{"_id":"692545b0a8f322c7090fb87e","slug":"mp-news-dispute-over-appointment-of-bjp-officials-along-with-blos-in-datia-jitu-patwari-called-it-an-insult-2025-11-25","type":"story","status":"publish","title_hn":"MP News: दतिया में बीएलओ के साथ भाजपा पदाधिकारियों की नियुक्ति पर विवाद,जीतू पटवारी ने बताया लोकतंत्र का अपमान","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
MP News: दतिया में बीएलओ के साथ भाजपा पदाधिकारियों की नियुक्ति पर विवाद,जीतू पटवारी ने बताया लोकतंत्र का अपमान
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल
Published by: संदीप तिवारी
Updated Tue, 25 Nov 2025 01:38 PM IST
सार
दतिया में मतदाता सूची पुनरीक्षण पर प्रशासन के आदेश ने सियासी हलचल मचा दी है। बीएलओ के साथ सहयोगी के रूप में भाजपा पदाधिकारियों की नियुक्ति सामने आते ही कांग्रेस ने इसे लोकतंत्र का अपमान बताते हुए तीखा हमला बोला है।
विज्ञापन
पीसीसी चीफ जीतू पटवारी
- फोटो : अमर उजाला
विज्ञापन
विस्तार
दतिया में मतदाता सूची के विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (SIR-2026) को लेकर जारी एक प्रशासनिक आदेश ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। कलेक्टर कार्यालय द्वारा बीएलओ के साथ जिन “सहयोगियों” की नियुक्ति की गई है, उनमें भाजपा पदाधिकारियों, पूर्व मंडल अध्यक्षों और संगठन से जुड़े कार्यकर्ताओं के नाम शामिल होने के बाद मामला राजनीतिक रंग ले चुका है। संवेदनशील प्रक्रिया मानी जाने वाली मतदाता सूची पुनरीक्षण में राजनीतिक हस्तक्षेप के आरोप तेजी से उठने लगे हैं। विपक्ष का कहना है कि यह आदेश प्रशासनिक निष्पक्षता पर सीधा सवाल है और चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता को चोट पहुंचाता है।
कांग्रेस का हमला भाजपा SIR को बना रही पार्टी एजेंडा
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इस आदेश को लेकर तीखा वार किया। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के बाद अब प्रशासन भी सत्ता और संगठन की कठपुतली बनकर नाच रहा है। मतदाता सूची जैसी संवैधानिक प्रक्रिया में भाजपा पदाधिकारियों को शामिल करना लोकतंत्र का खुला अपमान है। भाजपा सरकार हर संवैधानिक व्यवस्था को अपने राजनीतिक एजेंडे का औजार बना चुकी है। पटवारी ने आरोप लगाया कि भाजपा मतदाता सूची को प्रभावित कर संगठन के हित में इस्तेमाल करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस हर मतदाता के अधिकार की रक्षा और SIR की शुचिता बनाए रखने के लिए सजग और संघर्षरत” रहेगी।
यह भी पढ़ें-आर्किटेक्ट के गुप्त लॉकर से लाखों के जेवरात गायब, मुंबई से लौटकर देखा तो उड़ गए होश
कलेक्टर के आदेश में क्या है?
23 नवंबर को जारी आदेश में SIR-2026 के तहत बीएलओ के फील्ड कार्य, सत्यापन और दस्तावेज़ी प्रक्रिया में मदद के लिए सहयोगियों की नियुक्ति की गई है। लेकिन जारी सूची में कई नाम भाजपा संगठन से जुड़े होने के कारण विवाद खड़ा हो गया है। विपक्ष का आरोप है कि प्रशासन ने सरकारी प्रक्रिया में सत्ता पक्ष को खुली भागीदारी का मौका दिया है।
यह भी पढ़ें-राजधानी में अपराधियों के हौसले बुलंद, पॉश इलाकों में मारपीट-तोड़फोड़, भोपाल पुलिस पर उठे सवाल
क्यों उठे सवाल?
राजनीतिक पदाधिकारियों की सीधी भागीदारी पुनरीक्षण प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल बनती है। विपक्ष को आशंका है कि इसे मतदाता सूची में पक्षपातपूर्ण लाभ लेने के लिए उपयोग किया जा सकता है। बीएलओ के साथ सहयोगी के रूप में संगठन कार्यकर्ताओं को जोड़ना प्रशासनिक तटस्थता पर गहरी चोट माना जा रहा है।
Trending Videos
कांग्रेस का हमला भाजपा SIR को बना रही पार्टी एजेंडा
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इस आदेश को लेकर तीखा वार किया। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के बाद अब प्रशासन भी सत्ता और संगठन की कठपुतली बनकर नाच रहा है। मतदाता सूची जैसी संवैधानिक प्रक्रिया में भाजपा पदाधिकारियों को शामिल करना लोकतंत्र का खुला अपमान है। भाजपा सरकार हर संवैधानिक व्यवस्था को अपने राजनीतिक एजेंडे का औजार बना चुकी है। पटवारी ने आरोप लगाया कि भाजपा मतदाता सूची को प्रभावित कर संगठन के हित में इस्तेमाल करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस हर मतदाता के अधिकार की रक्षा और SIR की शुचिता बनाए रखने के लिए सजग और संघर्षरत” रहेगी।
विज्ञापन
विज्ञापन
यह भी पढ़ें-आर्किटेक्ट के गुप्त लॉकर से लाखों के जेवरात गायब, मुंबई से लौटकर देखा तो उड़ गए होश
कलेक्टर के आदेश में क्या है?
23 नवंबर को जारी आदेश में SIR-2026 के तहत बीएलओ के फील्ड कार्य, सत्यापन और दस्तावेज़ी प्रक्रिया में मदद के लिए सहयोगियों की नियुक्ति की गई है। लेकिन जारी सूची में कई नाम भाजपा संगठन से जुड़े होने के कारण विवाद खड़ा हो गया है। विपक्ष का आरोप है कि प्रशासन ने सरकारी प्रक्रिया में सत्ता पक्ष को खुली भागीदारी का मौका दिया है।
यह भी पढ़ें-राजधानी में अपराधियों के हौसले बुलंद, पॉश इलाकों में मारपीट-तोड़फोड़, भोपाल पुलिस पर उठे सवाल
क्यों उठे सवाल?
राजनीतिक पदाधिकारियों की सीधी भागीदारी पुनरीक्षण प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल बनती है। विपक्ष को आशंका है कि इसे मतदाता सूची में पक्षपातपूर्ण लाभ लेने के लिए उपयोग किया जा सकता है। बीएलओ के साथ सहयोगी के रूप में संगठन कार्यकर्ताओं को जोड़ना प्रशासनिक तटस्थता पर गहरी चोट माना जा रहा है।