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NEET PG: प्रदेश के मूल निवासी छात्रों के साथ भेदभाव, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार व डीएमई को जारी किए नोटिस

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जबलपुर Published by: जबलपुर ब्यूरो Updated Mon, 01 Dec 2025 08:59 PM IST
सार

मेडिकल NEET-PG में 100% आरक्षण को चुनौती देते हुए दो डॉक्टरों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। आरोप है कि काउंसलिंग से मूल निवासी शब्द हटाने से बाहरी राज्यों से MBBS करने वाले MP के मूल निवासी छात्रों से भेदभाव हो रहा है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और DME से जवाब मांगा है। 

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Discrimination against students who are natives of the state
मप्र हाईकोर्ट
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विस्तार
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मेडिकल नीट पीजी में 100 प्रतिशत आरक्षण को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा गया था कि नियमों में संशोधन कर मूल निवासी शब्द को विलोपित कर दिया गया है। इसके कारण उन छात्रों के साथ भेदभाव हो रहा है, जिन्होंने एमबीबीएस कोर्स दूसरे प्रदेश से किया है और मध्य प्रदेश से पीजी कोर्स करना चाहते हैं। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा तथा जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार व डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

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बालाघाट निवासी डॉ. विवेक जैन तथा रतलाम निवासी डॉ. दक्ष गोयल की तरफ से दायर की गई याचिका में गया था कि सरकार द्वारा मेडिकल नीट पीजी में 100 प्रतिशत आरक्षण किए जाने को चुनौती दी गई थी। याचिका में कहा गया था कि मध्य प्रदेश के 15 मेडिकल कॉलेज में 1468 पीजी की सीट हैं। इसमें से 50 प्रतिशत सीट ऑल इंडिया कोटे के लिए आरक्षित हैं। प्रदेश कोटे की 50 प्रतिशत सीट में ओबीसी, एससी, एसटी, ईडब्ल्यूएस कोटा दिया जाता है। इसके बाद सामान्य वर्ग के लिए 518 सीट बचती है।
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पीजी काउंसलिंग के पहले तथा दूसरे दौर में सिर्फ मध्य प्रदेश से एमबीबीएस करने वाले छात्र ही शामिल हो सकते हैं। जो छात्र पहले व दूसरे दौरान में शामिल नहीं हुआ वह माप-अप दौर में शामिल नहीं हो सकते हैं। इससे स्वचालित रूप से प्रदेश में अध्ययन करने वाले छात्रों को 100 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया जा रहा है। देश के कई प्रदेशों में प्रदेश में अध्ययन करने वाले छात्रों को नहीं बल्कि मूल निवासी छात्रों को पीजी नीट दाखिले में प्राथमिकता दी जाती है, चाहे उन्होंने एमबीबीएस कोर्स किसी अन्य प्रदेश से किया हो।

याचिकाकर्ताओं की तरफ से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता आदित्य संघी ने सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश का हवाला देते हुए कहा कि प्रदेश कोटे की सीट में मूल निवासी छात्रों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। प्रदेश के मूल निवासी छात्रों को प्रदेश सरकार का दावा है कि प्रदेश के मूल निवासियों को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके विपरीत पीजी काउंसलिंग के नियमों में मूल निवासी शब्द हटाकर प्रदेश के छात्रों के साथ भेदभाव किया है। युगलपीठ ने अनावेदको को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

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