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Jhabua: झाबुआ के 'मोटी आई' माॅडल की गूंज दिल्ली तक, पीएम मोदी करेंगे कलेक्टर नेहा मीणा को सम्मानित

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर Published by: अभिषेक चेंडके Updated Sat, 19 Apr 2025 06:25 PM IST
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सार

कुपोषित बच्चों का डेटा भी कलेक्टर नेहा मीणा ने एकत्र किया और यह पाया कि रोजगार की तलाश में जो परिवार बाहर जाते है। उनके बच्चे ज्यादा कुपोषित है। वे अपने बच्चे को दादा-दादियों के पास रख देते है। वे  ठीक से ध्यान नहीं रख पाते है। 

Jhabua: The popularity of Jhabua's Moti Aai model reaches Delhi, PM Modi will honour Collector Neha Meena
कुपोषित बच्चों के साथ कलेक्टर नेहा मीणा। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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आदिवासी जिले झाबुआ में कुपोषण से निपटने के लिए कलेक्टर नेहा मीणा द्वारा किए गए प्रयासों को काफी सराहा जा रहा है। इस काम के लिए उन्हें 21 अप्रैल को नई दिल्ली में पीएम एक्सीलेंस अवॉर्ड मिलेगा। नेहा ने इस अभियान के जरिए बच्चों को कुपोषण से बचाया। वैक्सीनेशन, गर्भवतियों की जांचें, लड़कियों की शिक्षा और कुपोषण हटाने के प्रयासों के अलावा उनका 'मोटी आई' माॅडल सरकार को भी पसंद आया है और उसे अब दूसरे जिलों में भी अपनाया जाएगा।

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मोटी आई का मतलब होता है, बड़ी मां। आदिवासी परिवार अपने रीति-रिवाजों, गांव के बड़े बुजुर्गों का बड़ा सम्मान करते हैं, इसलिए नेहा ने इस अभियान को देसी अंदाज में ढाला। भीली बोली में लोक गीत बनाए, गांवों-फलियों तक अभियान की खूबियां बताईं और पोषण आहर को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने गांव में अनुभवी महिलाओं की मदद ली। उन्हें प्रशिक्षित किया। हर गांव में तैयार हुई 'मोटी आई' बच्चों को कुपोषण से दूर रखने में पूरी मदद करती है और मोटी आई कुपोषित बच्चों की माॅलिश भी करती है। 
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1325 मोटी आई तैयार की
 

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झाबुआ जिले में तैयार हुई 1325 मोटी आई ने एक हजार से ज्यादा बच्चों को कुपोषण से बाहर निकाला। कुपोषण से निकल कर बच्चे सामान्य श्रेणी में आ चुके हैं। दरअसल जिले में कई परिवार यह समझ ही नहीं पाते थे कि उनका बच्चा कुपोषित हो चुका है। कुपोषित बच्चों का डेटा भी कलेक्टर नेहा मीणा ने एकत्र किया और यह पाया कि रोजगार की तलाश में जो परिवार बाहर जाते हैं, उनके बच्चे ज्यादा कुपोषित हैं। वे अपने बच्चे को दादा-दादियों के पास छोड़कर जाते हैं। वे उनका ठीक से ध्यान नहीं रख पाते हैं, इस कारण बच्चे कुपोषित हो जाते हैं। 


पलायन करने वाले परिवार चिन्हित किए
सबसे पहले पलायन करने वाले परिवारों को जिले में चिन्हित किया गया और उनके बच्चों की देखभाल का जिम्मा मोटी आई को दिया गया और बच्चों का कुपोषण दूर कर उन्हें सामान्य श्रेणी में लाया गया। कलेक्टर नेहा मीणा कहती है कि बच्चों को स्वस्थ देखकर सुकून मिलता है। अब गांव में इसे लेकर जागृति आ चुकी है।

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