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MP Samwad: ‘सिर्फ सरकारी नौकरी ही नहीं एलाइड सेक्टर पर भी ध्यान दिया जा रहा’, मंच से बोले मंत्री विश्वास सारंग

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: शबाहत हुसैन Updated Thu, 26 Jun 2025 01:15 PM IST
सार

MP Samwad 2025: मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि पहली बार कोई प्रधानमंत्री हुआ, जिन्होंने रात दो बजे भी खिलाड़ी के स्वर्ण पदक जीतने पर उसकी हौसला अफजाई करते हैं। खेल के प्रति सकारात्मक माहौल बनाने की बात हो उसमें प्रधानमंत्री और राज्य के सीएम मोहन यादव भी लगातार काम कर रहे हैं।

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MP Samwad 2025: Vishwas Sarang said that not only government jobs but also allied sectors are being given atte
मंत्री विश्वास सारंग - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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संवाद के मंच से जुड़े मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि अगर इस देश और समाज को आगे बढ़ाना है तो युवा को व्यवस्थित करना बहुत जरूरी है। अगर हम युवा को व्यवस्थित और संस्कारित करने की बात करते हैं तो उसमें खेल एक बड़ा तत्व है। व्यक्ति से नागरिक बनने की प्रक्रिया है, उसके आयामों में खेल भी एक आयाम है। अब देश में खेलों को लेकर परिवर्तन आया है और इसे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री ने परिवर्तित किया है।

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पहली बार कोई प्रधानमंत्री हुआ, जिन्होंने रात दो बजे भी खिलाड़ी के स्वर्ण पदक जीतने पर उसकी हौसला अफजाई करते हैं। खेल के प्रति सकारात्मक माहौल बनाने की बात हो उसमें प्रधानमंत्री और राज्य के सीएम मोहन यादव भी लगातार काम कर रहे हैं। सरकारी नौकरी में खेलों को प्रतिनिधित्व दे रहे हैं। सिर्फ सरकारी नौकरी ही नहीं एलाइड सेक्टर पर भी ध्यान दिया जा रहा है। राज्य में स्पोर्ट्स एकेडमी बना रहे हैं और एलाइड सर्विस में भी ध्यान दे रहे हैं। रोजगार युवाओं को मिले, ये हमारी प्राथमिकता है।
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मुझे खुशी है कि मुझे ये श्रेय मिल सका कि मेरे चिकित्सा शिक्षा मंत्री रहते हुए मेडिकल में हिंदी की पढ़ाई शुरू हो सकी। हमारे देश के प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की बात की और तकनीकी और मेडिकल शिक्षा को भी हिंदी में कराने की बात की। हमने उसे चुनौती के तौर पर लिया। जब हमने पहली बार अपने अधिकारियों के साथ बैठकर इस पर चर्चा की तो अधिकारियों की शारीरिक भाषा देखकर लगा पूरी नकारात्मकता लगी, लेकिन हमने शुरुआत की और मेडिकल टीचर्स की फैकल्टी को समझाया। हमने भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज में मंदार नाम से वार्ड रूम बनाया और लगभग आठ महीने की मेहनत के बाद मेडिकल की किताबों का रूपांतरण किया। हम हिंदी और इंग्लिश का झगड़ा नहीं कराना चाहते थे इसलिए मेडिकल शब्दों को इंग्लिश नामों से ही लिखा। इससे मेडिकल छात्रों को परेशानी नहीं हुई। 

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