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MP: सात मौत के मामले में SP का खुलासा, 2013 के बाद नरेंद्र यादव बन गया एन जॉन कैम, अब पॉलीग्राफ टेस्ट की मांग

न्यूूज डेस्क, अमर उजाला, दमोह Published by: दमोह ब्यूरो Updated Sat, 12 Apr 2025 08:45 PM IST
सार

एसपी ने बताया कि साल 2013 के बाद इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के द्वारा डॉक्टर पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया था। उसके बाद आरोपी डॉक्टर ने फर्जी डॉक्यूमेंट तैयार करना शुरू कर दिए थे और अपनी पहचान एन जॉन कैम के रूप में बना ली थी।

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MP Damoh SP disclosure seven death case Narendra Yadav became N John Cam after 2013 now demand polygraph test
एसपी श्रुतकीर्ति सोमवंशी - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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दमोह मिशन अस्पताल के फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर नरेंद्र यादव उर्फ एन जॉन कैम के द्वारा किए गए ऑपरेशन से सात मौत के मामले में शनिवार शाम एसपी श्रुतकीर्ति सोमवंशी ने पत्रकार वार्ता कर कई बातों का खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि 2013 के बाद इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के द्वारा डॉक्टर पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया था। उसके बाद आरोपी डॉक्टर ने फर्जी डॉक्यूमेंट तैयार करना शुरू कर दिए थे और डॉक्टर ने अपनी पहचान एन जॉन कैम के रूप में बना ली थी।

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एसपी सोमवंशी ने जानकारी देते हुए बताया कि पीएचक्यू से निवेदन किया जा रहा है कि आरोपी का पॉलीग्राफ या नार्को टेस्ट करवाया जाए। ताकि कुछ और जानकारी हासिल हो सके। हमने एसआईटी का गठन कर दिया है, जिसके लिए पांच टीम विवेचना कर रही है। साथ ही सीएमएचओ का जांच प्रतिवेदन मिलने के बाद तय किया जाएगा कि इस मामले में मैनेजमेंट को शामिल किया जाएगा या नहीं।
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नोएडा में एफआईआर
एसपी ने बताया कि 2013 में नोएडा में एक अस्पताल में डॉक्टर के फर्जी डॉक्यूमेंट पाए गए थे। उसके बाद इस पर एफआईआर हुई थी और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने डॉक्टर पर पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद से ही डॉक्टर ने अपनी पहचान बदलना शुरू कर दिया था। हमारी टीम डॉक्टर के घर प्रयागराज गई थी। वहां फर्जी डॉक्यूमेंट बनाने की एक पूरी लैब पाई गई है, जिसमें फर्जी सील, कई फर्जी आधार कार्ड, आईडी कार्ड पुलिस को मिले हैं। जांच में शामिल किया गया है। साथ ही वाटर मार्क प्रिंटर भी पुलिस ने जब्त किए हैं, जिससे दस्तावेज बनाए जाते थे। आरोपी के पैन कार्ड में भी उसका नाम एन जॉन कैम ही लिखा हुआ है।



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परिवार से मिली पुलिस
वहीं, दूसरी टीम जो कानपुर गई थी। वहां पुलिस ने आरोपी के परिवार के लोगों से संपर्क किया। उन्होंने बताया कि डॉक्टर पढ़ाई लिखाई में बहुत ही होशियार था और पहली ही बार में उसका सेलेक्शन एमबीबीएस में हो गया था। आरोपी डॉक्टर वर्ष 1998, 99 से परिवार से काफी दूर हो गया था और इसके बाद उसके परिवार के लोगों से कोई भी मुलाकात नहीं हुई। केवल एक या दो बार ही परिवार के संपर्क में आया है। परिवार के लोगों ने बताया कि नरेंद्र ने एमबीबीएस की पढ़ाई का खर्चा भी स्वयं उठाया था। वह प्राइवेट जॉब करता था, जिससे मिलने वाले पैसों से उसने अपनी मेडिकल की पढ़ाई पूरी की।

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नोएडा पुलिस से संपर्क किया जा रहा है। साथ ही शिकायतकर्ता से भी संपर्क किया जा रहा है, जिसकी शिकायत पर 2013 में एफआईआर हुई थी। सोमवार तक हमें उसके दस्तावेज मिल जाएंगे। इसके बाद जांच को आगे बढ़ाया जाएगा। साथ ही डॉक्टर ने बताया है कि उसने ब्रिटेन में भी पढ़ाई की है, लेकिन उसके दस्तावेज वहां पर जमा है। इसकी प्रक्रिया भी हमने शुरू कर दी है। उन्होंने बताया कि डॉक्टर को किसी भी प्रकार की हार्ट सर्जरी की कोई डिग्री उसके पास नहीं थी। इसके बावजूद भी उसने जानबूझकर यह ऑपरेशन किए हैं। इसके लिए सीएमएचओ की रिपोर्ट के बाद अलग से मामला दर्ज किया जाएगा। साथ ही उसने जिन-जिन अस्पतालों में काम किया है, वहां से भी अभी हमारे पास कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई है। हम प्रयास कर रहे हैं कि जिन अस्पताल में डॉक्टर के द्वारा काम किया गया है, वहां से भी कुछ जानकारी हमें प्राप्त हो जाए।



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कल खत्म हो रही रिमांड
पुलिस रिमांड खत्म होने के बारे में उन्होंने बताया कि रविवार को आरोपी की पुलिस रिमांड खत्म हो रही है। इसे और आगे बढ़ाना है या नहीं बढ़ाना इस पर अभी निर्णय नहीं लिया गया है। क्योंकि कुछ चीज अभी और जांच में बाकी है।

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