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Harda: आत्महत्या के बाद किसान का शव लेकर कलेक्टर निवास पर परिजनों का हंगामा, तीन दिन में कार्रवाई के बाद माने

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, हरदा Published by: अर्पित याज्ञनिक Updated Sat, 16 Nov 2024 10:34 PM IST
सार

मध्य प्रदेश के हरदा जिले में खेत के रास्ते को लेकर विवाद ने 72 वर्षीय किसान बाबूलाल जाट की जान ले ली। लंबे समय से चले आ रहे भूमि विवाद और प्रशासनिक लापरवाही से मायूस होकर किसान ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली।

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Harda: Family members create ruckus at Collector's residence with farmer's body
शव रखकर प्रदर्शन करते परिजन। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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मध्य प्रदेश के हरदा जिले के ग्रामीण अंचल डगावानीमा में खेत के रास्ते का विवाद एक बुजुर्ग किसान की मौत का कारण बन गया। पिछले कई वर्षों से तहसील कार्यालय में केस लड़ रहे 72 वर्षीय किसान बाबूलाल जाट ने मायूस होकर कीटनाशक गोलियां खाकर आत्महत्या कर ली। उसके बाद शुक्रवार को उनका पीएम कराया गया। उनकी मौत से दुखी परिजनों ने उनका शव जिला कलेक्टर के बंगले के बाहर रखकर प्रदर्शन शुरू कर दिया। परिजनों का आरोप था कि उनके मार्ग विवाद के केस में हरदा तहसीलदार ने गलत आदेश पारित किया है। इसके साथ ही उनके पड़ोसी किसान रामेश्वर गोल्या सहित उनके दो बेटे राहुल और मयंक की प्रताड़ना से परेशान होकर किसान ने आत्महत्या की है।

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हालांकि करीब 2 घंटे तक चले इस प्रदर्शन के दौरान परिजनों को समझाने पहुंचे हरदा एएसपी आरडी प्रजापति के साथ ही संयुक्त कलेक्टर रजनी वर्मा ने कलेक्टर निवास के बाहर से शव को हटाकर मृतक का अंतिम संस्कार करने के लिए परिजनों को मनाने की कोशिश की। इस पर परिजन और भी भड़क गए। हंगामा कर रहे परिजनों की मांग पर संयुक्त कलेक्टर रजनी वर्मा ने लिखित आश्वासन दिया कि उनके पिता को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपियों को दो दिन में गिरफ्तार किया जाएगा। साथ ही विवादित भूमि के शासकीय रास्ते से 3 दिन में अतिक्रमण हटाया जाएगा। इसके बाद वे शव को अंतिम संस्कार के लिए लेकर रवाना हुए।
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यह था पूरा घटनाक्रम
बता दें कि बाबूलाल जाट और खेत पड़ोसी रामेश्वर गोल्या के बीच खेत के रास्ते को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था। दोनों परिवारों ने तहसील न्यायालय में केस भी लगाया था। इस बीच भी दोनों परिवारों के बीच आपस में झगड़ा होते रहता था। इसी से परेशान होकर बुजुर्ग बाबूलाल ने गुरुवार दोपहर जहर खा लिया। उन्हें नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान देर शाम उनकी मौत हो गई, जिसके बाद परिजनों ने गुरुवार रात को हरदा डिग्री कॉलेज के सामने इंदौर-बैतूल नेशनल हाइवे पर चक्का जाम की लिखित सूचना भी दी थी। वहां सिटी कोतवाली की टीम पहले से ही मौजूद रहीं और परिजनों को चक्का जाम नहीं करने दिया गया, जिसके चलते परिजनों ने हाईवे किनारे बने कलेक्टर बंगले के बाहर ही शव रखकर धरना शुरू कर दिया।

मृत्यु पूर्व दिए बयान का वीडियो हुआ वायरल
कीटनाशक पीने के बाद जीवन और मौत से संघर्ष कर रहे किसान बाबूलाल के अस्पताल में ही पुलिस ने मृत्यु पूर्व बयान भी लिए थे।  इसमें उसने गांव के रामेश्वर और उसके दो पुत्र राहुल और मयंक से परेशान होकर जहर खाने की बात कही थी। इस दौरान परिजन का बनाया एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो गया। इस करीब 4 मिनट के वीडियो में बुजुर्ग ने बताया है कि उन्होंने 14 नवंबर को जहरीला पदार्थ खाया था। 

हरदा तहसीलदार पर गिरी गाज
वहीं किसान की मृत्यु के बाद जिला कलेक्टर आदित्य सिंह ने हरदा तहसीलदार लवीना घाघरे को पद से हटाकर कलेक्ट्रेट में अटैच कर दिया है। वहीं उनकी जगह नायब तहसीलदार विजय साहू को हरदा तहसीलदार का प्रभार सौंपा गया है। इसके साथ ही कलेक्टर ने तीन सदस्यीय जांच दल गठित किया है, जिसमें संयुक्त कलेक्टर रजनी वर्मा, डिप्टी कलेक्टर संजीव नागू और सहायक ग्रेड 3 संयम अग्रवाल शामिल हैं। इस जांच दल को जल्द से जल्द जांच पूरी कर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश भी दिए गए हैं।

बरसों से चल रहे केस का 7 दिन में होगा निराकरण
वहीं इस मामले में संयुक्त कलेक्टर रजनी वर्मा ने बताया कि शनिवार को वे खुद मौका मुआयना करने जएंगी। इस दौरान डगावानीमा और बहाला के बीच खसरा नंबर 40, 41, 42 और 1 135/2 के बीच सरकारी जमीन नहीं मिली तो तहसीदार पर कार्रवाई होगी। मारपीट और प्रताड़ना के मामले में केस दर्ज कर अपराधियों को 2 दिन में गिरफ्तार किया जाएगा। साथ ही इनके एसडीएम कोर्ट में चल रहे केस का 7 दिन में निराकरण होगा। वहीं खेत के शासकीय रास्ते से 3 दिन में अतिक्रमण भी हटाया जाएगा। इस तरह का आश्वासन पीड़ित परिवार को दिया गया है। वहीं हरदा एएसपी आरडी प्रजापति ने बताया कि अभी मामले की जांच चल रही है। मृतक के परिजनों के बयान लिए जाएंगे, जिसके बाद ही उचित कार्रवाई की जाएगी। 

पहले ही निराकरण किया होता तो पिता जीवित होते
वही इस मामले में मृतक के पुत्र सुनील जाट ने बताया कि पिछले चार-पांच सालों से उनके पिता को प्रताड़ित किया जा रहा था और वह भी प्रशासन की मिली भगत से। ये लैंड माफिया टाइप के लोग किसी भी तरह से कोई झूठा प्रकरण बनाकर प्रशासन से मिलकर किसानों की जमीन को हड़प लेना चाहते हैं। उन लोगों ने मेरे पिता को खेत में जाने का रास्ता नहीं दिया। सरकारी रास्ते पर बोरिंग करवा दी, और तहसीलदार मैडम से सांठगांठ करके गलत आदेश निकालकर हमारी निजी जमीन को सरकारी भूमि दिखा दिया। इसको लेकर हमने सबके पास गुहार लगाई, और परसों उन्होंने मेरे भाई को और बाद में मेरे पिता को भी मारा पीटा। पिछले 10 सालों से मेरे पिताजी जिस प्रकरण को लड़ रहे थे, जिसमें उनकी चप्पलें घिस गईं। उसे अब अगले सात दिनों में खत्म करने का आश्वासन दिया गया। यही काम अगर प्रशासन ने पहले कर दिया होता तो आज मेरे पिताजी भी जीवित होते।

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