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MP News: एम्स में लंग्स ट्रांसप्लांट शुरू करने की तैयारी, डॉक्टरों की ट्रेनिंग पूरी, सोटो की मंजूरी का इंतजार
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल
Published by: संदीप तिवारी
Updated Thu, 13 Nov 2025 12:22 PM IST
सार
एम्स भोपाल में लंग्स ट्रांसप्लांट शुरू होने की राह लगभग साफ है। टीम की ट्रेनिंग पूरी हो चुकी है और सोटो का निरीक्षण भी पूरा हो गया है। अब सिर्फ अंतिम मंजूरी का इंतजार है। अनुमति मिलने के बाद एम्स भोपाल मध्य भारत का पहला सरकारी संस्थान बनेगा, जहां हार्ट, किडनी, बोन मैरो और लंग्स चारों बड़े प्रत्यारोपण एक ही जगह उपलब्ध होंगे।
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एम्स भोपाल
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
एम्स भोपाल फेफड़ों के प्रत्यारोपण की सुविधा शुरू होने की दिशा में महत्वपूर्ण उठाने जा रहा है। गंभीर फेफड़े संबंधी रोगों से जूझ रहे मरीजों के लिए यह बड़ी राहत साबित हो सकती है। अस्पताल में लंग्स ट्रांसप्लांट शुरू करने के लिए आवश्यक स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन (SOTO) ने साइट विजिट पूरी कर ली है। टीम की रिपोर्ट सरकार को भेजे जाने के बाद अंतिम अनुमति जारी होगी, जिसके बाद यह सुविधा शुरू की जा सकेगी। अनुमति मिलने के बाद एम्स भोपाल मध्य भारत का पहला सरकारी संस्थान बनेगा, जहां हार्ट, किडनी, बोन मैरो और लंग्स चारों बड़े प्रत्यारोपण एक ही जगह उपलब्ध होंगे।
25 लाख से 35 लाख तक होते हैं खर्च
भारत में निजी अस्पतालों में फेफड़े के प्रत्यारोपण की लागत आमतौर पर 25 लाख से 35 लाख के बीच होती है, हालांकि यह लागत 15.5 लाख से शुरू होकर 40 लाख तक भी जा सकती है। यह खर्च कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कि एकल या दोहरे प्रत्यारोपण, अस्पताल और सर्जन की फीस, और सर्जरी के बाद की देखभाल। एम्स में सुविधा शुरू होने से मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी।
यह भी पढ़ें-विदिशा की बच्ची की तस्वीर को लेकर कांग्रेस का सरकार पर हमला,कहा-यह मध्यप्रदेश की जमीनी सच्चाई का आइना
लंग्स ट्रांसप्लांट टीम ने विशेष प्रशिक्षण पूरा किया
लंग्स प्रत्यारोपण अत्यंत जटिल सर्जरी मानी जाती है और इसे कार्डियक-वैस्कुलर सर्जन ही करते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए एम्स भोपाल की टीएसवी टीम चेन्नई में विशेष प्रशिक्षण से होकर आई है। वहां टीम ने हार्ट और लंग्स दोनों ट्रांसप्लांट की तकनीक में महारत हासिल की। जानकारी के मुताबिक एम्स में पीडियाट्रिक किडनी ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया भी आगे बढ़ रही है। चार बच्चों को चयनित किया गया है और प्रारंभिक मेडिकल जांच चल रही है। सभी रिपोर्ट सामान्य होने के बाद ऑपरेशन शुरू किया जाएगा।
यह भी पढ़ें-मध्य प्रदेश के 20 जिलों में आज शीतलहर का अलर्ट, प्रदेश के कई शहरों में टूटा ठंड का रिकॉर्ड
प्रत्यारोपण के लिए हाई-टेक मशीनें तैयार
ECMO मशीन: हार्ट या लंग्स कमजोर होने पर जीवनरक्षक सपोर्ट
हार्ट-लंग मशीन: ट्रांसप्लांट के दौरान अंगों की कार्यप्रणाली बनाए रखने के लिए
IABP मशीन: हार्ट ट्रांसप्लांट के समय हृदय कमजोर होने पर अतिरिक्त सहारा
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25 लाख से 35 लाख तक होते हैं खर्च
भारत में निजी अस्पतालों में फेफड़े के प्रत्यारोपण की लागत आमतौर पर 25 लाख से 35 लाख के बीच होती है, हालांकि यह लागत 15.5 लाख से शुरू होकर 40 लाख तक भी जा सकती है। यह खर्च कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कि एकल या दोहरे प्रत्यारोपण, अस्पताल और सर्जन की फीस, और सर्जरी के बाद की देखभाल। एम्स में सुविधा शुरू होने से मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी।
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लंग्स प्रत्यारोपण अत्यंत जटिल सर्जरी मानी जाती है और इसे कार्डियक-वैस्कुलर सर्जन ही करते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए एम्स भोपाल की टीएसवी टीम चेन्नई में विशेष प्रशिक्षण से होकर आई है। वहां टीम ने हार्ट और लंग्स दोनों ट्रांसप्लांट की तकनीक में महारत हासिल की। जानकारी के मुताबिक एम्स में पीडियाट्रिक किडनी ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया भी आगे बढ़ रही है। चार बच्चों को चयनित किया गया है और प्रारंभिक मेडिकल जांच चल रही है। सभी रिपोर्ट सामान्य होने के बाद ऑपरेशन शुरू किया जाएगा।
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हार्ट-लंग मशीन: ट्रांसप्लांट के दौरान अंगों की कार्यप्रणाली बनाए रखने के लिए
IABP मशीन: हार्ट ट्रांसप्लांट के समय हृदय कमजोर होने पर अतिरिक्त सहारा