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MP News: दीपावली की खुशियां बनीं दर्द, 200 रुपए की गन ने छीन ली 6 साल के मासूम की आंख,डॉक्टर बोले-यह बड़ा खतरा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल
Published by: संदीप तिवारी
Updated Fri, 24 Oct 2025 05:20 PM IST
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सार
कार्बाइड गन बेहद खतरनाक है। इससे निकलने वाला केमिकल सीधा आंख पर असर करता है। कई बच्चों की आंखों की परत जल गई है। भोपाल के हमीदिया अस्पताल में भर्ती मरीजों और उनके परिजनों ने अपनी पीड़ा बताई है कि कैसे उनकी आंखे खराब हो गई।
अस्पताल में भर्ती मासूम अलजिन
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
दीपावली की चमक अभी फीकी नहीं पड़ी थी कि भोपाल के हमीदिया अस्पताल के नेत्र विभाग के बाहर बैठी आफरीन खान की आंखों से आंसू थम नहीं रहे थे। आफरीन बताती हैं कि मेरे पति घर पर त्योहार के लिए एक कार्बाइड गन लाए थे। 6 साल का बेटा अलजिन खान उसे चलाने लगा। जब गन बंद हो गई तो उसने खोलकर देखा और अचानक चल गई। दोनों आंखों में चोट आई। डॉक्टरों ने कहा एक आंख खराब हो गई है, दूसरी में थोड़ा-थोड़ा दिखाई दे रहा है।वो कांपती आवाज में कहती हैं। काश, हमने वो गन न खरीदी होती, आज मेरा बेटा ठीक होता। इसी प्रकार प्रदेश भर के 300 के करीब लोग इस गन के शिकार हुए हैं।
डॉक्टर बोले-आंख की परत जला देता है यह केमिकल
हमीदिया अस्पताल के नेत्र रोग विभाग की प्रमुख डॉ. कविता कुमार ने बताया कि कार्बाइड गन बेहद खतरनाक है। इससे निकलने वाला केमिकल सीधा आंख पर असर करता है। कई बच्चों की आंखों की परत जल गई है। अब तक 27 मरीज भर्ती हुए थे, जिनमें से 16 का ऑपरेशन किया गया है। फिलहाल 5 मरीज अभी अस्पताल में भर्ती हैं। कई मामलों में पूरी रोशनी लौटना संभव नहीं है।
डेढ़ सौ रुपये की गन बनी आफत
भोपाल के 14 वर्षीय कारन पंथी ने दीपावली के अगले दिन अपने भाई के साथ बेस्ट प्राइस के सामने फुटपाथ से डेढ़ सौ रुपये की गन खरीदी थी। नितिन पंथी बताते हैं, शुरुआत में ठीक चली, पर शाम को बंद हो गई। कार्तिक उसे चेक कर रहा था तभी धमाका हुआ। उसकी दाईं आंख बुरी तरह झुलस गई। ऑपरेशन हुआ है, पर अभी दिखाई नहीं दे रहा है।
चेक करते समय चली गन, आंख गई
लॉन्ड्री का काम करने वाले प्रशांत मालवीय ने बताया, “मेरे चाचा का लड़का गन लेकर आया था। मैं बस देखना चाहता था कि कैसे चलती है। तभी अचानक चल गई और सीधा आंख पर लगी। एक आंख का ऑपरेशन हो चुका है। डॉक्टर कह रहे हैं, ठीक होने में वक्त लगेगा।”
यह भी पढ़ें-दो सौ से ज्यादा लोगों की आंखें खराब,अब जागा प्रशासन, कार्बाइड गन के साथ युवक गिरफ्तार, बढ़ रहे केस
कई बच्चों की आंखें खतरे में
हमीदिया अस्पताल में भर्ती अन्य मरीजों में भी ज्यादातर बच्चे हैं। डॉक्टरों के मुताबिक, ये सभी गनें स्थानीय बाजारों या सड़क किनारे से खरीदी गई थीं। गन में इस्तेमाल होने वाला कैल्शियम कार्बाइड पानी से प्रतिक्रिया कर एसिटिलीन गैस बनाता है, जो विस्फोट के साथ-साथ आंख की परत को भी जला देता है।
यह भी पढ़ें-भोपाल में कार्बाइड गन पर पूर्ण प्रतिबंध,कलेक्टर ने हमीदिया पहुंचकर घायलों के हालात की ली जानकारी
यह खिलौना नहीं, मौत का खेल है
डॉ. कविता कुमार ने कहा है कि लोग इसे बच्चों का खिलौना समझकर खरीद लेते हैं, लेकिन यह बेहद खतरनाक है। यह आंख के लिए जहर जैसी है। सरकार को तुरंत इसकी बिक्री पर रोक लगानी चाहिए ताकि अगली दिवाली किसी बच्चे की आंखों से रोशनी न छिने।
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डॉक्टर बोले-आंख की परत जला देता है यह केमिकल
हमीदिया अस्पताल के नेत्र रोग विभाग की प्रमुख डॉ. कविता कुमार ने बताया कि कार्बाइड गन बेहद खतरनाक है। इससे निकलने वाला केमिकल सीधा आंख पर असर करता है। कई बच्चों की आंखों की परत जल गई है। अब तक 27 मरीज भर्ती हुए थे, जिनमें से 16 का ऑपरेशन किया गया है। फिलहाल 5 मरीज अभी अस्पताल में भर्ती हैं। कई मामलों में पूरी रोशनी लौटना संभव नहीं है।
डेढ़ सौ रुपये की गन बनी आफत
भोपाल के 14 वर्षीय कारन पंथी ने दीपावली के अगले दिन अपने भाई के साथ बेस्ट प्राइस के सामने फुटपाथ से डेढ़ सौ रुपये की गन खरीदी थी। नितिन पंथी बताते हैं, शुरुआत में ठीक चली, पर शाम को बंद हो गई। कार्तिक उसे चेक कर रहा था तभी धमाका हुआ। उसकी दाईं आंख बुरी तरह झुलस गई। ऑपरेशन हुआ है, पर अभी दिखाई नहीं दे रहा है।
चेक करते समय चली गन, आंख गई
लॉन्ड्री का काम करने वाले प्रशांत मालवीय ने बताया, “मेरे चाचा का लड़का गन लेकर आया था। मैं बस देखना चाहता था कि कैसे चलती है। तभी अचानक चल गई और सीधा आंख पर लगी। एक आंख का ऑपरेशन हो चुका है। डॉक्टर कह रहे हैं, ठीक होने में वक्त लगेगा।”
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कई बच्चों की आंखें खतरे में
हमीदिया अस्पताल में भर्ती अन्य मरीजों में भी ज्यादातर बच्चे हैं। डॉक्टरों के मुताबिक, ये सभी गनें स्थानीय बाजारों या सड़क किनारे से खरीदी गई थीं। गन में इस्तेमाल होने वाला कैल्शियम कार्बाइड पानी से प्रतिक्रिया कर एसिटिलीन गैस बनाता है, जो विस्फोट के साथ-साथ आंख की परत को भी जला देता है।
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यह खिलौना नहीं, मौत का खेल है
डॉ. कविता कुमार ने कहा है कि लोग इसे बच्चों का खिलौना समझकर खरीद लेते हैं, लेकिन यह बेहद खतरनाक है। यह आंख के लिए जहर जैसी है। सरकार को तुरंत इसकी बिक्री पर रोक लगानी चाहिए ताकि अगली दिवाली किसी बच्चे की आंखों से रोशनी न छिने।