सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Madhya Pradesh ›   Gwalior News ›   Important decision of High Court on Chambal's pride: A family with two weapons will not get a third license

चंबल की शान पर हाईकोर्ट का अहम फैसला: दो हथियारवाले परिवार को तीसरा लाइसेंस नहीं, बंदूक रखना मौलिक अधिकार नहीं

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, ग्वालियर Published by: ग्वालियर ब्यूरो Updated Thu, 11 Sep 2025 11:02 PM IST
विज्ञापन
सार

ग्वालियर हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि बंदूक रखना मौलिक अधिकार नहीं है और हथियार लाइसेंस देना सरकार का विवेकाधिकार है। अशोकनगर निवासी हार्दिक अरोरा की याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक शांति और सुरक्षा सर्वोपरि है। प्रदेश में चंबल क्षेत्र में सबसे अधिक आर्म लाइसेंस जारी हैं। 

Important decision of High Court on Chambal's pride: A family with two weapons will not get a third license
फोटो
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

चंबल में लाइसेंसी हथियार भले ही रुतबे का प्रतीक हो, लेकिन बंदूक रखना किसी का मौलिक अधिकार नहीं हो सकता। ये टिप्पणी मध्यप्रदेश ग्वालियर हाईकोर्ट ने की है। उच्च न्यायालय ने यह बात एक केस की सुनवाई के दौरान कही है।

loader
Trending Videos


अशोकनगर के हार्दिक अरोरा द्वारा उनको पिस्टल लाइसेंस ना दिए जाने के खिलाफ की गई अपील पर सुनवाई करते हुए ग्वालियर हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट की सुनवाई में शासन की ओर से शासकीय वकील रवींद्र दीक्षित ने बताया कि कोर्ट ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट कहा है कि बंदूक रखना किसी का भी मौलिक अधिकार नहीं है, साथ ही हथियार लाइसेंस देना या ना देना लाइसेंस जारी करने वाली एजेंसी यानि मध्यप्रदेश सरकार के विवेकाधिकार है, जिसे चुनौती नहीं दी जा सकती। साथ ही उन्होंने आगे बताया कि कोर्ट का कहना था कि सार्वजनिक शांति और सुरक्षा सर्वोपरि है। इसके लिए कोर्ट लाइसेंसिंग अथॉरिटी जो कि शासन है उसके निर्णय और विवेक में दखल नहीं देगी।
विज्ञापन
विज्ञापन


ये भी पढ़ें- नाबालिग का 'तांडव': चेकिंग के लिए रोका तो पुलिसवाले को बोनट पर लटकाकर भगाई कार, जो सामने आया रौंदता गया, VIDEO

दरअसल अशोकनगर के रहने वाले हार्दिक कुमार अरोरा ने तत्कालीन जिला दण्डाधिकारी और तत्कालीन कमीशनर के यहां पिस्टल/रिवॉल्वर लाइसेंस के लिए आवेदन किया था। जिस पर दोनों अधिकारियों ने भी आवेदनकर्ता के पक्ष में अपनी अनुशंसा राज्य शासन को भेजी थी। लेकिन फरवरी 2011 में राज्य शासन द्वारा हथियार लाइसेंस का आवेदन खारिज कर दिया गया। इसके बाद अरोरा ने कोर्ट में शासन के फैसले को चुनौती दी थी। इस पर एक लंबे समय तक सुनवाई चली। इस मामले में शासन के वकील रवीन्द्र दीक्षित ने बताया कि अदालत ने कहा है कि अनुशंसा को आधार नहीं माना जा सकता। यह एक सिफारिश मात्र है, जिसे मानना या ना मानना शासन के ऊपर है।

ये भी पढ़ें- सोम डिस्टलरी पर सेंट्रल एक्साइज की बड़ी कार्रवाई, टैक्स चोरी की जांच में अब तक 14 करोड़ सरेंडर

सरकारी वकील एडवोकेट दीक्षित के मुताबिक उन्होंने सुनवाई के दौरान यह बात रखी थी कि हार्दिक कुमार अरोरा के परिवार में पूर्व से ही उनके पिता और भाई के नाम हथियार लाइसेंस जारी किए जा चुके हैं। उनका मानना है कि ग्वालियर चंबल अंचल में जिस तरह से हथियारों का दुरुपयोग बढ़ा है ऐसे में उन्हें एक और लाइसेंस दिया जाना उचित नहीं होगा।

बता दें कि, पूरे प्रदेश में सबसे ज़्यादा लाइसेंसी हथियार ग्वालियर चंबल अंचल में हैं। भिंड में अब तक 23200 आर्म लाइसेंस जारी किए गए हैं, तो वहीं मुरैना में 24426 हथियार लाइसेंस हैं और इन सबमें अधिक संख्या ग्वालियर में है, यहां 34142 आर्म लाइसेंस जारी हुए हैं। हालांकि ग्वालियर में एक साल से नए हथियार लाइसेंस जारी नहीं किए जा रहे हैं। बावजूद इसके लाइसेंसी बंदूकों से अपराधिक घटनाओं के कई मामले पूर्व में सामने आ चुके हैं जिसको लेकर पुलिस और प्रशासन अब सख़्त रुख़ अपनाए हुए है। 

विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed