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Indore News: एक साल में सात पुलिसकर्मियों ने की आत्महत्या, प्रेम प्रसंग और तनाव सबसे बड़ा कारण
अमर उजाला, डिजिटल डेस्क, इंदौर
Published by: अर्जुन रिछारिया
Updated Mon, 08 Dec 2025 09:39 AM IST
सार
Indore News: शहर में पुलिसकर्मियों की आत्महत्या के लगातार बढ़ते मामलों ने पुलिस प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। इस साल सात पुलिसकर्मियों ने जान दे दी, जिनमें अधिकतर मामलों में प्रेम प्रसंग, काम का दबाव और डिप्रेशन प्रमुख कारण रहे।
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- फोटो : अमर उजाला, डिजिटल डेस्क, इंदौर
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विस्तार
शहर में पुलिसकर्मियों की आत्महत्या के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इस साल अब तक सात पुलिसकर्मी अपनी जान दे चुके हैं। आम नागरिकों में जहां रोजाना दो से तीन आत्महत्याओं की खबरें मिलती हैं, वहीं पुलिसकर्मियों के बीच बढ़ती आत्महत्याओं ने पुलिस प्रशासन को परेशान कर रखा है। बड़ी संख्या में मामलों में प्रेम प्रसंग और निजी संबंधों में तनाव प्रमुख कारण के रूप में सामने आए हैं।
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महिला आरक्षकों से लेकर एसआई तक ने की आत्महत्या
इस साल महिला आरक्षक मानसी बुराड़िया ने फांसी लगाकर जान दे दी। इसके बाद एसआई मुकेश लोधा ने फांसी लगा ली। एसआई नेहा शर्मा ने पीटीसी बिल्डिंग की सातवीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली। अनुज जाट और विनोद यादव ने भी फांसी लगाई। एक यातायात विभाग की महिला आरक्षक ने भी खुदकुशी की थी। ताजा मामला एरोड्रम क्षेत्र का है, जहां महिला आरक्षक प्रिया यादव ने फांसी लगाकर जान दे दी। इन अधिकांश मामलों में प्रेम प्रसंग और निजी तनाव मुख्य वजह बताए गए हैं, जबकि कई मामलों में काम के दबाव और डिप्रेशन के चलते भी आत्महत्या की बात सामने आई है।
बीमारी, तनाव और दबाव भी बने कारण
प्रेम प्रसंग के अलावा कई पुलिसकर्मियों ने बीमारी और मानसिक दबाव के कारण भी आत्महत्या का रास्ता चुना है। लगातार बढ़ते मामलों ने पुलिस अधिकारियों को गहरी चिंता में डाल दिया है। न सिर्फ शहर बल्कि प्रदेश और देश के कई हिस्सों में भी इसी तरह की घटनाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ राज्यों में उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों द्वारा भी आत्महत्या किए जाने के मामले सामने आ चुके हैं, जो इस समस्या की गंभीरता को दर्शाते हैं।
पुराने मामलों में भी प्रेम प्रसंग प्रमुख रहा
कुछ साल पहले इंदौर में पदस्थ टीआई हाकमसिंह ने रीगल तिराहा स्थित पुलिस ऑफिस में प्रेम प्रसंग के चलते क्राइम ब्रांच की एक महिला एसआई पर गोली चलाई थी और फिर अपनी सर्विस रिवॉल्वर से खुद को गोली मारकर जान दे दी थी। हाल ही में दो दिन पहले बीएसएफ के एक कुक ने भी आत्महत्या कर ली। इसके अलावा बटालियन में पदस्थ दो आरक्षक इस साल शहर में खुदकुशी कर चुके हैं। ये घटनाएं बताती हैं कि फोर्स के भीतर हालात ठीक नहीं हैं और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर गंभीर कदमों की जरूरत है।
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इस साल महिला आरक्षक मानसी बुराड़िया ने फांसी लगाकर जान दे दी। इसके बाद एसआई मुकेश लोधा ने फांसी लगा ली। एसआई नेहा शर्मा ने पीटीसी बिल्डिंग की सातवीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली। अनुज जाट और विनोद यादव ने भी फांसी लगाई। एक यातायात विभाग की महिला आरक्षक ने भी खुदकुशी की थी। ताजा मामला एरोड्रम क्षेत्र का है, जहां महिला आरक्षक प्रिया यादव ने फांसी लगाकर जान दे दी। इन अधिकांश मामलों में प्रेम प्रसंग और निजी तनाव मुख्य वजह बताए गए हैं, जबकि कई मामलों में काम के दबाव और डिप्रेशन के चलते भी आत्महत्या की बात सामने आई है।
बीमारी, तनाव और दबाव भी बने कारण
प्रेम प्रसंग के अलावा कई पुलिसकर्मियों ने बीमारी और मानसिक दबाव के कारण भी आत्महत्या का रास्ता चुना है। लगातार बढ़ते मामलों ने पुलिस अधिकारियों को गहरी चिंता में डाल दिया है। न सिर्फ शहर बल्कि प्रदेश और देश के कई हिस्सों में भी इसी तरह की घटनाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ राज्यों में उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों द्वारा भी आत्महत्या किए जाने के मामले सामने आ चुके हैं, जो इस समस्या की गंभीरता को दर्शाते हैं।
पुराने मामलों में भी प्रेम प्रसंग प्रमुख रहा
कुछ साल पहले इंदौर में पदस्थ टीआई हाकमसिंह ने रीगल तिराहा स्थित पुलिस ऑफिस में प्रेम प्रसंग के चलते क्राइम ब्रांच की एक महिला एसआई पर गोली चलाई थी और फिर अपनी सर्विस रिवॉल्वर से खुद को गोली मारकर जान दे दी थी। हाल ही में दो दिन पहले बीएसएफ के एक कुक ने भी आत्महत्या कर ली। इसके अलावा बटालियन में पदस्थ दो आरक्षक इस साल शहर में खुदकुशी कर चुके हैं। ये घटनाएं बताती हैं कि फोर्स के भीतर हालात ठीक नहीं हैं और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर गंभीर कदमों की जरूरत है।

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