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Dindori News: वैध दुकानों में शराब का अवैध कारोबार, अधिकारियों पर मिलीभगत का आरोप, जानें मामला
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, डिंडोरी
Published by: डिंडोरी ब्यूरो
Updated Tue, 02 Sep 2025 11:03 AM IST
सार
मामले में आबकारी विभाग की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है, क्योंकि अब तक किसी भी दुकान पर बड़ी कार्रवाई नहीं हुई। विशेषज्ञों के अनुसार, यह उपभोक्ता अधिकारों और लाइसेंस शर्तों का सीधा उल्लंघन है।
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दुकानों पर हो रही अवैध वसूली।
- फोटो : अमर उजाला।
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विस्तार
जिले में शराब कारोबार को लेकर बड़ा मामला सामने आया है। चौंकाने वाली बात यह है कि जिस शराब को लाइसेंसी दुकानों से वैध तरीके से बेचा जाना चाहिए, वहीं से अवैध कारोबार चलने के आरोप लगे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि लाइसेंसधारी दुकान संचालक ही शराब को तय कीमत से ज्यादा दामों पर बेच रहे हैं। मजबूरी में लोग ऊंची कीमत चुका कर शराब खरीदने को विवश हैं। अब जनता प्रशासन से मांग कर रही है कि इस पूरे मामले में कड़ी कार्रवाई की जाए।
जानकारी के अनुसार, जिले की कई दुकानों पर शराब की बिक्री निर्धारित एमआरपी से ऊपर की जा रही है। उदाहरण के तौर पर, जिस बोतल की कीमत 120 रुपये तय है, उसे 150 से 160 रुपये तक में बेचा जा रहा है। यही नहीं, दुकानों के जरिए अवैध शराब की सप्लाई का खेल भी बेखौफ चल रहा है। सूत्र बताते हैं कि यह कारोबार केवल दुकान संचालकों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत की भी आशंका जताई जा रही है। यही वजह है कि लंबे समय से चल रहे इस खेल पर कोई सख्त रोक नहीं लग पाई है।
ग्राहकों का कहना है कि वे हर बार एमआरपी से ऊपर कीमत चुकाने को मजबूर होते हैं। यदि विरोध करते हैं तो दुकानदार खुलेआम कहते हैं कि नहीं लेना है तो मत लो। सवाल यह है कि जब सरकार की ओर से शराब की कीमत तय की जाती है और दुकानों को उसी दाम पर बेचने का निर्देश दिया जाता है, तो फिर यह लूट कैसे जारी है?
ये भी पढ़ें- सरपंच-उपसरपंच के नाम दो राज्यों की मतदाता सूची में होने से मचा हड़कंप, नियम उल्लंघन का आरोप
स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि इस गोरखधंधे में आबकारी विभाग की भूमिका संदिग्ध है। विभाग चाहे तो एक ही दिन की कार्रवाई में हकीकत सामने आ सकती है, लेकिन अब तक किसी दुकान पर बड़ी छापेमारी नहीं हुई। लोगों का कहना है कि जब तक अधिकारी और कर्मचारी अपनी जिम्मेदारी ईमानदारी से नहीं निभाएंगे, तब तक जिले में शराब कारोबारियों का मनोबल बढ़ता रहेगा।शराब की तय कीमत से अधिक वसूली न केवल उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि यह लाइसेंस की शर्तों का भी सीधा उल्लंघन है। ऐसे मामलों में लाइसेंस तुरंत निरस्त किया जाना चाहिए और संबंधित संचालक पर भारी जुर्माना लगना चाहिए।
ग्रामीण क्षेत्रों में तो हालात और भी गंभीर हैं। वहां न केवल शराब महंगे दामों पर मिल रही है, बल्कि बिना किसी बिल के अवैध शराब की आपूर्ति भी की जा रही है। गांव-गांव तक यह नेटवर्क फैला हुआ है। युवाओं और मजदूर तबके पर इसका सीधा असर पड़ रहा है। महंगी शराब खरीदने से उनकी जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है, जबकि सस्ती अवैध शराब उनके स्वास्थ्य के लिए खतरा बन रही है।
अब बड़ा सवाल यह है कि जिला प्रशासन और आबकारी विभाग इस पर क्या कदम उठाएंगे। क्या लाइसेंसधारियों पर कड़ी कार्रवाई कर उनके लाइसेंस रद्द किए जाएंगे और जुर्माना लगाया जाएगा, या फिर यह खेल यूं ही चलता रहेगा? जनता की निगाहें अब प्रशासन पर टिकी हैं। लोगों का कहना है कि यदि जल्द ठोस कदम नहीं उठाए गए तो वे सड़कों पर उतरकर विरोध करने के लिए मजबूर होंगे।
कुल मिलाकर, डिंडोरी जिले में लाइसेंसी दुकानों से अवैध शराब कारोबार का खुलासा यह दर्शाता है कि व्यवस्था में कहीं न कहीं गंभीर खामियां हैं। यह केवल कानून तोड़ने का मामला नहीं है, बल्कि जनता की जेब और स्वास्थ्य दोनों से खिलवाड़ है। अब देखना होगा कि जिम्मेदार अधिकारी इस गोरखधंधे पर लगाम लगाने में कितनी गंभीरता दिखाते हैं।
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ग्राहकों का कहना है कि वे हर बार एमआरपी से ऊपर कीमत चुकाने को मजबूर होते हैं। यदि विरोध करते हैं तो दुकानदार खुलेआम कहते हैं कि नहीं लेना है तो मत लो। सवाल यह है कि जब सरकार की ओर से शराब की कीमत तय की जाती है और दुकानों को उसी दाम पर बेचने का निर्देश दिया जाता है, तो फिर यह लूट कैसे जारी है?
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स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि इस गोरखधंधे में आबकारी विभाग की भूमिका संदिग्ध है। विभाग चाहे तो एक ही दिन की कार्रवाई में हकीकत सामने आ सकती है, लेकिन अब तक किसी दुकान पर बड़ी छापेमारी नहीं हुई। लोगों का कहना है कि जब तक अधिकारी और कर्मचारी अपनी जिम्मेदारी ईमानदारी से नहीं निभाएंगे, तब तक जिले में शराब कारोबारियों का मनोबल बढ़ता रहेगा।शराब की तय कीमत से अधिक वसूली न केवल उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि यह लाइसेंस की शर्तों का भी सीधा उल्लंघन है। ऐसे मामलों में लाइसेंस तुरंत निरस्त किया जाना चाहिए और संबंधित संचालक पर भारी जुर्माना लगना चाहिए।
ग्रामीण क्षेत्रों में तो हालात और भी गंभीर हैं। वहां न केवल शराब महंगे दामों पर मिल रही है, बल्कि बिना किसी बिल के अवैध शराब की आपूर्ति भी की जा रही है। गांव-गांव तक यह नेटवर्क फैला हुआ है। युवाओं और मजदूर तबके पर इसका सीधा असर पड़ रहा है। महंगी शराब खरीदने से उनकी जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है, जबकि सस्ती अवैध शराब उनके स्वास्थ्य के लिए खतरा बन रही है।
अब बड़ा सवाल यह है कि जिला प्रशासन और आबकारी विभाग इस पर क्या कदम उठाएंगे। क्या लाइसेंसधारियों पर कड़ी कार्रवाई कर उनके लाइसेंस रद्द किए जाएंगे और जुर्माना लगाया जाएगा, या फिर यह खेल यूं ही चलता रहेगा? जनता की निगाहें अब प्रशासन पर टिकी हैं। लोगों का कहना है कि यदि जल्द ठोस कदम नहीं उठाए गए तो वे सड़कों पर उतरकर विरोध करने के लिए मजबूर होंगे।
कुल मिलाकर, डिंडोरी जिले में लाइसेंसी दुकानों से अवैध शराब कारोबार का खुलासा यह दर्शाता है कि व्यवस्था में कहीं न कहीं गंभीर खामियां हैं। यह केवल कानून तोड़ने का मामला नहीं है, बल्कि जनता की जेब और स्वास्थ्य दोनों से खिलवाड़ है। अब देखना होगा कि जिम्मेदार अधिकारी इस गोरखधंधे पर लगाम लगाने में कितनी गंभीरता दिखाते हैं।

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