
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CBI जांच और कठोर सजा की मांग
उन्होंने कहा कि इस पूरे प्रकरण की CBI से जांच कराई जाए और दोषी अधिकारियों, निर्माताओं व नियामकों पर हत्या सदृश अपराध (भारतीय न्याय संहिता की धारा 102) के तहत मुकदमा दर्ज हो।साथ ही पीड़ित परिवारों को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने की मांग की। यह सिर्फ छिंदवाड़ा के 26 बच्चों की नहीं, पूरे देश के भविष्य की लड़ाई है। अगर अब भी सरकार नहीं जागी तो जनता का दवा व्यवस्था से विश्वास खत्म हो जाएगा।
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मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को जवाब देना होगा
सिंह ने आरोप लगाया कि राज्य स्वास्थ्य समिति, जिसके अध्यक्ष मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और सह-अध्यक्ष स्वास्थ्य मंत्री हैं, ने जन-स्वास्थ्य की जिम्मेदारी पूरी तरह निभाने में असफलता दिखाई। जब राज्य स्वास्थ्य समिति के अध्यक्ष खुद मुख्यमंत्री हैं, तो 26 बच्चों की मौत पर जवाबदेही कौन तय करेगा? उन्होंने कहा कि जहरीली दवा प्राइवेट डॉक्टरों के पर्चों पर खुले बाजार में बेची जा रही थी, लेकिन सरकार ने इसकी रोकथाम नहीं की।
केंद्र सरकार और भाजपा पर गंभीर आरोप
दिग्विजय सिंह ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा और केंद्र सरकार से भी कई सवाल किए। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने फार्मा कंपनियों से 945 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड लेकर जन विश्वास अधिनियम, 2023 में बदलाव किया, जिससे नकली दवाएं बनाने और बेचने वालों के लिए जेल की सजा हटा दी गई और सिर्फ जुर्माने का प्रावधान रह गया। कंपनियों ने चंदा दो, धंधा लो का खेल खेला, और सरकार ने कानून बदलकर अपराधियों को छूट दे दी। दिग्विजय सिंह ने सवाल उठाया कि जब गाम्बिया (2022) और उज्बेकिस्तान (2023) में भारतीय दवाओं से बच्चों की मौत हो चुकी थी, तब भी केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने क्यों नहीं सीखा?
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केंद्र और राज्य से पूछे तीखे सवाल
- पूर्व मुख्यमंत्री ने प्रेस वार्ता में प्रधानमंत्री, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री, मुख्य सचिव और राज्य स्वास्थ्य समिति से कई सवाल पूछे। प्रमुख सवाल इस प्रकार हैं—
- CDSCO ने केवल 9% दवा फैक्ट्रियों का निरीक्षण किया, फिर भी केंद्र सरकार क्यों चुप रही?
- जहरीली दवा के रिकॉल में 42 दिन की देरी क्यों हुई?
- जन औषधि केंद्रों में नकली दवाएं मिलने के बाद भी “क्वालिटी फर्स्ट” मॉडल क्यों नहीं अपनाया गया?
- राज्य स्वास्थ्य समिति और मुख्य सचिव ने GMP और API परीक्षण क्यों नहीं कराए?
- CAG रिपोर्ट में देरी और गड़बड़ी के बावजूद जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
- क्या भाजपा की फार्मा फंडिंग ने नियामक संस्थाओं को निष्क्रिय बना दिया?
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साक्ष्य साबित करते हैं कि लापरवाही जानबूझकर की गई
दिग्विजय सिंह ने कहा कि तमिलनाडु ड्रग्स कंट्रोल डिपार्टमेंट की 3 अक्टूबर 2025 की रिपोर्ट, CDSCO का 4 अक्टूबर 2025 का सर्कुलर, गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज नागपुर की ऑटोप्सी रिपोर्ट्स, और CAG ऑडिट यह साबित करते हैं कि जहरीले सिरप का व्यापार कमीशनखोरी के संरक्षण में फलता-फूलता रहा।