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Indore News: यूनियन कार्बाइड फैक्टरी का जहरीला कचरा भस्म, लेकिन राख हमेशा के लिए रहेगी पीथमपुर में दफन

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर Published by: अभिषेक चेंडके Updated Wed, 03 Dec 2025 10:36 AM IST
सार

41 साल पहले भोपाल में 2-3 दिसंबर की दरमियानी रात को यूनियन कार्बाइड फैक्टरी से विषैली गैस निकलती है और हजारों लोग उससे प्रभावित होते है। इस त्रास्दी के अवशेष अभी भी राख के रुप में जिंदा है। जिसका निपटान होना है।

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Indore: UCA's toxic waste incinerated, but the ashes will remain buried in Pithampur forever.
पीथमपुर में कचरा भस्म हुआ है। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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पांच हजार से ज्यादा लोगों को मौत की नींद सुलाने वाले भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्टरी का 337 टन कचरा तो पीथमपुर के भस्मक में जला दिया गया, लेकिन उसकी राख हमेशा के लिए पीथमपुर में दफन होगी। इसका भविष्य में आसपास के इलाके में क्या असर होगा, यह तो भविष्य में पता चलेगा, लेकिन पंद्रह साल पहले भी 30 टन से ज्यादा राख पीथमपुर में लैंडफिल की गई थी। उस कारण भस्मक के समीप से निकलने वाली नदी का पानी काला हो गया है।

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ग्रामीणों का कहना है कि उस पानी का उपयोग खेतों में नहीं करते। इससे फसल खराब हो जाती है। कचरा तो भस्म हो गया, लेकिन 900 टन राख उस त्रास्दी की याद दिलाती है। उसका निपटान भी नहीं हो पाया है।

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900 टन राख बची कचरा जलाने के बाद
पीथमपुर में रामकी कंपनी ने अपने प्लांट में 337 टन जहरीला कचरा छह माह में जलाया। उसके बाद बची राख को बीते पांच माह से कंपनी के परिसर में एक प्लेटफार्म पर रखा गया है। उस राख की भी विशेषज्ञों ने जांच की। राख को दफनाने के लिए एक तालाबनुमा गड्ढा खोदा गया है।


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बची हुई राख में मर्करी, निकल, जिंक, कोबाल्ट, मैग्जीन सहित अन्य तत्व है, जहां इस कचरे को दफन किया जाना है। उसके आधा किलोमीटर दायरे में आबादी क्षेत्र है। वहां के रहवासी बोरिंगों के पानी का उपयोग नहीं करते है, क्योकि बोरिंग भी दूषित हो चुके है। 900 टन राख के लिए काले रंग की एचडीपीई लाइनर बिछाई जा रही है,ताकि राख मिट्टी के संपर्क में न आए और राख का रिसाव जमीन में न हो। राख दफनाए जाने का मामला कोर्ट में भी है।

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