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Indore Diarrhea Outbreak: सफाई में अव्वल, पर 'प्यास' जहरीली! देश के सबसे साफ शहर के घरों तक कैसे पहुंची मौत?

Abhishek Chendke अभिषेक चेंडके
Updated Wed, 31 Dec 2025 03:48 PM IST
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सार

इंदौर की भागीरथपुरा बस्ती में नलों से आए दूषित पानी ने आठ लोगों की जान ले ली और 200 से अधिक लोग बीमार हैं। हालांकि विभाग ने अभी तक तीन मौत को ही डायरिया की वजह माना है। इस घटना के बाद देश के सबसे साफ शहर की छवि पर गंभीर सवाल खड़े हो गए। पुरानी पाइपलाइन, ड्रेनेज लीकेज या अफसरों की अनदेखी आखिर क्या है भागीरथपुरा का सच? पेश है खास रिपोर्ट...

Indore Diarrhea Outbreak Contaminated Water as Pipeline Leak Know Details in Hindi
पेयजल की नर्मदा पाइप लाइन। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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इंदौर देश का सबसे साफ शहर है। यहां की आबो हवा ठीक है, लेकिन पानी? वो तो जहरीला हो रहा है। भागीरथपुरा बस्ती में नलों में जहरीला पानी बहा और आठ लोगों को अपनी जान गंवाना पड़ी। गंदे पानी की समस्या शहर के कई हिस्सों में है, लेकिन निगम के अफसरों को जागने के लिए लोगों की मौत का इंतजार रहता है। हैरानी की बात है कि नर्मदा पाइप लाइन पर शौचालय बन गया और उसका पानी पेयजल लाइन में मिलता है। मौत ने अभी भागीरथपुरा का पता देखा है, लेकिन शहर के और भी इलाके हैं, जहां बरसों पुरानी लाइनों में धीरे-धीरे ये जहरीला पानी बह रहा है। आखिर पाइप लाइन पर कैसे शौचालय बन गया? जिम्मेदार अफसरों ने तब क्यों ध्यान नहीं दिया? पुरानी शिकायतों पर सुनवाई क्यों नहीं हुई? जिम्मेदार कौन है? पेश है ये खास रिपोर्ट...

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भागीरथपुरा शहर की अवैध बस्तियों में शुमार है। 50 साल पहले यहां संतराम और सुखराम के भट्ठे होते थे। भट्ठे बंद हुए और भूमाफिया ने प्लॉट बेचना शुरू कर दिए। 1975 के आसपास यहां बसाहट शुरू हुई। न ड्रेनेज लाइन बिछी थी न पानी का पता। घनी बसाहट हो गई और लोग ‘वोटबैंक’ बन गए तो चुनाव जीतने वालों ने काम शुरू किए, लेकिन कोई प्लानिंग नहीं की। बेकलेन थी नहीं तो सड़क के आसपास ही नर्मदा और ड्रेनेज लाइन डाल दी गई।
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एक सप्ताह से होने लगी थीं मौतें
भागीरथपुरा में गंदे पानी की समस्या सालभर से है। यहां की लाइनें 30 साल से ज्यादा पुरानी हैं और कमजोर हो चुकी हैं। भागीरपुरा से जुड़ा नगर निगम का जोन शिकायतों में शहर में दूसरे स्थान पर है। दो माह में सबसे ज्यादा गंदे पानी की शिकायतें मिलीं, लेकिन अफसरों ने ध्यान नहीं दिया। महापौर परिषद ने भागीरथपुरा बस्ती की लाइन बदलने के लिए अगस्त माह में मंजूरी दी थी, लेकिन अपर आयुक्त रोहित सिसोनिया ने फाइल आगे ही नहीं बढ़ाई। बस्ती में ड्रेनेज की मुख्य लाइन डाल दी गई, लेकिन उससे जोड़ने वाली पुरानी लाइनें अब तक नहीं डाली गईं। सरकार ने भी बड़े अफसरों को लापरवाही की सजा देने के बजाय जोनल अधिकारी शालिग्राम सितोले, सहायक यंत्री योगेश जोशी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया, जबकि पीएचई के प्रभारी उपयंत्री शुभम श्रीवास्तव की तत्काल प्रभाव से सेवा समाप्त की गई है। गंदे पानी के कारण एक सप्ताह से यहां मौतें होने लगी थीं। मरीज भी दस दिन से बड़ी संख्या में सामने आने लगे थे।


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लोगों के बीच पहुंचे मंत्री कैलाश विजयवर्गीय। - फोटो : अमर उजाला

दूरसंचार कंपनी ने भी की थी खुदाई
भागीरथपुरा बस्ती में दूरसंचार कंपनी ने भी टेलीफोन लाइन के लिए बस्ती में खुदाई की थी। ट्रेंचलेस खुदाई के कारण कई बार ड्रेनेज और पेयजल लाइन में लीकेज हो जाता है और पानी दूषित होने की शिकायतें आती हैं, लेकिन उसकी जांच भी नहीं की जाती है।

आठ मौतें, 200 से ज्यादा रोगी
भागीरथपुरा बस्ती में 200 से ज्यादा डायरिया के मरीज हैं। पांच दिन में आठ मौतें बस्ती में हो चुकी हैं। स्वास्थ्य विभाग तीन मौतों की वजह डायरिया मान रहा है। अभी भी 111 मरीज अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती हैं। स्वास्थ्य विभाग एक हजार से ज्यादा मरीजों का इलाज कर चुका है। कई ठीक भी हो गए हैं। नगर निगम ने 100 से ज्यादा घरों में पानी के सैंपल लिए हैं। 

अब तक के आंकड़ों का अपडेट

  • 111 मरीज अभी भी अस्पतालों में भर्ती
  • 1 हजार से अधिक लोगों का इलाज हो चुका
  • 5000 से अधिक लोगों की जांच हुई
  • 100 से ज्यादा घरों के सैंपल लिए
  • 15 साल से क्षेत्र में गंदे पानी की समस्या
  • 1 महीने से लगातार आ रहा था गंदा पानी
  • 1 साल पहले ड्रेनेज और नर्मदा लाइन का काम शुरू हुआ
  • 15 हजार से अधिक रहवासी प्रभावित
  • 1 साल से लोग पानी उबालकर पी रहे


ये भी पढ़ें- Indore Diarrhea Outbreak: इलाज के बजाय आंकड़े छुपाता रहा स्वास्थ्य विभाग, आठ मौतें हुईं, पुष्टि सिर्फ तीन की

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घर-घर तैनात डॉक्टरों की टीम। - फोटो : अमर उजाला

इस कारण दूषित होता है इंदौर में पानी

  • शहर में पांच लाख से ज्यादा नर्मदा कनेक्शन है। 400 एमएलडी पानी की सप्लाई जलूद से शहर में होती है। जलूद से पानी को साफ कर क्लोरीन डालकर शहर की 50 टंकियों में डाला जाता है। वहां से वितरण लाइनों के जरिए पानी घरों तक पहुंचता है।
  • कई इलाकों में वितरण लाइन और ड्रेनेज लाइन सड़क किनारे साथ-साथ हैं। जब ड्रेनेज लाइन में लीकेज हो जाता है, तो उसका पानी नर्मदा लाइन में मिलने लगता है।
  • शहर के ज्यादातर घरों की हौज की नलों में टोटियां नहीं हैं। हौज में नल के स्तर तक पानी भरने के बाद कई बार वैक्यूम के कारण पानी फिर लाइनों में जाता है। यदि हौज का पानी दूषित है तो वह लाइनों में चला जाता है। इस कारण गंदा पानी आता है। 
  • शहर में चैंबर चोक रहते हैं। इस कारण लाइनों में गंदा पानी भरा रहता है। पुरानी लाइनों में इस कारण प्रेशर बनता है और रिसाव तेज होता है। यदि आसपास नर्मदा लाइन का कनेक्शन है तो गंदा पानी उसके संपर्क में आकर उसे दूषित कर देता है। 

 

क्या बोले जिम्मेदार

  • मंत्री और क्षेत्रीय विधायक कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि मुख्यमंत्री ने घटना की जांच के निर्देश दिए हैं। मामले की जांच जारी है। दोषियों को बक्शा नहीं जाएगा। बस्ती के प्रभावितों का इलाज जारी है।
  • मेयर पुष्य मित्र भार्गव ने कहा कि बस्ती की पेयजल लाइन को दूषित करने वाले रिसाव को खोजा जा चुका है। इसके बावजूद हम लाइनों को जांच रहे हैं। बस्ती में टैंकरों से पानी वितरित किया जा रहा है।
  • कलेक्टर शिवम वर्मा ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की टीमें बस्ती में तैनात हैं। अब मरीजों की संख्या में कमी आई है। मृतक के परिजनों को आर्थिक सहायता दी जा चुकी है।
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