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MP News: 11 निकायों के 1204 नलकूपों से बगैर परीक्षण कर दी जलापूर्ति, कैग ने माना जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़

न्यूज डेस्क, भोपाल, मध्य प्रदेश Published by: आनंद पवार Updated Mon, 24 Mar 2025 07:19 AM IST
सार

भारत सरकार के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) की ताजा रिपोर्ट में मध्य प्रदेश के 14 चयनित निकायों में से 11 निकायों द्वारा 1,204 बोरवेलों से जलापूर्ति के लिए जल परीक्षण न कराने का खुलासा हुआ है।

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MP News: Water supply from 1204 tube wells of 11 bodies without testing, CAG admitted playing with public heal
कैग की रिपोर्ट - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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भारत सरकार के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया कि मध्य प्रदेश के 14 चयनित निकायों में से 11 निकायों के 1,204 बोरवेलों से जलापूर्ति के पहले जल परीक्षण नहीं किया गया। इनमें से किसी भी बोरवेल का नियमित जल परीक्षण नहीं कराया गया और सीधे जनता को जल मुहैया कराया गया। कैग की रिपोर्ट के अनुसार इन निकायों को यह भी नहीं पता था कि भूजल की गुणवत्ता कैसी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नगरीय निकायों द्वारा बोरवेल के पानी का इस्तेमाल कर लोगों के जीवन से खिलवाड़ किया जा रहा है। इन निकायों में बोरवेल की नियमित जल परीक्षण की अनदेखी की जा रही है, जिसके परिणामस्वरूप नागरिक खतरनाक बीमारियों का सामना कर रहे हैं। गर्मी के मौसम में अधिकांश लोगों को पानी की आपूर्ति हैंडपंप और बोरवेल के जरिए की जाती है, लेकिन इन पानी स्रोतों की गुणवत्ता पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। बोरवेल और हैंडपंपों की गहराई 300 फीट से अधिक होती है, जिसमें आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम, क्लोरीन, बाइकार्बोनेट, नाइट्रेट और सल्फेट जैसे खतरनाक तत्व मौजूद होते हैं। इन खनिजों का उच्च स्तर मनुष्यों, जानवरों और पौधों के लिए हानिकारक हो सकता है। 
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शिकायत मिलने पर करते हैं जांच
खंडवा नगर निगम ने कहा कि जब भी शिकायतें मिलती हैं, तब ही पानी की जांच कराई जाती है। वहीं, आष्टा, गंज बासौदा, लोहारदा, रतलाम और रामपुर नैकिन नगर निगमों ने माना कि उन्होंने कभी भी जल परीक्षण नहीं कराया। मंदसौर और नरसिंहगढ़ ने कहा कि परीक्षण कराए गए हैं, जबकि सतना नगर निगम ने सीएजी को कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। महाराजपुर ने 12 और इछावर ने चार परीक्षण रिपोर्ट कैग को प्रस्तुत की थीं।
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कैग की रिपोर्ट में यह सिफारिश
कैग ने नगरीय विकास और आवास विभाग को सिफारिश की है कि सभी निकायों में जल प्रयोगशालाएं स्थापित की जाएं और पानी का नियमित परीक्षण किया जाए। यदि पानी में कोई हानिकारक तत्व पाए जाते हैं, तो उन्हें दूर करने के बाद ही पानी की आपूर्ति की जाए। इसके अलावा, संयंत्रों और पाइपलाइनों की नियमित सफाई की भी सिफारिश की गई है।

खुले में रसायन का भंडारण 
निकायों में चूने, फिटकिरी और ब्लीचिंग पाउडर का भंडारण खुले और नमी वाले स्थानों पर किया गया था, जो कि गलत है। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि आष्टा, गंजबासौदा, खंडवा, नरसिंहगढ़, रतलाम और सतना में ये रसायन खुले और नमी वाले स्थानों पर पड़े हुए थे। सतना नगर निगम ने इसे धुलाई के कारण नमी आने का कारण बताया, जबकि रतलाम और नरसिंहगढ़ ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। यह पूरी स्थिति यह दर्शाती है कि निकायों की लापरवाही के कारण नागरिकों को सुरक्षित जल की आपूर्ति नहीं मिल पा रही है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं।
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