Indore Lit Chowk: 'पत्रकारिता में विचारधारा का घालमेल नहीं होना चाहिए', लिट चौक में वक्ताओं ने रखी अपनी बात
Indore: इंदौर के लिट चौक के तीसरे दिन पत्रकारिता, साहित्य और राजनीति पर चर्चा हुई। वक्ताओं ने कहा कि पत्रकारिता में विचारधारा का घालमेल नहीं होना चाहिए। फेक खबरों से सावधानी जरूरी है। साहित्य में साहस, संघर्ष और संस्कृति को अनिवार्य बताया गया।
विस्तार
इंदौर में आयोजित लिट चौक के तीसरे दिन भाषा, साहित्य, पत्रकारिता और राजनीति से जुड़े मुद्दों पर सार्थक चर्चा हुई। “न्यूज रूम की दुविधा” विषय पर वक्ताओं ने अपने विचार रखे। वक्ताओं ने कहा कि न्यूज रूम में घड़ी देखकर काम नहीं किया जाता, क्योंकि घटनाएं समय देखकर नहीं होतीं। नौकरी में न्यूज रूम पत्रकार के साथ चलता है।
वरिष्ठ पत्रकार सुमित अवस्थी ने कहा कि दंगों जैसी संवेदनशील घटनाओं के दौरान पत्रकारों को भड़काऊ सामग्री से बचने की हिदायत दी जाती है, ताकि तनाव न बढ़े। इसका सख्ती से पालन किया जाना चाहिए।
विचारधारा से खबरों के प्रभावित होने के सवाल पर वक्ताओं ने कहा कि हर व्यक्ति की अपनी सोच और विचारधारा होती है, लेकिन यदि काम के दौरान विचारधारा हावी हो जाए तो वह पत्रकारिता नहीं रह जाती। पत्रकार को अपनी विचारधारा घर पर छोड़कर आना चाहिए। मतदान केंद्र के बाहर भी यदि विचारधारा साथ चलती है तो घालमेल होता है। वक्ताओं ने कहा कि पत्रकारिता में विचारधारा से पहले देश होना चाहिए। पत्रकारिता केवल ग्लैमर नहीं, बल्कि जिम्मेदारी का काम है।
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सुमित अवस्थी ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि मीडिया की साख गिर रही है। मीडिया को अपनी सीमाएं तय करनी होंगी। खबर परोसने से पहले उसे पूरी तरह जांचना जरूरी है। दर्शकों को भी सोशल मीडिया कंटेंट को संदेह की नजर से देखना चाहिए, क्योंकि यह डीपफेक का दौर है। फेक खबरों को अपने स्तर पर रोकना होगा।
वायरल कंटेंट के दबाव पर उन्होंने कहा कि यदि कोई घटना सच है और मोबाइल में कैद है तो उसे दिखाने में हर्ज नहीं है, लेकिन यह भी देखना होगा कि पाठक क्या देखना चाहता है। कंटेंट को वायरल दर्शक ही करता है, वही अपनी पसंद बताता है।
साहित्य में साहस, संघर्ष और संस्कृति जरूरी
लेखक नीलोत्पल मृणाल ने कहा कि बोलचाल की भाषा पाठकों को सबसे ज्यादा पसंद आती है। साहित्य में साहस, संघर्ष और संस्कृति का होना जरूरी है। यदि इनका अभाव है तो वह साहित्य श्रेष्ठ नहीं हो सकता। किसी भी विषय पर लिखने के लिए उसकी गहरी जानकारी होना जरूरी है। केवल उपन्यास पढ़कर उपन्यास नहीं लिखा जा सकता।
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