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Indore News: ब्राह्मण बेटियों पर विवादित बयान देने वाले आईएएस वर्मा की मुश्किलें बढ़ी, कोर्ट की बाबू गिरफ्तार
अमर उजाला, डिजिटल डेस्क, इंदौर
Published by: अर्जुन रिछारिया
Updated Fri, 19 Dec 2025 08:16 PM IST
सार
Indore News: इंदौर पुलिस ने आईएएस संतोष वर्मा के फर्जी प्रमोशन मामले में संलिप्त कोर्ट बाबू नीतू सिंह चौहान को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी पर तत्कालीन जज के नाम से फर्जी न्यायिक आदेश तैयार करने का आरोप है, जिसके बल पर वर्मा ने पदोन्नति ली थी।
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एडिशन डीसीपी राजेश दंडोतिया और आईएएस वर्मा
- फोटो : अमर उजाला, डिजिटल डेस्क, इंदौर
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विस्तार
इंदौर पुलिस ने आईएएस संतोष वर्मा के फर्जी प्रमोशन मामले में एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। पुलिस ने फर्जी न्यायिक आदेश तैयार करने के आरोपी कोर्ट की बाबू नीतू सिंह चौहान को गिरफ्तार कर लिया है। पूछताछ के लिए बुलाए जाने के बाद पुलिस ने उसे न्यायालय परिसर से हिरासत में लिया। अदालत में पेश करने के बाद आरोपी को दो दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया है।
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फर्जी आदेशों के आधार पर मिला प्रमोशन
जांच के दौरान यह बात सामने आई कि नीतू सिंह चौहान पर तत्कालीन विशेष न्यायाधीश विजय रावत की अदालत के नाम से फर्जी न्यायिक आदेश बनाने का आरोप है। इन्हीं दस्तावेजों का उपयोग करके संतोष वर्मा ने सेवा में पदोन्नति प्राप्त की थी। जांच अधिकारियों ने पाया कि अदालत के रजिस्टर और फाइलों में मौजूद हस्तलिपि नीतू सिंह चौहान की है, जो इस मामले में उसकी संलिप्तता का मुख्य आधार बनी।
डिजिटल साक्ष्य जुटाने में जुटी पुलिस
एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया के अनुसार मामले से जुड़े फर्जी आदेशों की मूल प्रतियां अभी तक बरामद नहीं की जा सकी हैं। पुलिस ने आरोपी के निवास स्थान की तलाशी लेने की अनुमति मांगी है। इस कार्रवाई का उद्देश्य कंप्यूटर, हार्ड डिस्क और अन्य डिजिटल उपकरणों को जब्त करना है ताकि साक्ष्यों को पुख्ता किया जा सके।
जांच के दायरे में आएंगे कई और नाम
संतोष वर्मा ने अदालत के नाम पर दो अलग-अलग फर्जी आदेश पेश किए थे, जिनमें से एक में मामला समाप्त होने और दूसरे में दोषमुक्त होने का उल्लेख था। वर्तमान में तत्कालीन विशेष न्यायाधीश और आईएएस संतोष वर्मा की भूमिका की भी सघन जांच की जा रही है। कोर्ट टाइपिस्ट की गिरफ्तारी के बाद इस पूरे नेटवर्क में अन्य लोगों के शामिल होने की संभावना बढ़ गई है।
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फर्जी आदेशों के आधार पर मिला प्रमोशन
जांच के दौरान यह बात सामने आई कि नीतू सिंह चौहान पर तत्कालीन विशेष न्यायाधीश विजय रावत की अदालत के नाम से फर्जी न्यायिक आदेश बनाने का आरोप है। इन्हीं दस्तावेजों का उपयोग करके संतोष वर्मा ने सेवा में पदोन्नति प्राप्त की थी। जांच अधिकारियों ने पाया कि अदालत के रजिस्टर और फाइलों में मौजूद हस्तलिपि नीतू सिंह चौहान की है, जो इस मामले में उसकी संलिप्तता का मुख्य आधार बनी।
डिजिटल साक्ष्य जुटाने में जुटी पुलिस
एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया के अनुसार मामले से जुड़े फर्जी आदेशों की मूल प्रतियां अभी तक बरामद नहीं की जा सकी हैं। पुलिस ने आरोपी के निवास स्थान की तलाशी लेने की अनुमति मांगी है। इस कार्रवाई का उद्देश्य कंप्यूटर, हार्ड डिस्क और अन्य डिजिटल उपकरणों को जब्त करना है ताकि साक्ष्यों को पुख्ता किया जा सके।
जांच के दायरे में आएंगे कई और नाम
संतोष वर्मा ने अदालत के नाम पर दो अलग-अलग फर्जी आदेश पेश किए थे, जिनमें से एक में मामला समाप्त होने और दूसरे में दोषमुक्त होने का उल्लेख था। वर्तमान में तत्कालीन विशेष न्यायाधीश और आईएएस संतोष वर्मा की भूमिका की भी सघन जांच की जा रही है। कोर्ट टाइपिस्ट की गिरफ्तारी के बाद इस पूरे नेटवर्क में अन्य लोगों के शामिल होने की संभावना बढ़ गई है।

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