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हरियाली के हत्यारे: इंदौर में ग्रीन बेल्ट खत्म करने में सरकारी विभाग पीछे नहीं, हाउसिंग बोर्ड ने तानी इमारतें

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर Published by: अभिषेक चेंडके Updated Sun, 28 May 2023 08:48 PM IST
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सार

इंदौर में नगर निगम ही काॅलोनियों को वैध और अवैध होने का दर्जा देता है। नियमानुसार ग्रीन बेल्ट में बसी काॅलोनी को वैध नहीं किया जा सकता है, लेकिन नगर निगम ने तो दीनदयाल उपाध्याय नगर के हस्तांतरण के समय ही अवैैध काम को बढ़ावा दे दिया।

The killers of greenery - the government department is not lagging behind in ending the green belt, the Housin
इंदौर में अब हरियाली का रंग कम नजर आता है। - फोटो : SOCIAL MEDIA
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इंदौर शहर की 100 अवैध काॅलोनियों को वैध करने से पहले सरकार ने उन लोगों के बारे में नहीं सोचा, जिन्होंने अपनी मेहनत की जमापूंजी उन वैध काॅलोनियों में लगाई, जहां वे हर काम नियम कायदे से कर सकें, लेकिन अब इंदौर मेें वैध-अवैैध सब बराबर है। निजी काॅलोनाइजर तो ठीक इंदौर में तो हाउसिंग बोर्ड ने भी ग्रीन बेल्ट में निर्माण करने में कोई कसर बाकी नहीं रखी। वहां मल्टियां तानकर ज्यादा पैसों में लोगों को प्लाॅट और फ्लैट बेचे गए।

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सुखलिया ग्राम के पास का हिस्सा 1991 के मास्टर प्लान में सिटी पार्किंग के लिए आरक्षित था, जहां हाउसिंग बोर्ड ने दीनदयाल उपाध्याय नगर बसाया। करीब दो हजार से ज्यादा फ्लैट यहां बनाकर लोगों को बेचे गए। आखिर कैसे इन मल्टियों के नक्शे पास हुए? ग्रीन बेल्ट में किसके आदेश पर पूरा नगर बसाया गया। यह किसी को नहीं पता।

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ये भी पढ़े: Indore: हरियाली के हत्यारे-अवैध कालोनियों को वैध करने की आड़ में हरियाली खत्म करने का खेल

काॅलोनी हस्तांतण के समय भी नहीं उठाए सवाल
हाउसिंग बोर्ड किसी भी कॉलोनी को विकसित करता है तो तय समय के बाद उसे नगर निगम को हस्तांतरित कर देता है। नगर निगम ही काॅलोनियों को वैध और अवैध होने का दर्जा देता है। नियमानुसार ग्रीन बेल्ट में बसी काॅलोनी को वैध नहीं किया जा सकता है, लेकिन नगर निगम ने तो दीनदयाल उपाध्याय नगर के हस्तांतरण के समय ही अवैध काम को बढ़ावा दे दिया। उस काॅलोनी में नर्मदा कनेक्शन, चौड़ी सड़क, बिजली सबकुछ है।

सिरपुर तालाब के कैचमेंट एरिया में आईडीए की स्कीम
सिरपुर तालाब के आसपास का एरिया ग्रीन बेल्ट में शामिल है। इंदौर विकास प्राधिकरण की स्कीम-71 का कुछ हिस्सा सिरपुर तालाब से 300 मीटर दूरी पर है। जब शंकर लालवानी अध्यक्ष थे तो उन्होंने तालाब के कैचमेंट एरिया में सड़क बनवा दी और प्लाॅट बेचे गए। जब मुद्दा उठा तो कुछ प्लाॅटों को कम कर प्राकृतिक प्रवाह के लिए जगह दी गई।

मास्टर प्लान को जमीन पर लाने का जिम्मा विकास प्राधिकरण का
नगर तथा ग्राम निवेश विभाग के पूर्व इंजीनियर जयवंत होलकर के अनुसार मास्टर प्लान को जमीन पर लाने का जिम्मा इंदौर विकास प्राधिकरण का है। वह स्कीमें विकसित कर प्लाॅट बेचता है, सड़कें बनाता है, लेकिन ग्रीन बेल्ट के लिए कोई बड़ी स्कीम लागू नहीं की जाती है। मास्टर प्लान में जो भी ग्रीन बेल्ट हैं, उसका सीमांकन और अलाइनमेंट हो जाए तो फिर ग्रीन बेल्ट पर निर्माण होने से रोका जा सकता है, लेकिन अफसोस की बात है कि इंदौर के मास्टर प्लान में दर्शाया गया आधा ग्रीन बेल्ट निर्माण की भेंट चढ़ चुका है।

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